26.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

कोरोना का असर: बिहार में एक प्रतिशत बढ़े HIV पीड़ित मरीज, 350 संक्रमित महिलाओं का हो रहा इलाज

एक साल में मुश्किल से 50 महिलाएं होती थी चिह्नित, कोविड की वजह जांच नहीं कराने से संख्या बढ़कर 112 पहुंची, कुल 350 अभी पॉजिटिव हैं.

पटना. पटना सहित पूरे बिहार में एक बार फिर एचआइवी पाजीटिव मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. बिहार में जन्म लेने वाले कुल बच्चों की संख्या में 3 प्रतिशत बच्चे 2021-22 में संक्रमित मिले हैं. यहां पिछले 17 महीनों में 14 फीसदी एचआइवी संक्रमित मिले हैं. बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की ओर से जांच अभियान में तेजी लाने, काउंसिलिंग और इलाज के लिए नये एंटी रेट्रोवायरल थैरेपी सेंटर (एआरटी) खोलने की तैयारी योजना बनायी गयी है.

350 संक्रमित महिलाओं का चल रहा इलाज

प्रदेश में 350 एचआइवी संक्रमित महिलाओं का इलाज चल रहा है. इनमें सबसे अधिक 87 पटना मिले की हैं. बाकी बिहार के अलग-अलग जिले की महिलाएं शामिल हैं. इनमें अधिकांश महिला गर्भवती भी हैं. जबकि जन्म से 18 साल तक के पॉजिटिव बच्चों की संख्या अलग है. वहीं जानकारों की माने तो कोरोना की वजह से लॉकडाउन में एचआइवी पीड़ित मरीजों का समय पर जांच व इलाज नहीं हो सका है. इसलिए इनकी संख्या में एक प्रतिशत का इजाफा हुआ है.

कोविड की दूसरी व तीसरी लहर यानी एक साल के अंदर सर्वाधिक 112 महिलाओं की रिपोर्ट पॉजिटिव आयी हैं. जबकि हर साल 50 से 60 के बीच महिलाओं की एचआइवी रिपोर्ट पॉजिटिव आती थी.

एचआइवी एड्स के लक्षण

लंबे समय तक खांसी, सांस फूलना, कमजोरी, सिर, मांसपेशियों में दर्द, सोते समय पसीना आना, तेजी से वजन घटना, लगातार दस्त, मुंह में छाले आदि. बचाव के लिए सुरक्षित यौन संबंध, किसी भी स्थिति में उपयोग हुए इंजेक्शन, सिरिंज का उपयोग न करें. साथ ही अन्य जरूरी सावधानियां अपनाएं.

मरीजों का कोलकाता भेजा जा रहा सूखा खून का सैंपल

एक साल के अंदर करीब एचआइवी पीड़ित महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया. संक्रमित मां से जन्म लेने वाले इन बच्चों की टेस्ट के लिए नेविरेपीन सिरप दी जा रही है. वहीं बिहार एड्स कंट्रोल सोसाइटी के सहायक निदेशक मिथलेश कुमार पांडे ने बताया कि एक साल के अंदर जन्म लेने वाले कुल बच्चों की तुलना में तीन प्रतिशत बच्चे एचआइवी पीड़ित पाये गये हैं. जबकि कोरोना से पहले इनकी संख्या सिर्फ 2 प्रतिशत ही थी.

हालांकि जांच का दायरा और तेज कर दिया गया है, लक्ष्य है कि बिहार में एक भी बच्चा संक्रमित पैदा नहीं हो. इस दिशा में काम चल किया जा रहा है. बच्चे में संक्रमण नहीं हो इसकी जांच के लिए ड्राइ ब्लड सैंपल यानी सूखा खून का नमूना कोलकाता भेजा जा रहा है. वहीं जन्म के 6 से 12 सप्ताह तक के बच्चों को नेविरेपीन सिरप पिलायी जा रही है. ताकि बच्चे में संक्रमण नहीं फैले.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें