परचा मिलने के तीन वर्षों बाद भी जमीन पर नहीं मिला दखल
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इंसाफ पाने को लेकर भटक रहा सेना का जवान
परचा मिलने के तीन वर्षों बाद भी जमीन पर नहीं मिला दखल खगड़िया : देश की सरहद की रक्षा करने वाला सेना का जवान अपने घर में इंसाफ के लिए दर-दर भटक रहा है. गोगरी प्रखंड के छोटी मलिया निवासी सेना का जवान कासिम उस्मानी को वर्ष 2013 में ही बंदोवस्ती परचा दिया गया, लेकिन […]
खगड़िया : देश की सरहद की रक्षा करने वाला सेना का जवान अपने घर में इंसाफ के लिए दर-दर भटक रहा है. गोगरी प्रखंड के छोटी मलिया निवासी सेना का जवान कासिम उस्मानी को वर्ष 2013 में ही बंदोवस्ती परचा दिया गया, लेकिन अब तक जमीन पर कब्जा नहीं मिल पाया है. विभागीय जानकारी के मुताबिक जमालपुर गोगरी थाना अंर्तगत खाता संख्या 3982 खेसरा संख्या 2424,रकबा 0.37 डिसमल जमीन का परबाना परचा उक्त सैनिक को दिया गया था. जानकार बताते हैं
कि डीएम के आदेश व स्वीकृति के उपरांत सीओ ने इन्हें 0.37 डिसमल जमीन का परचा 21 सितंबर 2013 को जारी किया था. लेकिन लगभग तीन वर्ष बीतने के बाद भी सैनिक को उक्त जमीन पर कब्जा नहीं दिलाया जा सका है. जम्मू कश्मीर के बारामूला सेक्टर में तैनात जवान दर्जनों बार अधिकारीयों के कार्यालयों के चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन कोई निदान नहीं हो पाया है. अधिकारियों की बेरुखी से परेशान सेना के जवान अब ये सवाल पूछ रहे हैं कि जब दखल दिलाना ही नहीं था तो क्यों उन्हें जमीन का परचा दिया गया.
कुछ लोग कर रहे विरोध: सेना के जवान बताते हैं कि स्थानीय कुछ लोगों के विरोध के कारण परचा की उक्त जमीन पर दखल नहीं मिल सका है.जानकार बताते हैं कि सीओ अमीन के साथ उस जमीन पर गये थे. लेकिन कुछ लोगों के विरोध की वजह से न तो उस जमीन की मापी हो सकी है और न ही परचाधारी सैनिक को उस पर दखल दिलाया जा सका है.
कई बार हो चुका है पत्राचार: सेना के जवान की शिकायत पर जिलास्तर से लगातार सीओ को पत्राचार किया गया है. सूत्र के मुताबिक दखल दिलाने में हो रहे विलंब तथा एसडीओ के रिपोर्ट के आधार पर 30 अप्रैल 2016 को डीएम की अध्यक्षता में बैठक भी हो चुकी है. इसमें एडीएम, एसडीओ, सीओ,डीसीएलआर व सीआई भी मौजूद थे.लेकिन इस बैठक के बाद भी सैनिक को उस जमीन पर दखल नहीं दिलाया जा सका है.
हाईकोर्ट पहुंचा मामला: अधिकारियों से गुहार लगाकर थक चुके सेना के जवान ने इंसाफ नहीं मिलते देख प्रमंडलीय आयुक्त के साथ साथ हाईकोर्ट में गुहार लगायी है. सूत्र बताते हैं सीओ से लेकर डीएम तक को इस मामले में पक्षकार बनाते हुए जवान ने हाईकोर्ट में सीडब्लूजेसी दायर किया है.
एसडीओ की रिपोर्ट से उठ रहे सवाल
विभागीय सूत्र के मुताबिक जिलास्तर से बार बार लिखे जा रहे पत्र के आलोक में गोगरी एसडीओ ने एडीएम को जो अपनी रिपोर्ट भेजी है. उससे कई सवाल खड़े हो गये हैं. इसी मामले में एसडीओ ने मार्च 2016 में यह रिपोर्ट भेजी थी कि सैनिक को परचा के जरिये दी गयी जमीन न तो बसने योग्य है और न ही कृषि योग्य है. बस यहीं से विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गयी. जानकार बताते हैं कि परचा निर्गत करने के पूर्व इन सब की जांच होती है
राजस्व कर्मचारी सीएस,सीओ,डीसीएलआर तथा एसडीओ के स्वीकृति बाद ही डीएम के द्वारा जमीन की बन्दोबस्ती की जाती है. स्वीकृति देने के पूर्व निचले सभी कर्मी व पदाधिकारी जमीन का भौतिक सत्यापण करते है. सवाल यह उठता है कि जब जमीन किसी योग्य था ही नहीं तो कैसे इस जमीन का परचा जारी किया गया. उल्लेखनीय है कि सैनिक को जो परचा मिला है उसपर तत्कालीन एसडीओ के साथ साथ गोगरी डीसीएलआर, गोगरी सीओ , सीआइ तथा हल्का कर्मचारी के भी हस्ताक्षर है.
कहते हैं सेना के जवान
इधर परचाधारी सैनिक ने कहा कि उनके विरुद्ध साजिश हो रही है. कुछ असामाजिक तत्व एवं स्थानीय एक दबंग प्रतिनिधि के इशारे पर उन्हें जमीन पर दखल नहीं दिलाया जा रहा है. अगर एसडीओ साहब यह प्रतिवेदन देते हैं कि जमीन किसी योग्य नहीं है तो वे गड्ढे बाली जमीन में मछली पालन कर सकते हैं वे तो सिर्फ जमीन मांग रहे हैं. उसे भरने या फिर मछली पालन के लिए अधिकारी से पैसे नहीं.
कहते हैं एडीएम
इधर एडीएम ने कहा कि गोगरी सीडीओ से इस मामले में विस्तृत प्रतिवेदन तथा जमीन का वैकल्पिक प्रस्ताव मांगा गया था. प्रतिवेदन अप्राप्त है. पुन: उन्हें प्रतिवेदन के लिए स्मार पत्र भेजा गया है. एसडीओ की विस्तृत रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी.
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