बिदुपुर. हाजीपुर का केला पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. इस क्षेत्र के मालभोग, चिनिया, अल्पान आदि प्रजाति के केला की मांग दूसरे प्रान्तों में काफी है. परंतु विगत कई वर्षों से निरंतर आ रही प्राकृतिक आपदा के कारण किसानों को काफी क्षति उठानी पड़ रही है. जबकि इस क्षेत्र के किसानों की आर्थिक स्थिति केला बगान की स्थिति पर ही निर्भर है. सरकार के द्वारा केला उत्पादक किसानों को फसल बीमा का लाभ भी नहीं दिया जाता है. जिससे केले की खेती करने वाले किसान केले की फसल से मुंह मोड़ रहे हैं और वैकल्पिक खेती की तलाश में लगे हैं. वर्तमान समय में जिले के जढुआ, सहदुल्लहपुर, तरेसिया, सरायपुर सैदपुर गणेश, पानापुर धर्मपुर, कंचनपुर, रजाशन, पकौली, भौरोपुर, माईल, दाउदनगर, खिलवत, बिदुपुर, रामदौली, शीतलपुर कमालपुर, विशनपुर, अमेर, कर्मोपुर, नावानगर, मधुरापुर, पानापुर दिलावरपुर, मथुरा, मजलिशपुर, गोखुला, चेचर, कुत्तुबपुर, बाजित्तपुर, मनियारपुर आदि गांवों में केला की खेती की जाती है.
केला संबंधी उद्योग नहीं होने से बढ़ी परेशानी
वर्तमान समय में पूरे प्रखंड में लगभग 3250 हेक्टेयर भूमि पर केला की खेती की जाती है.फसल के उत्पादन में लागत वृद्धि, कीट व्याधि का प्रकोप एवं बाजार की समस्या के कारण धीरे-धीरे किसान केला की खेती से मुंह मोड़ रहे हैं. प्राकृतिक प्रकोप के समय भी किसानों को सरकार द्वारा किसी प्रकार की सहायता नहीं दी जाती है. वर्तमान समय में यह केला की खेती घाटे का सौदा साबित हो रहा है. उत्पादन लागत अधिक होने के कारण भी केले की खेती करने वाले किसान परेशान हैं. केला पकाने की व्यवस्था भी हाजीपुर में कहीं नहीं है और न ही केला से चिप्स, पाउडर आदि बनाने के संयंत्र उपलब्ध हैं.हरिहरपुर में केला अनुसंधान केंद्र होने के बावजूद भी केला उत्पादक किसानों को लाभ नहीं मिल रहा है. वहीं मालभोग प्रजाति भी समाप्त होने के कगार पर है.
क्या कहते हैं अधिकारी
केले की फसल में बर्मी कंपोस्ट का प्रयोग कर किसान कम लागत में दोगुना मुनाफा कमा सकते है. इस फसल में लग रहे बीमारी को लेकर कृषि वैज्ञानिकों को अवगत कराया गया है, जल्द ही कोई ठोस निष्कर्ष निकलेगा जिससे किसानों को काफी राहत होगी.
अजीत कुमार शर्मा,
प्रखंड कृषि पदाधिकारी, बिदुपुरडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

