महनार. महनार अंचल की गोरिगामा पंचायत के शाहपुर मौजा (थाना संख्या 614) के ग्रामीणों ने चकबंदी के आधार पर ही सर्वे कराने की मांग को लेकर जिलाधिकारी को आवेदन सौंपा है. आवेदन में कहा गया है कि शाहपुर मौजा का चकबंदी संपुष्टि 31 मार्च 1982 को संपन्न हो चुका है तथा 26(क) अधिसूचना संख्या 452 के तहत 7 जून 1990 को इसे अधिसूचित भी किया गया था. ग्रामीणों ने बताया कि चकबंदी नक्शा और खतियान के अनुसार सभी रैयत अपनी-अपनी जमीन पर दखल कब्जा किए हुए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि वर्षों से वे अपने दखल कब्जा की भूमि पर मकान बनाकर तथा सैरात लगाकर जीवनयापन कर रहे हैं. गांव में सड़क और भवन का निर्माण भी चकबंदी के आधार पर ही किया गया है. रैयतों ने यह भी बताया कि पूर्व में राजस्व कर्मचारी द्वारा चकबंदी के अनुरूप ही लगान रसीद निर्गत की जाती थी, जिसकी सूचना तत्कालीन डीएम और डीसीएलआर को दे दी गयी थी. ग्रामीणों ने कहा कि वर्तमान में चल रहे सर्वे महाअभियान को लेकर रैयतों में है कि वर्षों से दखल-कब्जा की स्थिति कहीं बदल न जाए. इसको लेकर शाहपुर मौजा (हल्का संख्या 4) के रैयतों ने जिलाधिकारी से मांग की है कि चकबंदी नक्शा और खतियान के आधार पर ही लगान रसीद जारी की जाए. आवेदन देने वालों में पूर्व सरपंच कमल कुमार सिंह, सुनील कुमार झा, सच्चिदानंद सिंह, शिवनाथ यादव, दिनेश कुमार सिंह आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं.
हसनपुर बिसाई में भी उठी आवाज
इसी तरह की समस्या महनार अंचल के पहाड़पुर पंचायत के हसनपुर बिसाई मौजा के रैयत भी झेल रहे हैं. यहां के कपिलेश्वर सिंह, प्रभुनाथ सिंह, अशोक कुमार सिंह, मुन्ना सिंह, धीरेंद्र सिंह सहित सैकड़ों ग्रामीणों का कहना है कि सरकार ने चकबंदी प्रक्रिया के बाद उन्हें उनकी भूमि का दखल कब्जा दे दिया था. ग्रामीणों ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी कर उनकी दुविधा समाप्त करे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

