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करोड़ों खर्च, पर नहीं सुधरी शहर की सूरत
नगर पर्षद द्वारा शहर में नाली व गली के निर्माण में करोड़ों रुपये खर्च किये जा चुके हैं. लेकिन, इतनी राशि खर्च करने के बावजूद शहर में कही भी नालों की स्थिति ठीक नहीं है. प्रतिदिन नालों की सफाई नहीं किये जाने से वार्डों व मुहल्लों में जाम नाले के गंदे पानी ने तालाब का […]
नगर पर्षद द्वारा शहर में नाली व गली के निर्माण में करोड़ों रुपये खर्च किये जा चुके हैं. लेकिन, इतनी राशि खर्च करने के बावजूद शहर में कही भी नालों की स्थिति ठीक नहीं है.
प्रतिदिन नालों की सफाई नहीं किये जाने से वार्डों व मुहल्लों में जाम नाले के गंदे पानी ने तालाब का रूप ले लिया है. शहर में एस्टीमेट के अनुसार ठेकेदारों द्वारा कार्य नहीं कराये जाने व नगर पर्षद के अधिकारियों द्वारा इस पर बरती गयी अनदेखी ने शहरवासियों का जीना मुहाल कर रखा है.
भभुआ (सदर) : भभुआ शहर को जिला मुख्यालय बने करीब 25 साल हो गये हैं. लेकिन, आज भी इस शहर में नाली व नालों की व्यवस्था काफी खराब है. इस शहर के लोगों को अब भी बड़े शहरों की तरह ड्रेनेज व सीवरेज की व्यवस्था का इंतजार है. शहर के विभिन्न वार्डों व मुहल्लों में नाली निर्माण पर अब तक नप द्वारा 10 करोड़ से अधिक रुपये खर्च कर चुकी है. लेकिन, करोड़ों खर्च किये जाने के बावजूद शहर में बने मुख्य नाले सहित नालियों की स्थिति आज भी जर्जर है.
स्थिति आज यह हो चुकी है कि शहर के कई मुहल्लों व मुख्य रोड के किनारे बनी नाली और गली टूट कर पूरी तरह से या तो ध्वस्त हो चुकी है या फिर नाले पर ढक्कन टूट जाने के चलते उसमें कूड़ा कचरा जाकर उसको पूरी तरह से जाम कर दिया है.
अब जाम व ध्वस्त हो चुके नालों के निकला गंदा पानी सड़कों पर फैल रहा है या फिर शहर में खाली पड़े प्लॉटो में एकत्रित हो रहा है. शहर के दिलीप सिंह, प्रदीप कुमार, राजन लाल का कहना था कि नप और शहर में नालों का निर्माण कराये संवेदकों के सांठ-गांठ के चलते एस्टीमेट के अनुसार नालों का निर्माण नहीं कराया गया है.इसके चलते नाले अक्सर जाम रहते हैं या फिर ध्वस्त हो जा रहे हैं.
तैयार किया जा रहा मास्टर प्लान : शहर में नालों के निकले गंदे पानी और इससे हो रहे आम लोगों की समस्या पर नप सभापति बजरंग बहादुर सिंह ने भी स्वीकार किया कि पूर्व में नाला व नालियों के निर्माण में संवेदकों द्वारा एस्टीमेट के अनुसार कार्य न कराते हुए अनियमितता बरती गयी है शहरवासियों को इस समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए नप द्वारा सीवरेज व ड्रेनेज सिस्टम के लिए मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है. जल्द ही लोगों को जाम नालों व जल जमाव से छुटकारा दिलाने का प्रयास किया जायेगा.
11 करोड़ से अधिक रुपये हो चुके हैं खर्च
शहर में नप व पीएचइडी द्वारा लगभग 11 करोड़ की अधिक राशि से गली व नाली का निर्माण कराया गया है, जिसमें पीएचइडी विभाग द्वारा 2 करोड़ की राशि से सुअरन नदी से कुबेर कॉम्प्लेक्स तक, 87 लाख रुपये से कुबेर कॉम्प्लेक्स से एकता चौक तक, दो करोड़ रुपये से एकता चौक से अखासपुर बस स्टैंड तक मुख्य नाले का निर्माण कराया गया था. इसके अलावा करीब सभी मुहल्लों में लाखों की लागत से नालियों का निर्माण कराया गया था.
लेकिन अधिकारियों की अनदेखी और निर्माण कराये ठेकेदारों के एस्टीमेट के अनुसार कार्य नहीं कराये जाने और मिलीभगत से अनियमितता बरतने के चलते मुख्य नाला व नालियां ध्वस्त हो चुकी हैं या फिर उनसे गंदे पानी की निकासी नहीं हो पा रही. इसके चलते जाम नाले का गंदा पानी या तो सड़कों पर आ जा रहा है. या फिर जलजमाव की समस्या बन जा रही है.
लेकिन, आम लोगों को हो रही परेशानियों से बेफिक्र नप अधिकारियों द्वारा इस समस्या का कोई भी हल अब तक नहीं ढूढ़ा जा सका है और न ही नाले व नालियों के निर्माण में संवेदकों द्वारा बरती गयी अनियमितता पर कोई कार्रवाई ही की जा सकी है.
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