मानव के दुःखों का स्थाई अंत कर मोक्ष या मुक्ति प्रदान करना दर्शन का अंतिम लक्ष्य- डॉ प्रियंका
पीजी संस्कृत विभाग में भारतीय दर्शन और विज्ञान विषय पर सेमिनारदरभंगा. लनामिवि के पीजी संस्कृत विभाग में डॉ प्रभात दास फाउंडेशन के सहयोग से “भारतीय दर्शन और विज्ञान ” विषय पर विभागाध्यक्ष डॉ कृष्ण कान्त झा की अध्यक्षता में सेमिनार हुआ. मुख्य वक्ता सह पीजी दर्शनशास्त्र विभाग की सहायक प्राध्यापिका डॉ प्रियंका राय ने कहा कि व्यापक अर्थ में दर्शन और विज्ञान एक ही है. भारतीय दर्शन और विज्ञान के बीच कोई विरोध नहीं है, बल्कि दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं. जिन तथ्यों को आज का विज्ञान प्रमाणित कर रहा है, वह दर्शन में पहले से मौजूद हैं. भारतीय दर्शन अंतर्दृष्टि है तो विज्ञान बाह्य दृष्टि. डॉ प्रियंका ने सभी छह आस्तिक दर्शनों का विज्ञान से अंतर्संबंधों को बताते हुए कहा कि दर्शन किसी विषय की गहनतम दृष्टि है, जिसका अंतिम लक्ष्य मानव के दुःखों का स्थाई अंत कर मोक्ष या मुक्ति प्रदान करना है. कहा कि भारतीय दर्शन दुःख से प्रारंभ होकर दुःख के अंत पर पूर्ण होता है. हमारा दर्शन जीवन जीने का एक तरीका है. व्यापक अर्थ में दर्शन स्वयं ””परम सत्य का विज्ञान”” है.
भारतीय परंपरा में विज्ञान और दर्शन अलग नहीं- डॉ शिवानंद
प्रधानाचार्य प्रो. जीवानन्द झा ने कहा कि दर्शन और विज्ञान में अन्योन्याश्रय संबंध है. भारतीय दर्शन में आधुनिक विज्ञान के सभी भागों की चर्चा है. डॉ शिवानन्द झा ने कहा कि दर्शन अपने आप में विज्ञान ही है, जिसका आधुनिक विज्ञान नकल कर रहा है. भारतीय परंपरा में विज्ञान और दर्शन को कभी अलग नहीं माना गया, बल्कि दोनों एक ही ज्ञान-परंपरा के दो पक्ष रहे हैं. अध्यक्ष डॉ कृष्णकांत झा ने कहा कि विज्ञान प्रयोग और प्रमाण से सत्य सिद्ध करता है, तो दर्शन अनुभव और आत्मबोध से सत्य की पहचान करता है. दोनों का लक्ष्य एक ही है- सत्य और ज्ञान की प्राप्ति.
भारतीय दर्शन केवल बौद्धिक चिंतन नहीं : डॉ चौरसिया
इससे पूर्व विषय प्रवेश कराते हुए डॉ आरएन चौरसिया ने कहा कि भारतीय दर्शन एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाला जीवन दर्शन है. विज्ञान भौतिक जगत के रहस्यों को समझने का प्रयास करता है ताे दर्शन आध्यात्मिक सत्य को जानने की कोशिश करता है. भारतीय दर्शन केवल बौद्धिक चिंतन नहीं है, बल्कि यह जीवन के अंतिम सत्य की खोज है, जिसे तत्त्वदर्शन कहा जाता है.
संस्कृत में बसती है भारतीय दर्शन की आत्मा : मुकेश
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए फाउंडेशन के सचिव मुकेश कुमार झा ने कहा कि भारतीय दर्शन की आत्मा संस्कृत में बसती है. संस्कृत साहित्य में ज्ञान-विज्ञान के सभी तत्व मौजूद हैं. भारतीय दर्शन और विज्ञान में गहरा संबंध है. दर्शन की गहनता और विज्ञान की प्रयोगशीलता दोनों मिलकर भारतीय ज्ञान-परंपरा को अद्वितीय बनाते हैं. अमित कुमार झा आदि ने भी विचार रखा. संचालन डॉ मोना शर्मा तथा मंगलाचरण श्रवण कुमार ठाकुर ने किया. मौके पर डॉ सोनू राम शंकर, डॉ मारुति नंदन भारद्वाज, डॉ संजय कुमार, डॉ चंदन कुमार, शोधार्थी राम सिया कुमारी तथा नेहा कुमारी आदि मौजूद थे.
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