बोधगया़ निरंजना नदी में बालू के खनन को लेकर किये जा रहे गड्डे आगामी बरसात में मौत के कुएं के रूप में तब्दील हो जायेंगे. नदी से बालू का उठाव करने के फिराक में ज्यादा गहरायी तक गड्ढे कर दिये जाने के कारण पिछले वर्ष कई लोगों की जान भी जा चुकी है. बरसात में नदी में पानी होने के बावजूद लोग नदी पार कर आवाजाही करते हैं. इस दौरान उन्हें इसका आभास नहीं हो पाता है कि बालू का दलदल किस स्थान पर है यानी कि फिलहाल बालू का उठाव किये गये स्थलों की जानकारी नहीं हो पाती है. पानी के बहाव के कारण वर्तमान में बने बड़े गड्ढे में बालू व कीचड़ का दलदल तैयार हो जाता है व नदी पार करते वक्त लोग उक्त दलदल में फंस कर मौत के आगोश में समा जाते हैं. पिछले साल मोचारिम के पास व धर्मारण्य के साथ परेबा गांव के पास भी नदी के दलदल में फंस कर तीन की मौत हो चुकी है. इनमें मोचारिम गांव के, छांछ गांव के व लारपुर गांव के युवा व अधेड़ व्यक्ति शामिल थे. जिले के शेरघाटी में भी ऐसी घटनाएं घटी थीं. बोधगया में घटित घटना के बाद लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया था व डीएम डॉ त्यागराजन ने मोचारिम गांव पहुंच कर लोगों को आश्वस्त किया था कि गांव के सामने, जहां से लोगों की आवाजाही होती है, बालू का उठाव नहीं किया जायेगा. लेकिन, इस वर्ष फिर से बोधगया के टिका बिगहा व मोचारिम, खजबती व अन्य बालू घाटों से ज्यादा गहराई तक बालू का उठाव किया जा रहा है. हालांकि, लोगों ने इसका विरोध करना भी शुरू कर दिया है, पर उनकी नहीं सुनी जा रही है. बालू उठाव की गहरायी की होगी जांच : डीएम डीएम डॉ त्यागराजन ने बताया कि नदी के बालू का उठाव कराने को लेकर तय मानक तक की गहराई से ज्यादा गहरायी तक से उठाव कराने की जांच करायी जायेगी. अगर तय मानक के खिलाफ कार्य किये जा रहे हैं तब संबंधित संवेदक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी.
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