फोटो- गया- 01- तालाब में कचरा जलाकर तार निकालते निगमकर्मी फोटो- गया- 02- गोबर का फैला हुआ उपला फोटो- गया- 03- सारिका वर्मा, पार्षद वार्ड नंबर 37 वरीय संवाददाता, गया गया को तालाबों का शहर कहा जाता है और यहीं सबसे अधिक तालाबों की अनदेखी की जा रही है. शहर के प्रमुख तालाबों में एक बिसार तालाब की हालत बहुत खराब दिख रही है. एक ओर निगमकर्मी तालाब में कचरा जलाते हुए नजर आये, तो दूसरी तरफ गोबर का उपला ठोका हुआ दिखा. वहीं, तीसरी ओर कब्जा कर खटाल का संचालन किया जाता है. वहीं, तालाब की जमीन पर बाहरी हिस्से में कब्जा करके दुकान चलायी जा रही है. इस तालाब की स्थिति देख कर साफ लगता है कि जल संरक्षण को लेकर यहां काम के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही की गयी है. लोगों ने बताया कि इस तालाब का निर्माण गया में सूखा पड़ने के समय किया गया था, पर एक दशक से स्थिति खराब है. अधिकारी व जनप्रतिनिधियों का कोई ध्यान इस ओर नहीं जाता है. क्या कहते हैं कचरा जला रहे निगमकर्मी कचरा जलाते समय उनसे सवाल किया गया, तो अपना नाम उमेश बताते हुए साफ तौर पर कहा कि यहां कचरा जलाकर तार निकाल रहे हैं. ताकि, इसे बेच कर कुछ पैसे पा सकें. कचरा जलाने पर यहां कोई कुछ नहीं कहता है. प्रदूषण फैलने की बात बताने पर कर्मचारी ने कहा कि प्रदूषण क्या होता है उसे नहीं पता है. बैठकों में कई बार लिया जा चुका है सौंदर्यीकरण का फैसला निगम बोर्ड व स्टैंडिंग की बैठक में कई बार तालाबों के सौंदर्यीकरण का फैसला लेने की बात मीडिया को बतायी गयी है. इसके बाद भी इस तालाब को अतिक्रमणमुक्त करने के लिए कार्रवाई नहीं की गयी. सौंदर्यीकरण शब्द से इस तालाब को कोसों दूर रखा गया है. हर बार सिर्फ बैठकों में तालाबों के सौंदर्यकरण के काम को प्रमुखता से गिनाया जाता है. अब तक मिला सिर्फ आश्वासन बिसार तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए बोर्ड की बैठक में कई बार आवाज उठायी. इसके अलावा अधिकारी व मेयर को कई बार लिख कर भी दिया गया. इसके बाद भी तालाब के सौंदर्यीकरण पर ध्यान नहीं दिया गया. काम जल्द शुरू करने का आश्वासन ही अब तक मिला है. सारिका वर्मा, पार्षद, वार्ड नंबर 37- फोटो- गया- 03
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