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दूसरी बार चैनपुर विस सीट से विधायक बने जमा खान ने ली मंत्री पद की शपथ

जमा खान के मंत्री बनने से जिले के विकास को मिलेगी नयी गति

= त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से जमा खा ने राजनीति में रखा था कदम = पंचायती चुनाव व कई बार विधानसभा चुनाव में हारने के बाद भी अपना संघर्ष रखा जारी जमा खान के मंत्री बनने से जिले के विकास को मिलेगी नयी गति भभुआ नगर. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से राजनीति में कदम रखने वाले मो जमा खान ने अपने संघर्ष और लगातार बेहतर प्रयासों के दम पर प्रदेश की राजनीति में एक मजबूत पहचान बनाने का काम किया है. पंचायत चुनाव में शुरुआती हार ने उनके हौसले को कमजोर नहीं किया, बल्कि राजनीतिक सफर को और मजबूत करने की दिशा में उन्हें हमेशा से प्रेरित करता रहा. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में हार के बाद मो जमा खान 2005 में पहली बार विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी के रूप प्रयास किया, लेकिन यहां भी उन्हें निराशा हाथ लगी. इसके बाद 2010 में वह कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे, जहां उन्हें फिर से हार का सामना करना पड़ा. राजनीतिक संघर्ष थमा नहीं, और 2015 के चुनाव में उन्होंने एक बार फिर बसपा का चुनाव चिह्न हाथी थामा, लेकिन लगातार तीसरी बार जनता ने उन्हें मौका नहीं दिया. लगातार तीन-तीन बार विधानसभा चुनावों में हार के बावजूद मो जमा खान ने हार नहीं मानी और अपने क्षेत्र में जनसंपर्क, संगठनात्मक मजबूती और सामाजिक कार्यों पर ध्यान देते रहे. आखिरकार वर्ष 2020 में उनके संघर्ष को सफलता मिली, जब बसपा के टिकट पर उन्होंने चैनपुर विधानसभा सीट पर पहली बार जीत दर्ज की और सदन में पहुंचे. इसके बाद उन्होंने राजनीतिक पाला बदलते हुए जनता दल यूनाइटेड का दामन थाम लिया, जिसके आधार पर उन्हें मंत्री बनने का भी अवसर मिला. जनता के बीच मजबूत पकड़ और संगठन में सक्रियता के कारण उन्हें फिर से 2025 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने टिकट दिया और वह दोबारा चैनपुर विस सीट से विधायक बने. जीत के बाद चौथी बार मंत्री पद की शपथ लेकर उन्होंने अपने राजनीतिक कद को और मजबूत किया है. मो जमा खान का यह सफर बताता है कि लगातार संघर्ष, जमीन से जुड़ाव और जनता का भरोसा किसी भी नेता को ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है. = 2020 विधानसभा चुनाव से 2025 में जमा खान का घटा जनाधार 2015 से 2025 तक मो जमा खान के राजनीतिक ग्राफ पर नजर डालें तो यह स्पष्ट होता है कि उन्होंने एक दशक में मजबूत जनाधार बनाया. हालांकि, 2025 के चुनाव में उनके मतों में गिरावट दर्ज की गयी. 2015 के विधानसभा चुनाव में मो जमा खान बसपा प्रत्याशी के रूप में मैदान में थे, जहां उन्हें 58,242 वोट मिले थे. उस चुनाव में भाजपा उम्मीदवार बृज किशोर बिंद ने 58,913 वोट पाकर बेहद कम अंतर से जीत हासिल की थी. इसके बाद 2020 में राजनीतिक परिस्थितियों ने करवट ली और मो जमा खान ने जोरदार वापसी की. बसपा प्रत्याशी के रूप में उन्हें 95,245 वोट मिले, जबकि भाजपा के बृजकिशोर बिंद को 70,951 वोट मिले थे. इस बार जमा खान ने बड़ी बढ़त से चुनाव जीतकर पहली बार सदन में प्रवेश किया. हालांकि, 2025 के विधानसभा चुनाव में उनकी जीत का अंतर कम हो गया. जेडीयू उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ते हुए मोहम्मद जमा खान को 70,876 वोट मिले, जबकि पाला बदलकर राजद में आये बृजकिशोर बिंद ने 62,514 वोट हासिल किये. इस बार जीत तो मिली, लेकिन 2020 की तुलना में जमा खान के मतों में कमी देखी गयी, जो राजनीतिक विश्लेषकों के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है. फिर भी लगातार दूसरी जीत और मंत्री पद हासिल करने से यह साफ है कि मो जमा खान की राजनीतिक पकड़ अभी भी चैनपुर की जनता के बीच मजबूत बनी हुई है. = मंत्री बनने पर चैनपुर व कैमूर में उत्सव का माहौल मो जमा खान के एक बार फिर मंत्री पद की शपथ लेने के बाद पूरे कैमूर जिले में उत्साह और उल्लास का माहौल देखा जा रहा है. लगातार दूसरी बार विधायक बनने और चौथी बार मंत्री बनने से समर्थकों और स्थानीय जनता में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है. चैनपुर, भभुआ और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों ने ढोल-नगाड़ों के साथ खुशी जाहिर की. वहीं, जमा खान के समर्थकों ने मिठाई बांटकर एक-दूसरे को बधाई दी. स्थानीय लोगों का कहना है कि कैमूर से मंत्री बनने से जिले के विकास को नयी गति मिलेगी. कई सामाजिक संगठनों ने भी उनके चयन का स्वागत किया और इसे कैमूर की राजनीतिक मजबूती का संकेत बताया. जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंड स्तर तक समर्थकों में यह उम्मीद दिखी कि मंत्री बनने के बाद मो जमा खान क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, सिंचाई और रोजगार से जुड़े कामों को और तेज गति देंगे. उनके पिछले कार्यकाल में किये गये पहल और जनसंपर्क को लोग आज भी सराहते हैं. कैमूर की जनता का मानना है कि लगातार संघर्ष और क्षेत्र के प्रगति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ही उन्हें इस मुकाम तक लायी है. मंत्री पद मिलने के बाद जिले में यह उम्मीद और मजबूत हुई है कि आने वाले दिनों में कैमूर के विकास कार्यों को विशेष प्राथमिकता मिलेगी.

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