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पटना जंक्शन से शुरू हुई ‘ढाई आखर प्रेम’ पदयात्रा, प्रस्तुत किए गये कई सांस्कृतिक कार्यक्रम

पटना जंक्शन से शुरू हुई 'ढाई आखर प्रेम' पदयात्रा पटना यूथ हॉस्टल होते हुए भिखारी ठाकुर रंगभूमि पहुंची. जहां छत्तीसगढ़ से आए नाचा लोक नाट्य शैली के कलाकारों ने गम्मत नाटक की प्रस्तुति की. इसके साथ ही कई अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए.

देश के सांस्कृतिक और साहित्यिक संगठनों की राष्ट्रीय सांस्कृतिक पदयात्रा ‘ढाई आखर प्रेम’ की शुरुआत शनिवार को पटना से हुई. इस दौरान ऐतिहासिक गांधी मैदान में दर्शकों को संबोधित करते हुए इप्टा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष राकेश ने कहा कि राष्ट्रीय सांस्कृतिक जत्था देश के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्रेम, बंधुत्व, समानता, न्याय और मानवता की संदेश की यात्रा है. उन्होंने कहा कि इस यात्रा से हम बापू, कबीर, रहीम और रसखान के पद चिह्न और चीन्ह की यात्रा कर रहे हैं.

देश को चम्पारण और गांधी दोनों की तलाश

राकेश ने कहा कि इस यात्रा के जरिए हम बापू के चम्पारण सत्याग्रह के दौरान दिखाए गए रास्ते पर चलने की कोशिश कर रहे हैं. क्योंकि देश को चम्पारण और गांधी दोनों की तलाश है. भय का माहौल बनाकर लोगों को अपनी बात मानने के लिए मजबूर करने की प्रेम और भाईचारे की मुहिम में हम उसी गांधी की तलाश कर रहे हैं जिसने अंग्रेजों की नील उगाने की तीन कठिया परंपरा को तोड़ा था. गांधी ने उस साम्राज्य को झुका दिया जिसका सूरज कभी नहीं डूबता था.

14 अक्टूबर तक चलेगा कार्यक्रम

जत्था का बिहार पड़ाव सात से 14 अक्टूबर 2023 तक पटना, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी में निर्धारित है. इस पड़ यात्रा की शुरुआत शनिवार को बांकीपुर जंक्शन (वर्तमान में पटना जंक्शन) से शुरू हुई. जहां 1911 में महात्मा गांधी पहली बार बिहार आये थे. यहां से मुजफ्फरपुर होते हुए वो चंपारण पहुंचे और सत्याग्रह का नेतृत्व किया.

पटना जंक्शन से शुरू हुई यात्रा

पटना जंक्शन से शुरू हुई इस पदयात्रा में शामिल पदयात्री तू खुद को बदल, तो जमाना बदलेगा गाते हुए चल रहे थें. साथ ही ढाई आखर प्रेम का नारा भी लगा रहे थे. यह पदयात्रा जंक्शन से शुरू होने के बाद पटना यूथ हॉस्टल होते हुए भगत सिंह और महात्मा गांधी की प्रतिमाओं को पार करते हुए भिखारी ठाकुर रंगभूमि पहुंची. जहां भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया. इस दौरान छत्तीसगढ़ से आए नाचा लोक नाट्य शैली के कलाकारों ने गम्मत नाटक की प्रस्तुति की. युवा पदयात्रियों के कबीर के पदों पर आधारित भावनृत्य प्रस्तुत किया.

मोतिहारी में समाप्त होगी यात्रा

इस सांस्कृतिक संवाद में प्रख्यात चिकित्सक डॉ सत्यजीत, प्रगीतशील लेखक संघ के सुनील सिंह, लोक परिषद् के रूपेश और बिहार IPTA के महासचिव फीरोज अशरफ खां ने भी संबोधन दिया. अब यह जत्था रविवार को मुजफ्फरपुर के लिए प्रस्थान करेगा. वहीं, 14 अक्तूबर की शाम को गांधी स्मारक संग्रहालय (मोतिहारी) में यह पदयात्रा समाप्त होगी.

पदयात्रा के दौरान प्रस्तुत किए जा रहे सांस्कृतिक कार्यक्रम

इस ढाई आखर प्रेम राष्ट्रीय सांस्कृतिक जत्था के अंतर्गत बिहार के नाट्यकर्मी, लेखक, कवि, अभिनेता, गायक और सामाजिक कार्यकर्ता पटना, मुजफ्फरपुर और मोतिहारी की पदयात्रा करे रहे हैं. पदयात्रा के दौरान नाटक, गीत, नृत्य और लोकप्रिय संवाद प्रस्तुत किए जा रहे हैं.

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अक्टूबर तक विभिन्न जिलों में चलेगी यात्रा

रायपुर से शुरू हुई थी यात्रा

बता दें कि इप्टा ने पिछले साल आजादी के 75वें वर्ष के अवसर पर रायपुर से इस यात्रा को शुरू किया था. यात्रा में इप्टा ने अपने नाटकों, गीतों, नृत्य एवं अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिये छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के 300 से अधिक गांवों, कस्बों, शहरों में आत्मीय संबंध स्थापित करते हुए प्रेम, समन्वय, सौहार्द और एकजुटता का संदेश दिया गया. यात्रा का समापन 22 मई, 2022 को इंदौर में हुआ. इसका समापन महात्मा गांधी के शहादत दिवस 30 जनवरी, 2024 को दिल्ली में होगा.

Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

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