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पटना हाइकोर्ट में अब होगी तेज सुनवाई, 27 की जगह जजों की संख्या हुई 35, जानिये कितने पद हैं खाली

पटना हाइकोर्ट में अब लंबित मामलों की सुनवाई रफ्तार पकड़ेगी. केंद्र सरकार ने पटना हाइकोर्ट में जजों की कमी को दूर करने का काम किया है. केंद्र सरकार ने पटना हाइकोर्ट में न्यायिक सेवा कोटे से सात जजों को नियुक्त किया है. इसके साथ ही आंध्र प्रदेश हाइकोर्ट से एक जज को पटना स्थानांतरित किया गया है.

पटना. पटना हाइकोर्ट में अब लंबित मामलों की सुनवाई रफ्तार पकड़ेगी. केंद्र सरकार ने पटना हाइकोर्ट में जजों की कमी को दूर करने का काम किया है. केंद्र सरकार ने पटना हाइकोर्ट में न्यायिक सेवा कोटे से सात जजों को नियुक्त किया है. इसके साथ ही आंध्र प्रदेश हाइकोर्ट से एक जज को पटना स्थानांतरित किया गया है. इसकी अधिसूचना जारी कर दी गयी है. एक से दो दिनों के भीतर इन सभी आठ लोगों को पटना हाइकोर्ट के जज के रूप में शपथ दिलायी जायेगी.

इन जजों की हुई है नियुक्ति

जिन आठ को पटना हाइकोर्ट का जज बनाया गया है, उनमें आंध्र प्रदेश हाइकोर्ट से स्थानांतरित होकर आ रहे न्यायाधीश अहसानुद्दीन अमानुल्लाह शामिल हैं. इसके साथ ही बिहार न्यायिक सेवा कोटा से जज बनाये गये नवनियुक्त जज शैलेंद्र सिंह, अरुण कुमार झा, जितेंद्र कुमार, आलोक कुमार पांडेय, सुनील दत्ता मिश्रा, चंद्र प्रकाश सिंह और चंद्र शेखर झा का नाम शामिल हैं. इनमें शैलेंद्र सिंह फिलहाल बिहार विधानसभा में सचिव के पद पर कार्यरत हैं.

जजों के 53 में 26 पद खाली

मुकदमों के अनुपात में जजों की कम संख्या लंबित मामलों का बड़ा कारण है. 2015 तक जजों के कुल 43 स्वीकृत पद थे, जिसे बढ़ाकर 53 किया गया. अभी 53 की जगह केवल 27 जज हैं. अबतक सबसे अधिक 37 जज हुए हैं. चार मई को सुप्रीम कोर्ट की कालेजियम ने न्यायिक सेवा कोटा के सात न्यायिक अधिकारियों का पटना हाइकोर्ट में जज के रूप में नियुक्ति की अनुशंसा की थी. इन जजों के योगदान देने के बाद ये संख्या 35 हो जायेगी.

2 लाख मामले हैं लंबित

पटना हाइकोर्ट में तीन लाख से अधिक मामले लंबित हैं, जिनमें 1.5 लाख आपराधिक और 1.8 लाख सिविल मामले हैं. 17500 क्रिमिनल मामले की ही सुनवाई हो रही है. 600 फर्स्ट अपील और दतनी संख्या में ही सकेंड अपील के मामले लंबित हैं. जजों की कमी के कारण जमानत के मामले की भी सुनवाई समय से नहीं हो पा रही है. कई मामलों की तारीख तो वर्षों बाद मिलती है तो कई मामले बेंच के इंतजार में ही वर्षों लंबित रह जाते हैं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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