हाजीपुर. शहर के मस्जिद चौक स्थित जिला केंद्रीय पुस्तकालय, जो यहां की धरोहरों में एक है, का जीर्णोद्धार हुआ, लेकिन इसके बंद रहने से लोगों में मायूसी है. महीनों से लोग इसके खुलने का इंतजार कर रहे हैं. नये भवन में बेतरतीब ढंग से तथा बोरियों में भर कर रखी गयी किताबें और गेट पर लटके ताले पुस्तकालय की दुर्दशा बयां कर रही हैं. पुस्तकालय के जीर्णोद्धार के लिए राजा राममोहन राय लाइब्रेरी फाउंडेशन, कोलकाता की ओर से लगभग 78 लाख रुपये दिये गये. इस राशि में से करीब 33 लाख रुपये खर्च कर पुस्तकालय का नया भवन बनाया गया है. बीते साल बनकर तैयार हुए नये भवन में आज तक पुस्तकालय का संचालन शुरू नहीं हुआ. भवन तो बन गया, लेकिन इसके अंदर न कोई उपस्कर, न ही किताबें रखने की व्यवस्था की गयी है. पुस्तकालय में बची-खुची 15 हजार से अधिक किताबें हैं, बोरों में बंद पड़ी हैं.
शहर के दूर इलाकों से लोग यहां आते थे पढ़ने
जिलाधिकारी यशपाल मीणा की पहल और प्रयास से पुस्तकालय के जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण का काम शुरू हुआ, लेकिन भवन निर्माण से आगे नहीं बढ़ा. स्थानीय लोगों का कहना है कि करीब 88 साल पुराना यह पुस्तकालय शहर की समृद्ध सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है. दशकों से बंद पड़ा पुस्तकालय कुछ साल पहले तक यदा-कदा ही खुलता था. कभी शहर के दूरस्थ इलाके, चंद्रालय, बलवा कुआरी, दिग्घी से लेकर हथसारगंज और युसुफपुर से जढुआ तक के लोग यहां हर शाम जुटते थे. तब बिजली नहीं थी, लेकिन लालटेन जलाकर हर शाम वाचनालय चलता था. बाद में लालटेन की जगह पेट्रोमेक्स जलने लगा. रोजाना 40 से 50 लोग जुटते थे. यहां आने वालों में शहर के बुद्धिजीवी, समाजसेवी और छात्र शामिल होते थे. सृजन, संस्कृति और सामाजिक सरोकार की बातें होती थीं.सीवान के पुस्तकालयध्यक्ष 2016 से प्रभार में
पुस्तकालय प्रबंध समिति में जिलाधिकारी अध्यक्ष और जिला शिक्षा पदाधिकारी सचिव हैं. जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (माध्यमिक शिक्षा), जीए इंटर विद्यालय के प्राचार्य और लाइब्रेरियन के अलावे 10 पाठक प्रबंध समिति के सदस्य होते हैं. पुस्तकालय में तीन पद स्वीकृत हैं, जिनमें पुस्तकाध्यक्ष, सहायक पुस्तकाध्यक्ष और रात्रि प्रहरी हैं शामिल हैं. लेकिन, ये तीनों पद खाली हैं. सीवान के पुस्तकाध्यक्ष वर्ष 2016 से यहां के प्रभार में हैं. प्रभारी पुस्तकाध्यक्ष भोगेंद्र झा ने बताया कि वे तीन जिलों के प्रभार में हैं और सीवान से यहां सप्ताह में एक-दो बार आते हैं. वर्तमान में पुस्तकालय प्रबंध समिति का गठन नहीं किया गया है.1937 में पुस्तकालय की हुई थी स्थापना
करीब 88 साल पहले 1937 में पुस्तकालय की स्थापना हुई थी. तब इसका नाम श्रीकृष्ण पुस्तकालय था. देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद ने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन पुस्तकालय का उद्घाटन किया था. स्थानीय भरत राउत मुहल्ला निवासी विश्वनाथ प्रसाद सिंह, पूर्व सांसद राजेश्वर पटेल, पूर्व मंत्री वीरचंद पटेल, प्रभु नारायण चौबे, डॉ राजेंद्र सिंह, गुलजार पटेल, राय बहादुर रामशंकर, नगरपालिका के पूर्व चेयरमैन सूर्यदेव प्रसाद, राम स्वरूप बूबना, राम वल्लभ बूबना, रामजी शर्मा, चौधरी ब्रजमोहन जैसे नामचीन स्वतंत्रता सेनानी और समाजसेवी इसके संस्थापकों में थे. पुस्तकालय के लिए कटरा निवासी राधाकृष्ण साहू ने दान में अपनी जमीन दी थी.नष्ट हो गये पुराने दस्तावेज
1960 के दशक के अंत में पुस्तकालय को सरकारी घोषित कर दिया गया और इसका नाम श्रीकृष्ण पुस्तकालय से बदल कर जिला केंद्रीय पुस्तकालय हो गया. जानकार बताते हैं कि जब सरकार को यह पुस्तकालय सौंपा गया, तब इसमें लगभग 22 हजार किताबें थीं, जिनमें कई दुर्लभ और हस्तलिखित पुस्तकें भी शामिल थीं. पुस्तकालय से जुड़े रहे बड़े-बुजुर्ग बताते हैं कि यहां के सारे पुराने दस्तावेज नष्ट हो गये. बहुमूल्य किताबें सड़ गयीं. कई ऐसी कलाकृतियां, जो पुस्तकालय की शोभा बढ़ाती थीं, नष्ट हो गयीं. वरीय अधिवक्ता शशिभूषण प्रसाद श्रीवास्तव, साहित्यकार शंभु शरण मिश्र, हरिशंकर तिवारी, दीपक कुमार समेत अन्य लोगों ने पुस्तकालय बंद रहने पर नाखुशी जाहिर की.बिल्डिंग बनाकर बाकी काम छोड़ दिया गया
जिला केंद्रीय पुस्तकालय शहर की एक साहित्यिक-सांस्कृतिक धरोहर है. इसका कायाकल्प होने से बुद्धिजीवियों और सामाजिक सरोकार से जुड़े लोगों में खुशी है. लेकिन, पुस्तकालय खुले और नियमित रूप से इसका संचालन हो, यह जरूरी है. प्रशासन इस पर ध्यान दे.रविभूषण प्रसाद श्रीवास्तव
पुस्तकालय का नया भवन बना तो लोगों के मन में इसकी पुरानी रौनक लौटने की उम्मीद जगी. पुस्तकालय नहीं खुलने से उम्मीद पर पानी फिरता नजर आ रहा है. पूर्णोद्धार के नाम पर लाखों रुपये खर्च हुए, लेकिन लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा.शंकर प्रसाद
इस पुस्तकालय से हमारा गहरा लगाव रहा है. मेरे पिता भी इसके नियमित पाठक रह चुके हैं. इसका जीर्णोद्धार हुआ तो लगा कि बंद पड़ा पुस्तकालय फिर से चल पड़ेगा, लेकिन अब निराशा हो रही है. इसका नियमित रूप से संचालन यथाशीघ्र शुरू होना चाहिए.कमल कुमार
पुस्तकालय की बिल्डिंग बनाकर बाकी काम छोड़ दिया गया है. इसके अंदर की व्यवस्था दुरुस्त कर पाठकों के लिए इसे नियमित रूप से खोलने की जरूरत है. प्रशासन इस पर ध्यान देकर जो भी कमियां हैं, अविलंब पूरी करे और इसे चालू कराए.
विक्कू गुप्ताB
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