Darbhanga : चार दिन पूर्व एफसीआइ के निकट व्यवसायी को घायल कर तीन लाख लूट मामले में गिरफ्तारी नहीं Darbhanga : दरभंगा. लूट तथा छीना-झपटी को अंजाम देने वाले बदमाशों के लिए विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र सेफ जोन बनता जा रहा है. घटना को अंजाम देने के बाद बदमाश कहां छिप जाते है, इसका पुलिस पता तक नहीं लगा पा रही है. बड़े लूटकांडों का पुलिस उद्भेदन तो नहीं ही कर पा रही है, छोटे-छोटे छिनतई के मामले भी ठंढ़े बस्ते में है. सोमवार की सुबह मधुबनी के किराना व्यवसायी से एफसीआइ गोदाम के पास तीन लाख रुपये बदमाशों ने लूट लिये. इस दौरान दोनों व्यवसायी को हथियार से मारकर गंभीर रूप से अपराधियों ने जख्मी कर दिया. घटना के चार दिन बाद भी पुलिस सिर्फ हवा में तीर चला रही है. मामले का जल्द खुलासा कर दिया जायेगा, यह तकिया कलाम इस मामले में भी पुलिस की है. वहीं मंगलवार को विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र के ही कादिराबाद मोहल्ला से एक शिक्षक की बाइक की डिक्की से बदमाश तीन लाख रुपये ले उड़े. इस मामले में भी पुलिस कुछ नहीं कर पायी है. लोगों का कहना है कि विश्वविद्यालय थाना पुलिस का खुफिया नेटवर्क सिस्टम फेल है. बता दें कि चार दिन पूर्व मधुबनी के घोघरडीहा निवासी किराना व्यवसायी राजकुमार जैन व उनके भतीजा संजीत कुमार को बदमाशों ने हथियार से मारकर गंभीर रूप से जख्मी कर तीन लाख रुपये छीनकर भाग निकले थे. लूटने के प्रयास में अंधाधुंध फायरिंग करने वाले बदमाशों का नहीं लगा सकी सुराग दो दिसम्बर 2024 की शाम आलू व्यवसायी रजत राज को लूटने के प्रयास में बदमाशों ने विश्वविद्यलय थाना क्षेत्र के आजमनगर मोहल्ला के फूल वाली गली में अंधाधुंध फायरिंग की थी. इसमें आलू व्यवसायी समेत स्थानीय मो. तुफैल अंसारी, गजेन्द्र महतो व बरकत अली जख्मी हो गये थे. जख्मी गजेन्द्र की बाइक लेकर बदमाश फरार हो गये. बाद में बाइक को रामबाग से बरामद किया गया. इस मामले में भी अभी तक पुलिस के हाथ खाली हैं. किसी की गिरफ्तारी की बात तो दूर, अभी तक पुलिस को बदमाशों के संबंध में कोई सुराग भी नहीं मिला है. विश्वविद्यालय थानाध्यक्ष सिर्फ जल्द से जल्द मामले का खुलासा करने का दावा ही कर रहे हैं. कहां से आये कारतूस, इसका पुलिस के पास जवाब नहीं महाराज कामेश्वर सिंह मेमोरियल ट्रस्ट के कार्यालय में 15 नवंबर 2024 को एक व्यक्ति ने गोलाबारी की थी. हालांकि गोलीबारी में किसी को गोली नहीं लगी और बड़ा हादसा टल गया. एक व्यक्ति को गिरफ्तार भी किया गया. बाद में उसकी मौत हो गयी, लेकिन उस व्यक्ति को झोला से बरामद 41 कारतूस मामले केे संबंध में पुलिस कोई खुलासा नहीं कर सकी. इतनी अधिक संख्या में आखिर कारतूस उसके पास कहां से आया, यह आज भी यक्ष प्रश्न बना हुआ है. पुलिस की टीम जांच कर रही है. सीसीटीवी को खंगाला जा रहा है. जल्द से जल्द मामलों का उद्भदेन कर लिया जाएगा. सुधीर कुमार, विश्वविद्यालय थानाध्यक्ष
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