दरभंगा. साल के चार नवरात्र में दूसरा महत्वपूर्ण वासंती नवरात्र 30 मार्च को कलश स्थापन के साथ आरंभ हो जायेगा. इसके लिए जगह-जगह सार्वजनिक पूजन स्थलों पर तैयारी की गति तेज हो गयी है. मूर्तिकार जहां प्रतिमा को आकार दे रहे हैं, वहीं साज-सज्जा के लिए बांस-बल्ला गाड़ने का काम शुरू हो गया है. बता दें कि सात अप्रैल को विजयादशमी के दिन जयंती धारण के साथ यह नवरात्र संपन्न होगा. उल्लेखनीय है कि वर्ष में चार नवरात्र होते हैं, जिसमें शक्ति की अधिष्ठात्री देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना 10 दिनों तक विधि-विधानपूर्वक की जाती है. इसमें सबसे ज्यादा चर्चित एवं व्यापक शारदीय नवरात्र है. इसके बाद वासंती नवरात्र का नाम आता है. वैसे माघ मास में शिशिर नवरात्र एवं आषाढ़ में ग्रीष्म नवरात्र अनुष्ठान किया जाता है. ज्योतिषाचार्य पं. विश्वनाथ शास्त्री बताते हैं कि वासंती नवरात्र गृहस्थ श्रद्धालुओं के लिए अधिक महत्वपूर्ण कहा गया है.
10.30 पूर्वाह्न से पहले कलश स्थापन का मुहुर्त्त
30 मार्च को भगवती की प्रतिमा के समक्ष कलश स्थापित कर नवरात्र पूजन आरंभ किया जायेगा. पं. शास्त्री के मुताबिक 10.30 पूर्वाह्न से पहले कलश स्थापन के लिए मुहुर्त्त उत्तम है. श्रद्धालुओं को शुभ मुहुर्त्त में ही पूजा-अर्चना शुरू कर देनी चाहिए. बता दें कि देवी मंदिरों के अलावा शहर में दर्जनों स्थानों पर सार्वजनिक दुर्गा पूजा की जाती है. चूनाभट्ठी, हसनचक, गंगासागर, कोतवाली चौक, बंगलागढ़ समेत अन्य स्थानों पर इसकी तैयारी चल रही है.
चार अप्रैल को खुलेगा भगवती का पट
तीन अप्रैल गुरुवार की शाम बिल्वाभिमंत्रण यानी बेलन्योति की रस्म विधानपूर्वक अदा की जायेगी. पूजन स्थल से भगवती की डोली निकलेगी. अगले दिन चार अप्रैल को बेलतोड़ी के पश्चात पूजन कर विधिवत भगवती का पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जायेगा.रामनवमी छह अप्रैल को
वासंती नवरात्र का महाअष्टमी व्रत पांच अप्रैल को श्रद्धालु रखेंगे. इसी दिन रात्रिकाल निशा पूजा की जायेगी. अगले दिन यानी छह अप्रैल को महानवमी के साथ रामनवमी भी मनायी जायेगी. ज्ञातव्य हो कि रामनवमी पर पूरे जिला में धूमधाम से पूजा-अर्चना के साथ झांकियां निकाली जाती है.
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