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एक्सप्रेसवे निर्माण में फिर लापरवाही, पीएनसी इंफ्राटेक के खिलाफ केस दर्ज

कंपनी के डंपर की टक्कर से तार व पोल क्षतिग्रस्त, 18 घंटे बाधित रही बिजली

कंपनी के डंपर की टक्कर से तार व पोल क्षतिग्रस्त, 18 घंटे बाधित रही बिजली भभुआ शहर. भारत माला परियोजना के तहत वाराणसी–कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे निर्माण कार्य में पीएनसी इंफ्राटेक लिमिटेड की लापरवाही एक बार फिर सामने आयी है. निर्माण स्थल पर भारी वाहनों की आवाजाही के दौरान छह दिसंबर की रात लगभग 8:50 बजे कंपनी के डंपर की टक्कर से रामपुर प्रखंड के जलखोरा गांव के समीप 11 हजार केवी चौरसिया फीडर के तार और पोल क्षतिग्रस्त होकर गिर पड़े. अचानक हुई इस घटना से पूरे इलाके में बिजली आपूर्ति पूरी तरह ठप हो गयी. सूचना मिलने पर क्षेत्रीय कनीय अभियंता और तकनीकी टीम ने मौके पर पहुंचकर पेट्रोलिंग की, जांच में पाया गया कि तीनों फेज के 11 हजार वोल्ट के तार टूट कर जमीन पर गिर गये थे, जबकि आसपास की विद्युत संरचना भी बुरी तरह प्रभावित हुई थी. विभाग की टीम पूरी रात मरम्मत कार्य में जुटी रही और लगातार प्रयासों के बाद सात दिसंबर को सुबह 03:55 बजे बिजली आपूर्ति बहाल की जा सकी. इस दुर्घटना के कारण चौरसिया फीडर के अंतर्गत आने वाले इलाकों में 18 घंटे 45 मिनट तक बिजली बाधित रही, जिससे हजारों उपभोक्ताओं को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा. बिजली बाधित रहने के कारण करीब 80 वितरण ट्रांसफॉर्मर प्रभावित हुए. दक्षिण बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड को इस घटना से लगभग 4,50,000 रुपये से अधिक का राजस्व नुकसान होने का अनुमान है. विभाग का कहना है कि यह क्षति पूरी तरह पीएनसी की लापरवाही का परिणाम है और इसकी वसूली कंपनी से की जायेगी. विद्युत विभाग ने मामले को गंभीर मानते हुए भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 139 और 140 के तहत पीएनसी इंफ्राटेक लिमिटेड के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. भभुआ के कार्यपालक अभियंता शशिकांत कुमार ने बताया कि पीएनसी की लापरवाही नयी बात नहीं है. उन्होंने कहा चार दिसंबर को भी रामपुर प्रखंड के ठकुरहट गांव में कंपनी के निर्माण कार्य के दौरान ऐसी ही गंभीर लापरवाही हुई थी, जिसमें लगभग नौ घंटे बिजली बाधित रही. अब छह दिसंबर को जलखोरा गांव में पुनः लापरवाही के कारण 18 घंटे बिजली बाधित हुई है. इससे न केवल आमजन को परेशानी हो रही है बल्कि विभाग को भारी राजस्व क्षति भी उठानी पड़ रही है. संबंधित कंपनी के विरुद्ध क्षति का आकलन कर प्राथमिक दर्ज कराने का निर्देश दिया गया है.

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