परबत्ता. प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत 10 पंचायतों के दर्जनों गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है. इससे आम जनजीवन अस्त-व्यस्त है. हालात ऐसे हैं कि राहत शिविर तक भी शत प्रतिशत लोग भोजन के लिए नहीं पहुंच पा रहे हैं. बाढ़ में घिरे ऐसे परिवारों की पहचान कर वहां तक सूखा राशन व पेयजल पहुंचने की जरूरत है. पशुपालक अपने पशुओं को लेकर चिंतित है, तो किसानों की फसलें पूरी तरह से डूब गयी है. सोमवार को अनुमंडल पदाधिकारी सुनंदा कुमारी ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया. साथ ही उन्होंने सामुदायिक किचन का निरीक्षण किया. ड्योढ़ी भरतखंड में उन्होंने एसडीआरएफ के बोट से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में गए और बाढ़ में घिरे परिवारों का दर्द जाना. बता दे कि कई परिवार ऐसे हैं जो घरों के छत पर अपने परिवारों को लेकर किसी तरह से गुजर बसर करने को मजबूर हैं. एसडीओ ने कहा कि परबत्ता व गोगरी में एक लाख से अधिक आबादी बाढ़ से प्रभावित हैं. बाढ़ से विस्थापित लोगों के बीच सामुदायिक किचन के द्वारा पका हुआ भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. साथ ही जगह-जगह पर रोशनी ,शौचालय, चापाकल की व्यवस्था की गयी है. बाढ़ पीड़ितों के बीच अबतक पांच हजार पॉलीथिन शीट वितरण किया गया है. 49 नावों का परिचालन जारी है. एसडीओ ने सामुदायिक किचन प्रभारी को स्पष्ट निर्देश दिया कि बाढ़ पीड़ित को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होनी चाहिए मौके पर सीओ मोना गुप्ता, बीडीओ संतोष कुमार पंडित, मुखिया आशुतोष कुमार सिंह उर्फ बंटू सिंह, बालकृष्ण शर्मा उर्फ ललन शर्मा, मुखिया प्रतिनिधि उमेश आदि उपस्थित थे. पीएचडी विभाग की खुली पोल प्रखंड के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पीएचडी विभाग के द्वारा लगाए जा रहे चापाकल की पोल खुल गयी. जिला परिषद सदस्य जयप्रकाश यादव ने कहा कि लगार पंचायत के सामुदायिक भवन चरघरिया लगार में बाढ़ से विस्थापित लोगों के लिए सामुदायिक किचन खोला गया है. वहां दो चापाकल में एक भी चापाकल दुरुस्त नहीं है, जिससे बाढ़ पीड़ितों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उक्त स्थल पर तीन सौ से अधिक बाढ़ पीड़ित का खाना बन रहा है. फिलहाल आंगनबाड़ी केंद्र से पानी लिया जा रहा है. जिप सदस्य ने जिला प्रशासन से मांग किया है कि उक्त स्थल पर चापाकल को दुरुस्त करवाया जाय.
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