प्राचीन धरोहर बड़ी मां कत्यायनी मंदिर पर मंडरा है कटाव का खतराखगड़िया. सदर प्रखंड के उत्तर माड़र पंचायत के तीनगछिया गांव स्थित बड़ी मां कत्यायनी मंदिर कभी भी बागमती नदी में समा सकता है. बागमती नदी के कटाव के कारण किसानों के डेढ़ सौ एकड़ जमीन नदी में समा गया है. बागमती नदी का कटाव तेज हो गया है. दर्जनों एकड़ उपजाऊ खेती की जमीन नदी में समाने के बाद अब मंदिर भी जद्द में आ गया है. मंदिर परिसर में बरगद का पेड नदी में समा चुका है. लोगों का कहना है कि कटाव निरोधक कार्य नहीं किया गया तो प्राचीन मंदिर बड़ी मां कत्यायनी भी नदी में समा जायेगा. लोगों ने डीएम, एसडीओ व सीओ को आवेदन देकर कटाव निरोधक कार्य शुरू करने की मांग की है. आवेदन में रसौंक, माड़र उत्तरी, माड़र दक्षिणी व उत्तर माड़र के सैकड़ों लोगों ने कहा कि उत्तर माडर मौजा स्थित बड़ी कत्यायनी मंदिर कटाव के कगार पर है. नदी की तेज धारा से किनारे को काटते हुऐ मंदिर के जड़ तक पहुंच चुका है. कटाव का वेग इतना है कि कभी भी मंदिर नदी का तेज धारा में कट कर समाहित हो सकता है. यह मंदिर बहुत ही प्राचीन है. कहा कि धरोहर को बचाने के लिए युद्ध स्तर पर कोई उपाय किया जाय.
प्राचीन धरोहर बड़ी मां कत्यायनी मंदिर पर मंडरा है कटाव का खतरा
बताया जाता है कि नदियों की गोद में स्थापित बड़ी मां कत्यायनी मंदिर है. बागमती नदी की किनारे मंदिर है. श्रद्धालु इसे माइजी थान भी कहते हैं. लोगों का मानना है कि यह मंदिर दो सौ साल पूर्व स्थापित किया गया था. जहां मां कत्यायनी की पूजा होती है. श्रद्धालु प्रत्येक सोमवार व शुक्रवार को दूध का चढ़ाबा चढ़ाते हैं. इस दिन श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है. मंदिर परिसर में मेला जैसा माहौल होता है. हालांकि गांव से दूर सुदूर बहियार में स्थापित मंदिर तक जाने के लिए एप्रोच पथ नहीं है. श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुंचने में काफी परेशानी होती है. लोगों को मंदिर तक जाने के लिए बागमती नदी की उपधारा नाव से जाना होता है. उसके बाद पैदल मंदिर तक जाना होता है. हालांकि मंदिर के आस-पास सोहरी व तीनगछिया गांव है. जहां सैकड़ों परिवार के लोग रहते हैं.
डेढ़ बीघा में था बड़ी मां कत्यायनी मंदिर, अब बचा सात कट्टा में
लोगों ने बताया कि बड़ी मां कत्यायनी मंदिर डेढ़ बीघा जमीन में था. जिसमें भव्य मंदिर है. परिसर में श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था है. मंदिर परिसर में विशाल बरगद का पेड़ था. जहां चबुतरा पर श्रद्धालु बैठा करते थे. लेकिन बीते शनिवार को बागमती नदी की तेज कटाव में नदी में समा चुकी है. मंदिर परिसर का अधिकांश हिस्सा नदी में समा चुका है. अब मात्र सात-आठ कट्टा में मंदिर बचा है. लोगों के अंदर भय का माहौल है. मंदिर से कटाव की दूरी 10 फीट है. लोगों में डर है अब मंदिर में नदी में समा जायेगा. जो प्राचीन धरोहर विलुप्त हो जायेगा.
तीन साल में 150 एकड़ उपजाऊ जमीन समा चुकी है बागमती नदी में
किसानों ने बताया कि बीते तीन साल में लगभग 150 एकड़ उपजाऊ जमीन बागमती नदी में समा चुकी है. जिससे किसान परेशान और हताश हैं. लेकिन किसानों के दर्द को सुनने व देखने वाला कोई नहीं है. बताया कि एक सप्ताह से बागमती नदी का कटाव तेज हो गया. रसौंक निवासी किसान संजय यादव ने बताया कि माड़र उत्तरी पंचायत के सबलपुर,नवटोलिया, माड़र दक्षिणी व रसौंक पंचायत के दर्जनों किसानों का खेती का जमीन तीनगछिया व सौहरी बहियार में है.इन दिनों बागमती नदी की कटाव में दर्जनों किसान का खेत नदी में समा चुका है. जिसमें सबलपुर निवासी मो. कलीम उद्दीन, प्रकाश साह, भूषण पंडित सहित दर्जनों किसानों का जमीन नदी में समा चुका है. बताया कि सैकड़ों एकड़ जमीन नदी में समा चुकी है.
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