जमुई . बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के नेतृत्व में बुधवार को खैरा प्रखंड अंतर्गत मैनीजोर गांव में पशुपालकों के बीच देशज तकनीकी जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में पशु पालन विशेषज्ञ डॉ सरोज कुमार ने देसी तकनीकों की उपयोगिता और महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि सामान्य बीमारियों की स्थिति में तुरंत रासायनिक दवाओं का प्रयोग उचित नहीं होता. देसी उपायों से भी पशुओं का उपचार संभव है. जैसे– पशुओं को छींक आने पर सरसों तेल में हल्दी मिलाकर देना तथा पेट की खराब की स्थिति में गुड़हल का फूल खिलाना, जैसे उपाय काफी कारगर सिद्ध होते हैं. इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र, जमुई के प्रमुख डॉ सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि यह कार्यक्रम बिहार सरकार के जैव विविधता परिषद के सहयोग से संचालित हो रहा है. समय-समय पर इसे जिले के अन्य प्रखंडों में भी आयोजित किया जायेगा. डॉ सिंह ने पशुपालकों को संबोधित करते हुए कहा कि सुदूर गांवों में पशु चिकित्सकीय सुविधा की कमी एक बड़ी चुनौती है. इसे देखते हुए बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा एक विशेष टीम तैयार की गई है, जो प्रत्येक माह दो बार ज़ूम मीटिंग के माध्यम से राज्य के पशुपालकों से संवाद स्थापित करती है. उन्होंने कहा कि व्हाट्सएप समूह के माध्यम से पशुपालक अपने बीमार पशुओं की फोटो और वीडियो भेजकर विशेषज्ञ चिकित्सकों से निःशुल्क सलाह प्राप्त कर सकते हैं. यह समूह पूरे राज्य के पशुपालकों को जोड़ने का एक माध्यम है. कार्यक्रम के दौरान डॉ. सिंह ने प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. निर्मल सिंह दहिया का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस पहल की शुरुआत जमुई जिले से करना एक सराहनीय कदम है. कार्यक्रम में त्रिवेणी सिंह, सुरेश सिंह, चमन मुर्मू सहित कई पशुपालक उपस्थित रहे.
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