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Darbhanga News: नामांकन के आवेदन मद का 50 प्रतिशत हिस्सा नहीं मिलने से संबद्ध कॉलेजों में आर्थिक बदहाली

Darbhanga News:मिथिला विश्वविद्यालय के स्नातक प्रथम खंड तथा सेमेस्टर के चाल सत्रों में नामांकित छात्रों के आवेदन मद के शुल्क का 50 प्रतिशत शेयर कॉलेजों को नहीं मिला है.

Darbhanga News: दरभंगा. मिथिला विश्वविद्यालय के स्नातक प्रथम खंड तथा सेमेस्टर के चाल सत्रों में नामांकित छात्रों के आवेदन मद के शुल्क का 50 प्रतिशत शेयर कॉलेजों को नहीं मिला है. इससे विशेषकर 37 संबद्ध कालेजों में आर्थिक बदहाली की स्थिति बन गयी है. एक अनुमान के मुताबिक प्रति वर्ष संबद्ध कॉलेजों में औसतन 55 हजार छात्र-छात्राओं का नामांकन लिया जाता है. इसके अनुसार चार सत्रों में करीब दो लाख 20 हजार छात्रों की संख्या होती है. लिये जाने वाले कुल शुल्क करीब 11 करोड़ रुपया में संबद्ध कॉलजों का हिस्सा करीब 5.50 करोड़ बनता है.

छात्रों से मिलने वाले शुल्क से ही होता कॉलेजों का संचालन

संबद्ध कालेजों का संचालन पूरी तरह से छात्रों से विभिन्न मद में प्राप्त शुल्क से किया जाता है. इस कारण विश्वविद्यालय से भुगतान में विलंब से इन कालेजों में गंभीर आर्थिक संकट है. कॉलजों की संचालन व्यवस्था प्रभावित रही है. इसका खामियाजा शिक्षाकर्मी सहित छात्रों को भी उठाना पड़ रहा है.

इन सत्रों का रुपया बकाया

बताया जाता है कि सभी कालेजों के सत्र 2021-24, 2022-25 प्रथम खंड, सत्र 2023-27, 2024-28 प्रथम सेमेस्टर के आवेदन मद के शेयर का भुगतान लंबित है. चर्चा है कि इससे पूर्व के सत्र का भुगतान भी नामांकित छात्रों के हिसाब से शतप्रतिशत सभी कालेजों को नहीं मिल सका था. कुछ कालेजों को पूरा तो कुछ को आधा- अधूरा ही भुगतान हो पाया था. बताया जाता है कि जिस कॉलेज का प्रबंधन जितना दबाव विश्वविद्यालय पर बनाने में सक्षम था, उसे उतना भुगतान हो पाया. राशि का भुगतान के लिए विवि को प्रदेशस्तर से अनुमति भी लेने की जरूरत नहीं है. बावजूद पदाधिकारियों की लापरवाही से यह स्थिति बनी हुई है.

सीनेट, सिंडिकेट एवं वित्त समिति सदस्यों के आग्रह पर भी कार्रवाई नहीं

जानकारी के अनुसार डेढ़ वर्ष पूर्व तत्कालीन कुलपति प्रो. एसपी सिंह को सीनेट, सिंडिकेट एवं वित्त समिति के कुछ सदस्यों ने आवेदन के माध्यम से बकाया भुगतान सुनिश्चित करने का आग्रह किया था. आवेदन पर सिंडिकेट सदस्य डॉ हरि नारायण सिंह, डॉ बैद्यनाथ चौधरी, डॉ धनेश्वर प्रसाद सिंह, मीना झा, सीनेट सदस्य डॉ अजीत कुमार चौधरी, वित्त समिति सदस्य गोपाल चौधरी आदि का हस्ताक्षर था. इन सदस्यों का कहना था कि राशि विश्वविद्यालय के खाते में जमा है. सुपरमेसी दिखाते हुए राशि नहीं भेजी जा रही है. इस बीच वीसी का कार्यकाल पूरा हो गया तथा कई पदाधिकारी भी बदल गये. वर्तमान वीसी का भी आधा कार्यकाल बीत चुका है. बावजूद मसला यथावत है.

नामांकन की केंद्रीयकृत व्यवस्था लागू करने के दौरान लिया गया था निर्णय

विवि ने स्नातक स्तर पर नामांकन के लिए आवेदन की व्यवस्था जब केंद्रीकृत की थी, उसी समय तय किया गया था कि आवेदन मद का 50 प्रतिशत रुपया संबंधित कॉलेजों को भुगतान कर दिया जायेगा. पीआरओ डॉ बिंदु चौहान ने बताया कि यह मामला विश्वविद्यालय के संज्ञान में है. इस दिशा में कार्य जारी है. बहुत जल्द सकारात्मक परिणाम आयेगा.

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