रामगढ़. शिक्षा की ऊंची उड़ान भरने व देश के भविष्य कहे जाने वाले बच्चे इन दिनों जान जोखिम में डाल स्कूली वैन या ऑटो जैसे वाहनों से भेड़ बकरियों की तरह ठूस कर विद्यालय की डगर तय करने को मजबूर हैं. अपनी जान से भी ज्यादा प्यारे बच्चों की उच्च तालीम को लेकर अभिभावक मेहनत की गाढ़ी कमाई से बच्चों का नामांकन अंग्रेजी विद्यालयों में इसलिए कराते है, ताकि बच्चे शिक्षित हो और उनका भविष्य सुखमय हो सके, किंतु घरों से विद्यालय जाने वाले बच्चे वैन में किस तरह विद्यालय पहुंच रहे इसे देखने के लिए ना तो परिवहन विभाग के पदाधिकारी संवेदनशील हैं, ना ही अभिभावक इसका विरोध कर रहे हैं. जबकि, ऐसे में सड़क हादसे के दौरान बच्चों के घायल होने या किसी अनहोनी पर मातम मनाने के लिए सारे लोग पहुंच जाते हैं, लेकिन जब अफसोस करने के अलावा कुछ हासिल नहीं होता है. कुछ ऐसा ही नजारा शुक्रवार की अहले सुबह दुर्गा चौक पर देखने को मिला, जहां एक तीन पहिया वाहन टेंपो के अंदर भेड़ बकरियों की तरह उनमें से भी कुछ असुरक्षित तरीके से बाहर की तरफ लटककर बैठे बच्चे स्कूल जाते दिखे. समय रहते ऐसे स्कूल वैन व प्राइवेट वाहनों पर लगाम नहीं लगायी गयी तो इसके घातक परिणाम भी सामने आ सकते हैं.
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