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दिल्ली अध्यादेश बिल पर ललन सिंह और अमित शाह में खूब हुई बहस, दोनों ने एक दूसरे को दिखाया आईना

ललन सिंह ने इस बिल के बारे में कहा है कि यह दिल्ली में लोकतांत्रिक बहुमत से चुनी हुई सरकार का गला घोंटकर पिछले दरवाजे से दिल्ली राज्य वासियों पर शासन करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा संसद में लाया गया है. जनता सब कुछ देख रही है. 2024 में फैसला कर देगी.

पटना. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने गुरुवार को लोकसभा में “दिल्ली अध्यादेश बिल – 2023” का विरोध किया है. उन्होंने इस बिल के बारे में कहा है कि यह दिल्ली में लोकतांत्रिक बहुमत से चुनी हुई सरकार का गला घोंटकर पिछले दरवाजे से दिल्ली राज्य वासियों पर शासन करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा संसद में लाया गया है. जनता सब कुछ देख रही है. 2024 में फैसला कर देगी.

लोकतंत्र लोकलाज से चलता है

ललन सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के वक्तव्य का जवाब देते हुए कहा कि देश में संविधान के प्रावधानों की व्याख्या करने का अधिकार सर्वोच्च न्यायालय को है. 11 मई के फैसले में सर्वेाच्च न्यायालय के संविधान पीठ ने इसकी विस्तृत व्याख्या की है. ललन सिंह ने कहा कि 11 मई को जजमेंट आया. 19 मई को गर्मी की छुट्टी में सुप्रीम कोर्ट बंद होने वाला है. उसी दिन केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाया. उसके पहले सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पीटिशन फाइल किया गया. क्या यही लोकतंत्र है? लोकतंत्र लोकलाज से चलता है. इस सरकार ने सारे लोकलाज को ताखे पर रख दिया और डुबो कर दिल्ली में शासन करना चाहती है.

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फैसला करने का अधिकार दिल्ली की जनता को

ललन सिंह ने कहा कि अभी गृह मंत्री ने बिल को पेश करते हुए कहा कि दिल्ली की सरकार 2015 में ऐसी बनी जो भ्रष्टाचार के मामले में दिल्ली की जनता का सेवा नहीं कर रही. ललन सिंह ने गृह मंत्री से पूछा कि दिल्ली की सरकार जनता की सेवा कर रही है या नहीं यह फैसला करने का अधिकार दिल्ली की जनता को है. आप यहां बैठकर इसका फैसला कैसे कर सकते हैं? उन्होंने सत्ता पक्ष के सांसदों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि इस बार आपकी विदाई हो जायेगी.

सबको वाशिंग मशीन में डालकर सफाई कर दी

उन्होंने कहा कि गृह मंत्री कहते हैं कि भ्रष्टाचार पर कार्रवाई होगी, लेकिन चार दिन पहले प्रधानमंत्री ने कहा कि 70 हजार करोड़ का घोटाला हुआ. इसके बावजूद सबको वाशिंग मशीन में डालकर सफाई कर दी. आरोपितों को अपने साथ शामिल कर लिया. दिल्ली में चुनाव आप भी लड़ते हैं, लेकिन आप तीन सीट पर सिमट जाते हैं. दिल्ली के एमसीडी के चुनाव में आप हार गये, क्या हश्र हुआ? फिर भी बाेलने से बाज नहीं आ रहे. लोकलाज जब ताखे पर रख दीजियेगा तो यही होगा. आपने लोकतंत्र को समाप्त करने का निर्णय लिया. यह बिल संघीय ढांचे पर आघात है.

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इंडिया का फोबिया

ललन सिंह ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री ने इंडिया पर चर्चा की. ऐसे में इंडिया का फोबिया इन लोगों के जेहन में बैठ गया है क्योंकि इन लोगों ने एनडीए की कभी बैठक नहीं की. जब बेंगलुरु में सभी विपक्षी दलों की बैठक हुई तो इन लोगों ने भी बैठक की.

आपके मुंह से लोकलाज अच्छा नहीं लगता

बिल पर चर्चा के दौरान जब ललन सिंह ने कहा कि लोकतंत्र में सबसे बड़ी चीज लोक-लाज होती है. लोक-लाज से लोकतंत्र चलता है. इसपर पलटवार करते हुए अमित शाह ने जवाब दिया कि आप लोक-लाज की बात मत करिये, आपके मुंह से ये शब्द अच्छा नहीं लगता. अमित शाह ने कहा कि ललन सिंह ने बोला है कि लोकलाज होनी चाहिये. राजीव रंजन जी (ललन सिंह) आप तो लोकलाज की बात मत ही बोलिये. क्योंकि जिस चारा घोटाले को लेकर जनता के सामने गये थे, आज चारा घोटाला करने वालों के साथ बैठे हैं. फिर से गठबंधन किया है. लोकलाज आपके मुंह में अच्छा नहीं लगता.

भाजपा को रोकने के लिए आपस में लड़नेवाले मिल रहे हैं

अमित शाह ने कहा कि जेडीयू का जन्म ही आरजेडी का विरोध करने के लिए हुआ. जनता दल को तोड़ दिया गया. वही जेडीयू आज राष्ट्रीय जनता दल के साथ सत्ता में है. ये सब इसलिए क्योंकि बीजेपी को रोका जा सके. अमित शाह ने कहा कि बीजेपी के डर से राज्यों में आपस में लड़ रही पार्टियां एक साथ आकर गठबंधन बना रही हैं, लेकिन इससे बीजेपी पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है.

Ashish Jha
Ashish Jha
डिजिटल पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश. वर्तमान में पटना में कार्यरत. बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को टटोलने के लिए प्रयासरत. देश-विदेश की घटनाओं और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स को सीखने की चाहत.

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