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शिक्षा की लचर व्यवस्था से भविष्य का हो रहा बंटाधार

जिले में अधर में लटका नौनिहालों का शिक्षित होने का सपना जमुई : देश का भविष्य कहे जाने वाले बच्चों के अच्छे भविष्य का आधार टिका होता है बेहतर शिक्षा प्रणाली पर. बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त कर अपने भविष्य को संवारने में जुटे होते हैं. परंतु इन दिनों जिले में शिक्षा की व्यवस्था को देखकर […]

जिले में अधर में लटका नौनिहालों का शिक्षित होने

का सपना
जमुई : देश का भविष्य कहे जाने वाले बच्चों के अच्छे भविष्य का आधार टिका होता है बेहतर शिक्षा प्रणाली पर. बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त कर अपने भविष्य को संवारने में जुटे होते हैं. परंतु इन दिनों जिले में शिक्षा की व्यवस्था को देखकर यह कहा जा सकता है कि बच्चों के उज्जवल भविष्य का सपना अधर में लटक जाएगा. जिले में 1704 प्राथमिक से लेकर मध्य विद्यालय तक संचालित होते हैं. उन विद्यालयों में लाखों की संख्या में बच्चे नामांकित हैं.
परंतु कहीं विद्यालय प्रबंधन की मनमानी तो कहीं विद्यालय प्रशासन का दोष. कहीं बच्चों की गलती हो या उनके अभिभावकों की कमी. सभी बिंदुओं पर अगर गौर किया जाये तो इसका सीधा असर बच्चों की शिक्षा पर ही पड़ता प्रतीत होता है. प्रभात खबर ने जब इस बाबत युवाओं की राय जाननी चाहिए तो, युवाओं ने शिक्षा व्यवस्था को सुधारने तथा जिले में शिक्षा की गिरती व्यवस्था पर अपनी बेबाक राय प्रस्तुत की.
बंद हो राजनीतिक दखलंदाजी
पीजी की छात्रा विद्या सिंह बताती हैं कि सूबे की शिक्षा व्यवस्था शुरू से ही राजनीतिक दखल अंदाजी का शिकार होती रही. है जो कहीं ना कहीं गिरती शिक्षा व्यवस्था में एक बहुत बड़ा रोल भी अदा करता रहा है. हालांकि बीते शासनकाल में बड़े पैमाने पर शिक्षकों की बहाली की गई थी. परंतु उन शिक्षकों में किसी के पास शैक्षणिक योग्यता की कमी है, तो किसी को पढ़ाने का अनुभव नहीं है. कहीं गुणवत्ता की कमी है तो कही सिस्टम का आभाव और कहीं बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है. पैसे की बढ़ती भूख एवं विद्यार्थियों के बीच पनपती सक्सेस एट एनी कॉस्ट की परंपरा ने शिक्षा व्यवस्था व परीक्षा प्रणाली को पूरी तरह से मजाक बना दिया है. जिस वजह से कभी लालकेश्वर तो कभी परमेश्वर जैसे कांड सामने आ रहे हैं. और इसने शिक्षा व्यवस्था को कलंकित भी किया है. जिससे लाखों विद्यार्थियों के भविष्य का बंटाधार हो गया है. विद्या बताती हैं कि मेरे हिसाब से अगर शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करना है तो सबसे पहले उसमें राजनीतिक दखल अंदाजी को बंद करना होगा. और 75 प्रतिशत उपस्थिति के नियम का सख्ती से अनुपालन करना होगा.
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आधारभूत संरचनाओं के बिना बदलाव संभव नहीं
बैंकिंग के छात्र दीपक विश्वकर्मा बताते हैं कि जब तक जिले में आधारभूत संरचनाओं का विकास नहीं किया जायेगा शिक्षा का विकास संभव नहीं है. बच्चे विद्यालय जाते हैं, परंतु विद्यालय भवन की कमी के कारण उन्हें शिक्षा प्राप्त करने में काफी कठिनाइयो का सामना करना पड़ता है. वही कुछ विद्यालय ऐसे भी हैं जहां भवन निर्माण तो हो गया है परंतु उनमे शैक्षणिक व्यवस्था को अभी तक बहाल नहीं किया जा सका है. जिस वजह से भी बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं. यदि इन सब चीजों को दूर किया जा सके तो शिक्षा व्यवस्था निश्चित तौर पर जिले में सुधारी जा सकेगी.
शिक्षक-अभिभावक का हो मेल
इंजीनियरिंग के छात्र सुमित चौरसिया बताते हैं कि जब तक शिक्षक और अभिभावक एक होकर बच्चों के भविष्य को संवारने की पहल नहीं करेंगे बच्चे शिक्षित नहीं हो सकते. जिले में स्थित यह हो गई है कि किसी भी विद्यालय में शिक्षक अभिभावक आपस में बैठकर मंत्रणा नहीं करते. जबकि निजी विद्यालयों में यह चीज अक्सर देखने को मिल जाती है. जहां टीचर पेरेंट्स मीटिंग का आयोजन किया जाता है जिसमे अभिभावक अपने बच्चों की परेशानियां शिक्षकों को बताते हैं तथा शिक्षक उनके बच्चों को उनके बच्चों की बात अभिभावकों तक रखते हैं. यदि ऐसी ही व्यवस्था सरकारी विद्यालयों में भी शिक्षक अपने स्तर से लागू करें तो निश्चित तौर पर आने वाले समय में उज्जवल भविष्य का जो सपना बच्चे देख पा रहे हैं उन्हें पूरा करने में उन्हें बल मिलेगा.
स्कूल प्रबंधन की मनमानी वजह
विपुल कुमार सिंह बताते हैं कि जिले में यूं तो लगभग सभी विद्यालयों में विद्यालय प्रबंधन की कोताही कहीं ना कहीं देखने को मिल ही जाती है. परंतु कई विद्यालय ऐसे भी हैं जहां विद्यालय प्रबंधन की मनमानी के कारण बच्चे शिक्षित नहीं हो पा रहे हैं. शिक्षक समय पर विद्यालय नहीं आ पाते हैं या फिर विद्यालय प्रबंधक कई दिनों तक विद्यालय से गायब रहते हैं. मध्याह्न भोजन योजना का संचालन सही तरीके से नहीं हो पाता है. बच्चों को सही समय पर छात्रवृत्ति और पोशाक की राशि भी नहीं मिल पाती है. जिस कारण गरीब बच्चे जो कि अपने शिक्षा के खर्चों का वाहन नहीं कर सकते. उनके सामने बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो जाती है. जब तक इस व्यवस्था में सुधार नहीं लाया जा सकेगा शिक्षा व्यवस्था नहीं सुधार सकती.

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