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अंग्रेजों की संपत्ति लूटकर ब्रिटिश हुकूमत के विरोध करते थे स्वतंत्रता सेनानी ब्रह्मदेव चौधरी

अंग्रेजों की संपत्ति लूटकर ब्रिटिश हुकूमत के विरोध करते थे स्वतंत्रता सेनानी ब्रह्मदेव चौधरी

अंग्रेजों के मालगाड़ी, पानी वाला जहाज लूटकर धन एकत्रित करके करते थे लड़ाई में प्रयोग

अंग्रेजों ने स्वतंत्रता सेनानी ब्रह्मदेव चौधरी के घर से 47 हथियार किया था बरामद

खगड़िया. भारत माता को अंग्रेज की जंजीर से आजादी दिलाने के लिए स्वतंत्रता सेनानी ब्रह्मदेव चौधरी पूरी जवानी यातनाएं झेलते रहे. जिले के कई क्रांतिकारियों ने देश की आजादी में अपनी भूमिका निभायी, लेकिन सदर प्रखंड के संसारपुर गांव निवासी लाखो चौधरी के पुत्र ब्रह्मदेव चौधरी का अंग्रेजी हुकूमत से लड़ाई की कहानी अलग है. वर्ष 1900 में ब्रह्मदेव चौधरी का जन्म हुआ. बाल अवस्था से ही ब्रह्मदेव चौधरी पढ़ने में तेज थे. अंग्रेजी हुकूमत की काला कारनामा देख रहे थे. उच्च स्तरीय पढ़ाई के बाद ब्रह्मदेव चौधरी चौथम थाना क्षेत्र के पिपरा गांव निवासी महेंद्र चौधरी व मानसी के धन्ना-माधव के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए, जिसकी भनक ब्रिटिश हुकूमत को लग गयी. अंग्रेजों ने ब्रह्मदेव चौधरी को हाजिर होने का फरमान जारी किया, लेकिन वे अंग्रेजों की आंख में धूल झोंक कर आजादी की लड़ाई में जुटे रहे.

अंग्रेजों की हथियार व संपत्ति लूटकर आजादी की लड़ाई में करते थे प्रयोग

स्वतंत्रता सेनानी ब्रह्मदेव चौधरी के पुत्र दीपक ने बताया कि वे अंग्रेजों की संपत्ति लूटकर उसी के विरोध आवाज बुलंद करते थे. अंग्रेज की मालगाड़ी, पानी वाला जहाज आदि चीजों को लूटकर धन को एकट्ठा करते थे. ताकि लड़ाई में उपयोग हो सके. अंग्रेजों को ईंट की ईंट से देने के लिए सबसे पहले उन्होंने हथियार लूटना शुरू किया. ब्रह्मदेव बाबू दोस्तों के साथ अंग्रेज सिपाहियों से चार दर्जन से अधिक हथियार को लूट लिया. जिसकी भनक अंग्रेज पुलिस को लग गयी. अंग्रेज पुलिस गिरफ्तारी के लिए छापेमारी शुरू कर दी.

बौखलाएं अंग्रेज सिपाहियों ने ब्रह्मदेव चौधरी के माता पिता को डाल दिया था जेल

बताया कि अंग्रेजों की हथियार लूटकर ब्रह्मदेव चौधरी दोस्तों के साथ गुप्त स्नान पर छिप गया था. अंग्रेजी सिपाहियों गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी कर रही थी. जब ब्रह्मदेव बाबू नहीं मिले तो बौखलाएं अंग्रेजों ने उनके माता -पिता को गिरफ्तार कर लिया. माता-पिता की गिरफ्तारी की सूचना मिलने पर ब्रह्मदेव बाबू अंग्रेज पुलिस के सामने हाजिर हो गये. उन्होंने माता-पिता को छोड़ देने की शर्त रख दी. बौखलाए अंग्रेज अधिकारियों ने उन्हें 11 दिनों तक हाजत में रखकर यातनाएं देते रहे. जब ग्रामीणों को जानकारी मिली तो उन्हें जेल भेजने की मांग को लेकर हंगामा किया. जिसके बाद ब्रह्मदेव चौधरी को जेल भेज दिया गया.

अंग्रेजों ने ब्रह्मदेव चौधरी को सुनायी आजीवन कारावास की सजा

बताया कि अंग्रेजों ने ब्रह्मदेव चौधरी के सहयोगी महेंद्र चौधरी को फांसी की सजा सुना दी, जबकि ब्रह्मदेव चौधरी को आजीवन कारावास की सजा. अंग्रेजों ने जेल में उन्हें अपर डिवीजन का बंदी घोषित कर दिया था. प्रत्येक रविवार को ब्रह्मदेव चौधरी को कड़ी सुरक्षा में भागलपुर सेन्ट्रल जेल से गांव लाते थे. इसी दौरान महात्मा गांधी बिहार आये थे. इसकी जानकारी महात्मा गांधी को मिली. महात्मा गांधी ब्रह्मदेव चौधरी के परिजनों से मिलने आ गए.

मातृभूमि के लिए ब्रह्मदेव बाबू पेंशन लेने से कर दिया था इंकार

स्वतंत्रता सेनानी ब्रह्मदेव चौधरी का नाम बड़े ही फख के साथ लेते हैं. जिन्होंने मातृभूमि के लिए स्वतंत्रता सेनानियों को मिलने वाली पेंशन लेने से इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि फर्ज के बदले कुछ भी पाने की कोई चाहत नहीं है. उनके पुत्र ने बताया कि वे सिर्फ अंगेजों से ही लोहा नहीं लेते थे, बल्कि अपने समाज के गद्दारों को भी सबक सिखाते थे. अंग्रेजों को सूचना या मदद करने वाले को भी सजा देते थे. बताया कि 22 मई 2002 को 102 वर्ष की आयु में उनकी मौत हो गयी.

अमर शहीद प्रभु नारायण व शहीद धन्ना माधव का शहादत दिवस आज

देश के आजादी के लिए सदर प्रखंड के माड़र गांव निवासी शहीद प्रभुनारायण व मानसी के दो वीर शहीद धन्ना-माधव ने अपनी शहादत दे दी. जहां हर वर्ष 13 अगस्त को शहादत दिवस मनाया जाता है. संयुक्त सचिव सह अमर शहीद धन्ना- माधव निर्माण समिति के महासचिव सिकंदर आजाद वक्त ने बताया कि सांसद राजेश वर्मा को पत्र लिखकर अमर शहीद धन्ना माधव स्मारक का जीर्णोधार करने की मांग किया गया. लेकिन आज कोई पहल नहीं हो सका. मौके पर अमर शहीद धन्ना माधव स्मारक निर्माण समिति के अध्यक्ष छेदी सिंह, सचिव अभय कुमार गुड्डू, कोषाध्यक्ष प्रेम कुमार यशवंत, धर्मेन्द्र पौद्दार, प्रमोद कुमार सिंह, रुपेश कुमार पौद्दार, सागर मुकेश, विजय कुमार सिंह आदि मौजूद थे.

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