गया. शहर के गांधी मैदान को हाल के दिनों में संकीर्ण करने की कोशिश की जा रही है. कुछ वर्ष पहले ही हाइकोर्ट ने गांधी मैदान से पूरी तौर से अतिक्रमण हटाने के साथ नयी बिल्डिंग नहीं बनाने का भी निर्देश दिया था. उस वक्त कोर्ट के आदेश पर जिला प्रशासन व नगर निगम मिल कर अतिक्रमण को हटाने के लिए अभियान चलाया था. कई विभाग की बिल्डिंग को भी यहां से हटाया गया था. उसके बाद मामला शिथिल पड़ गया. फिलहाल देखा जाये, तो एक बार फिर से इसमें कई तरह के निर्माण किये जा रहे हैं. इससे पहले अंदर में ही तालाब बनाया गया. इसमें पानी ही नहीं रहता है. इसका फायदा लोगों को नहीं मिल सका है. अब नये निर्माण पर एक बार फिर से विरोध होना शुरू हो गया है. निर्माण के विरोध में फिलहाल हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है. लोगों ने बताया कि जगह-जगह खुदाई किये जाने से यहां पर पैदल चलना भी दूभर हो रहा है. इस धरोहर को समाप्त करने से बचाने के लिए हर किसी को आगे आना होगा. कई दुकान भी अवैध रूप से इसके छोर पर बना लिया गया है. उसे भी हटाने की जरूरत है. गांधी मैदान को सुरक्षित रखना बहुत जरूरी गांधी मैदान को सुरक्षित रखना बहुत ही जरूरी है. यहां पर कोर्ट के आदेश के बाद भी निर्माण किया जा रहा है. गांधी मैदान की जमीन पर तरह-तरह की बिल्डिंग बनाने से इसका दायरा कम हो जायेगा. ऐसे हालत में यहां हर दिन टहलने वालों के साथ बड़ा कार्यक्रम के आयोजन में काफी दिक्कत होगी. निगम की ओर से खुला जिम लोगों के लिए बनाया गया है. इस जमीन पर निर्माण नहीं होनी चाहिए. डॉ वीरेंद्र कुमार उर्फ गणेश पासवान, मेयर- फोटो- गया- 06 सौंदर्यीकरण के लिए नहीं हो रहा कोई खास प्रयास गांधी मैदान के सौंदर्यीकरण के लिए कोई खास प्रयास यहां नहीं किया जा रहा है. देखा जाये, तो हर कोई इसे संकीर्ण बनाने में ही लगा हुआ है. कोर्ट के रोक के बाद भी निर्माण कार्य यहां जारी है. ऐसे में एक दिन ऐसा भी समय आयेगा कि गांधी मैदान इतिहास के पन्नों तक ही सिमट जायेगा. इसे बचाने के लिए हर तरह से आंदोलन किया जायेगा. किसी भी हालत में इसे बर्बाद होने नहीं दिया जायेगा. गजेंद्र सिंह, गांधी मैदान बचाओ संघर्ष मोर्चा के सदस्य सह वार्ड पार्षद- फोटो- गया- 07
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