राजापाकर. विधानसभा चुनाव समाप्त होते ही प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न चौक-चौराहों पर हार-जीत पर विश्लेषण हो रहा है. सुबह से शाम तक लोग चाय की दुकान पर जाते हैं एवं जो जिस दल के हैं उसके जीत का दावा कर रहे है. वही 14 नवंबर को मतों की गिनती उपरांत ही पता चलेगा की किसकी हार किसकी जीत होती है. मालूम हो की राजापाकर विधानसभा क्षेत्र से 14 प्रत्याशी मैदान में है. सभी का भाग्य 6 नवंबर को हुए मतदान उपरांत इवीएम में कैद हो गया है.
कांग्रेस व सीपीआइ के बीच मुख्य मुकाबला
सभी प्रमुख दल अपने-अपने जीत के दावे कर रहे हैं. एनडीए से जदयू के प्रत्याशी महेंद्र राम, महागठबंधन के प्रत्याशी पूर्व विधायक प्रतिमा कुमारी एवं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महागठबंधन के ही प्रत्याशी मोहित पासवान के बीच मुख्य मुकाबला है. लड़ाई त्रिकोणीय है देखना है कौन बाजी मारता है. महागठबंधन के दो प्रत्याशी खड़ा होने से वोट उनके आपस में बटने की संभावना है . किसके कारण एनडीए को फायदा मिल सकता है. जिसकी चर्चा चारों तरफ हो रही है .महागठबंधन प्रत्याशी प्रतिमा कुमारी को प्रखंड के राजद कार्यकर्ताओं द्वारा टिकट मिलने से पूर्व से विरोध हो रहा हो रहा था जिसके कारण राजद के कुछ वोट मोहित पासवान को भी नाराज लोगों ने दिया है. जिसका फायदा एनडीए प्रत्याशी महेंद्र राम को मिल सकता है. हालांकि कट्टर राजद मतदाता महागठबंधन प्रत्याशी प्रतिमा कुमारी को ही वोट किया है. चुकी वे तेजस्वी एवं लालु के हाथों को मजबूत करना चाहते हैं. तेजस्वी को बिहार का मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं. इसलिए राजद के कोर भोर ने प्रतिमा कुमारी को ही वोट किया है. अनेक लोगों ने नाम नहीं बताने की शर्त पर दबी जुबान से बताया कि पूर्व विधायक प्रतिमा कुमारी के 5 साल के कार्यकाल में राजद कार्यकर्ताओं का अनदेखी की. जबकि, कार्यकर्ताओं ने पिछले चुनाव में भरपूर मदद कर उन्हें विधानसभा पहुंचाया. इस बार के चुनाव में भी राजद के कार्यकर्ताओं को पूछा नहीं गया.
महेंद्र राम को एनडीए ने दिया पूरा समर्थन
वहीं पिछले चुनाव में 1600 मतों से हारने वाले महेंद्र राम ने इस बार के चुनाव में दमखम के साथ चुनाव लड़ा. एनडीए कार्यकर्ता का उन्हें भरपूर सहयोग मिला. जन सुराज से बेरई पंचायत के पूर्व मुखिया मुकेश राम प्रत्याशी हैं .लेकिन जिस गति से चुनाव में पूर्व में बे दम खम दिख रहे थे . चुनाव की घोषणा होने के बाद शिथिल पर गए. विधानसभा क्षेत्र में अन्य दलो की अपेक्षा उनका प्रचार प्रचार भी नहीं देखा गया.वही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के मोहित पासवान भी चुनाव में जोर आजमाईस किया. महागठबंधन के राजद कार्यकर्ताओं का भी उन्हें वोट मिलने की संभावना है. शुरू में राजद के भी अनेक कार्यकर्ता उनके साथ दमखम के साथ दिखे. लेकिन चुनाव के दो दिन पहले उसमें भी फूट देखी गई. कुल मिलाकर लड़ाई त्रिकोणीय है.
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