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Kaimur News : पशुपालक अपने मवेशियों की प्यास बुझाने के लिए चले गंगा के किनारे

खंड क्षेत्र अंतर्गत बेलांव, भगवानपुर व सबार मुख्य सड़क भभुआ को जोड़ती है, उसी रास्ते पशुपालक सिंघी, मझियाव, खजुरा, पसाई होते सोहन के रास्ते पुसौली हाइवे को पार कर नदी के आसपास के रास्ते से सकलडीहा सैयदराजा के रास्ते गाजीपुर जमनिया गंगा के किनारे जा रहे है.

Kaimur News : रामपुर. प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत बेलांव, भगवानपुर व सबार मुख्य सड़क भभुआ को जोड़ती है, उसी रास्ते पशुपालक सिंघी, मझियाव, खजुरा, पसाई होते सोहन के रास्ते पुसौली हाइवे को पार कर नदी के आसपास के रास्ते से सकलडीहा सैयदराजा के रास्ते गाजीपुर जमनिया गंगा के किनारे जा रहे है. अधौरा थाना क्षेत्र के दर्जनों गांवों के कई पशुपालक हजारों भैसों को लेकर अप्रैल माह शुरू होते ही पानी के अभाव में चार माह के लिए अपने परिवार व परिजनों से दूर गंगा के किनारे अपने पशुओं के साथ गुजर करने चल निकले हैं. मंगलवार को देखने को यह नजारा देखने को मिला और जब प्रभात खबर प्रतिनिधि ने उन पशुपालकों से जानकारी ली, तो अधौरा थाना क्षेत्र अंतर्गत गांव बभनी, रैता, विठोर, डुमरांव, सड़की, सुड़ा, बांधा, दुग्धा आथन, बहेरा व शील सहित लगभग दर्जनों गांवों के पशुपालक मदन कुमार, शंकर यादव, शर्मा यादव, पलकधारी यादव, विजय यादव सहित लगभग दो दर्जन से भी अधिक लोगों ने सामूहिक रूप से बताया कि मार्च माह के अंत व अप्रैल महीना शुरू होते ही पानी के लिए अधौरा क्षेत्र में हाहाकार मच जाता है. हमलोग को खाने पीने व उपयोग करने के लिए कोसों दूर पानी के लिए कुआं या पहाड़ी के चुआं से पानी लाकर उपयोग करते है. कहा किसी गांव में चापाकल है भी तो वह भी पानी का लेयर नीचे चले जाने से फेल हो जाता है. किसी गांव में लोग सबमर्सिबल लगाये है, उससे भी कुछ लोगों का ही पानी का काम चल पाता है. सरकार द्वारा लगाये गये नलजल से पीने, खाने, नहाने, धोने तक का काम ही किसी तरह हो पाता है. लेकिन पशुओं को पानी पीने की काफी परेशानी हो जाती है. पशुओं की प्यास बुझाने के लिए पानी नहीं मिलता है. हमलोग अधिक से अधिक भैंस पालते हैं और यही हमारी जीविका का मुख्य साधन है. हम सभी पशुपालक सिंघी, मझियांव, खजुरा, पसाई होते सोहन के रास्ते पुसौली हाइवे को पार कर नदी के आसपास के रास्ते से सकलडीहा सैयदराजा के रास्ते गाजीपुर जमनिया गंगा के किनारे पर चार माह अप्रैल, मई, जून जुलाई तक रहेंगे. बरसात शुरू होते ही हमलोग अपने पशुओं के साथ अपने गांव वापस चले आयेंगे. हमलोग विगत शुक्रवार से चले हैं गाजीपुर जमनिया जाने में 20 से 25 दिन लग जाता है. रास्ते के गावों के बधारों में पेड़ बगीचा के छांव में खाते बनाते नदी के तीरे-तीरे भैसों को खिलाते प्यास बुझाते पहुंचते है. लोगों ने यह भी बताया कि सरकार द्वारा कुछ गांवों में बरसात के पानी को रोकने के लिए छोटे छोटे डैम व चक डैम बनाये गये हैं, लेकिन वह भी गर्मी का महीना शुरू होते ही अप्रैल माह में सुख जाता है. वहीं, जब सात निश्चय योजना नलजल के बारे में पूछा गया तो लोग हंसते हुए जवाब दिये जिसको लाभ मिला है वही जाने, हम सब पशुपालकों के पशुओं की प्यास बुझाने के लिए उसका कोई लाभ नहीं मिलता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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