पहल. घर बैठे दर्ज होगा बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण का मामला
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अब एनसीपीसीआर लड़ेगा लड़ाई
पहल. घर बैठे दर्ज होगा बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण का मामला लैंगिक अपराध का मुकदमा ऑनलाइन दर्ज कराने के लिए पीड़ित या उनके अभिभावक को एनसीपीसीआर की वेबसाइट पर जाकर पॉस्को ई-बटन को क्लिक करना होगा. क्लिक करते ही पीड़ित को घटना का ब्योरा देने का ऑप्शन मिलेगा. शिकायत दर्ज कर ओके […]
लैंगिक अपराध का मुकदमा ऑनलाइन दर्ज कराने के लिए पीड़ित या उनके अभिभावक को एनसीपीसीआर की वेबसाइट पर जाकर पॉस्को ई-बटन को क्लिक करना होगा. क्लिक करते ही पीड़ित को घटना का ब्योरा देने का ऑप्शन मिलेगा. शिकायत दर्ज कर ओके करते ही एनसीपीसीआर एक्शन में आ जायेगा. उसके बाद अपराधी को पकड़ने की कवायद शुरू कर देगा.
खगड़िया : नाबालिगों के साथ घर या बाहर होने वाले यौन शोषण का मुकदमा अब घर बैठे ही दर्ज हो सकेगा. ऐसे मामलों के लिये पीड़ित नाबालिग या उनके अभिभावक को नहीं करनी पड़ेगी बल्कि ‘नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट’ (एनसीपीसीआर) करेगा. लैंगिक अपराध का मुकदमा ऑनलाइन दर्ज कराने के लिए पीड़ित या उनके अभिभावक को एनसीपीसीआर की वेबसाइट पर जाकर पॉस्को ई-बटन को क्लिक करना होगा. क्लिक करते ही पीड़ित को घटना का ब्योरा देने का ऑप्शन मिलेगा.
शिकायत दर्ज कर ओके करते ही एनसीपीसीआर एक्शन में जायेगा. उसके बाद अपराधी को पकड़ने की कवायद शुरू कर देगा. मामला दर्ज करने का काम देश के किसी भी कोने से हो सकता है. ऐसे मामलों में खास बात यह होती है कि इस प्रकार घटनाएं अधिकतर घर की चहारदीवारी से लेकर स्कूल परिसर में होती हैं. लेकिन, डर शर्म और इज्जत के आड़े आने की वजह से लोग चुप्पी साध लेते हैं या फिर चुप रहने की नसीहत देते हैं.
शिक्षा परियोजना पर्षद को मिला निर्देश : एनसीपीसीआर की ओर से राज्य सरकार को नसीहत दी गई है कि इस वेबसाइट ई-बटन की सुविधा का बढ़-चढ़ कर प्रचार-प्रसार किया जाये. प्रचार-प्रसार के लिए एनसीपीसीआर ने बिहार शिक्षा परियोजना पर्षद को भी निर्देश दिया है. पर्षद ने मामले की गंभीरता को भांपते हुए सर्वशिक्षा अभियान के डीपीओ को ई-बटन के प्रचार-प्रसार करने का निर्देश दिया है.
नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट (एनसीपीसीआर)
साल भर में आते हैं 30 से 35 मामले
अधिवक्ता समीर कुमार ने बताया कि जिले में साल भर में लगभग 30 से 35 मामले आते हैं. ऐसे मामलों पर त्वरित कार्रवाई करते हुए संज्ञान लिया जाता है. यह सिर्फ ऐसे मामलों के आंकड़े हैं जो कोर्ट या थाने में आते हैं. कई ऐसे मामले हैं, जो लोक लाज के डर से या शर्म के कारण पीड़ित अथवा उनके अभिभावक द्वारा नजर अंदाज कर दिया जाता है. इस प्रकार की घटनाओं से नाबालिगों के मन में परिवार व समाज के प्रति घृणा व्याप्त हो जाती है. ऐसे मामलों को गंभीरतापूर्वक लेना चाहिए. इससे बच्चों पर विपरीत असर पड़ता है. पॉस्को ई-बटन से नाबालिगों व अभिभावकों को मामला दर्ज कराने में सहूलियत होगी. इसका प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए, ताकि लोग इस एक्ट के बारे में बेहतर ढंग से जान सके.
बच्चे-बच्चियों के साथ लैंगिक अपराध की घटनाओं में आए दिन तेजी से वृद्धि हो रही है. अधिकतर मामलों में बच्चे-बच्चियों के अभिभावक या परिजन मामले को किसी वजह से उजागर नहीं कर पाते हैं. अधिकतर मामलों में आरोपित रिश्तेदार या सगे-संबंधि होते हैं. इसके कारण परिजन भी मामले को अधिक तूल नहीं देना चाहते. ऐसी घटनाओं की टीस बच्चे बच्चियां पुरी उम्र झेलते हैं. ऐसे अपराध पर लगाम लगाने और पीड़ितों को आसान तरीके से न्याय दिलाने के लिए एनसीपीसीआर ने ई-बटन लांच किया है, ताकि बगैर किसी डर व झेंप के 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे-बच्चियां या उनके अभिभावक अपना मुकदमा दर्ज करा सकते हैं.
सर्व शिक्षा अभियान के डीपीओ सुरेश साहू ने बताया कि पॉस्को एक्ट के संबंध में बहुत कम ही लोग जानते हैं. सरकार के निर्देश पर सभी सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों में पॉस्को इ-बटन व पॉस्को एक्ट के बारे में बच्चों को जानकारी दी जायेगी. सरकार की यह एक अच्छी पहल है. इससे बच्चे समाज में बिना किसी डर के रह सकेंगे. वहीं, अभिभावकों को भी इस बारे में बताया जायेगा. इसके लिये स्कूलों में गोष्ठी का आयोजन किया जायेगा. अधिक से अधिक इसके प्रचार-प्रसार पर बल दिया जायेगा.
सुरेश साहू, डीपीओ सर्व शिक्षा अभियान खगड़िया.
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