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बिहार के इस गांव में लगा सांस्कृतिक Lockdown, बाहरियों की एंट्री के लिए बनाया ये नियम, जानें

Lockdown news in bihar: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से जहां की देश व राज्य परेशान हैं. वहीं सुपौल जिले के पिपरा प्रखंड अंतर्गत एक गांव के लोगों ने खुद की सतर्कता के बूते अपनी और गांव वासियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी थाम रखी है. गांव को युवाओं की टोली द्वारा कोविड गाइडलाइन का सख्ती से पालन किया जाता है. नतीजा है कि अब तक इस गांव में कोरोना का एक भी केस सामने नहीं आया है.

इन्द्र भूषण: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से जहां की देश व राज्य परेशान हैं. वहीं सुपौल जिले के पिपरा प्रखंड अंतर्गत एक गांव के लोगों ने खुद की सतर्कता के बूते अपनी और गांव वासियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी थाम रखी है. गांव को युवाओं की टोली द्वारा कोविड गाइडलाइन का सख्ती से पालन किया जाता है. इसके अलावा ग्रामीणों ने विवाह, मुंडन और उपनयन पर भी रोक लगा दिया है. नतीजा है कि अब तक इस गांव में कोरोना का एक भी केस सामने नहीं आया है.

पिपरा प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत कटैया माहे पंचायत स्थित कटैया रही गांव के लोगों ने कोरोना संकट से निपटने के लिए जो पहल की है, वो पूरे राज्य के लिए एक उदाहरण है. इसका नतीजा ये है कि कोरोना संक्रमण की पहली लहर हो या अभी चल रही दूसरी लहर, इस गांव में कोरोना की एंट्री नहीं हुई है. इस गांव के लोग सतर्कता और संयम को अपना मुख्य हथियार बनाकर अब तक कोरोना को हराने में सफल रहे हैं. गांव स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे पीएचसी प्रभारी ने भी इसकी तारीफ की है. उन्होंने इस गांव को उदाहरण के रूप में पेश करते हुए कहा कि अन्य लोगों को भी इस गांव से सीख लेने की जरूरत है.

एक भी व्यक्ति नही हुआ संक्रमित

बता दें कि अब तक इस गांव के एक भी लोग कोरोना पॉजिटिव नहीं हुए हैं. एक सप्ताह पहले गांव स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र में कैंप लगाकर कोरोना की जांच की गई थी, जिसमें गांव के तकरीबन 150 लोगों ने भी जांच करवाई, लेकिन किसी की रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं आई. इसकी खास वजह है कि यहां के लोग ना तो बेवजह कहीं जाते हैं और न ही बाहर से आने वाले लोगों को कोई तरजीह देते हैं. गांव के लोगों ने आपस में बैठक कर नियम बना लिया है.

बिना जांच नहीं मिलती एंट्री

लगभग एक हजार की आबादी वाले इस गांव से लोग दूसरे प्रदेश में भी रोजी-रोटी के लिए जाते हैं. ऐसे में उनके वापस आने पर पहले उनकी कोरोना जांच कराई जाती है, तभी गांव में एंट्री मिलती है. बिना जांच के बाहरी लोगों को गांव में नहीं घुसने दिया जाता है.

सार्वजनिक समारोह पर है पाबंदी

इतना ही नहीं, गांव में आपसी सहमति से शादी, विवाह व सभी प्रकार के सार्वजनिक आयोजन पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी गई है, जिसका परिणाम है कि जहां कोरोना की पहली लहर से यह गांव अछूता रहा था, इस बार भी अब तक एक भी लोग कोरोना की चपेट में नहीं आए हैं.

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बिहार के इस गांव में लगा सांस्कृतिक lockdown, बाहरियों की एंट्री के लिए बनाया ये नियम, जानें 2
निगरानी के लिए गांव में युवकों ने बनाई है टोली

संक्रमण की दूसरी लहर में लोग और सावधानी बरतें इसके लिए गांव में युवकों ने एक टोली बना रखी है. जो गांव में घूम-घूम कर लोगों को संक्रमण से बचाव को लेकर जागरूक करती है. टोली के सदस्य वैसे लोग जो मास्क खरीदने में असमर्थ होते हैं, उन्हें मास्क भी देते हैं. इसके अलावा लोगों से कोरोना प्रोटोकॉल का पूरा-पूरा पालन करवाने को लेकर ये तत्पर रहते हैं. बेवजह लोगों को घर से बाहर नहीं निकलने की नसीहत देने के साथ-साथ उन पर पूरी नजर भी रखते हैं. वहीं, बिना मास्क के लोगों को गांव में प्रवेश नहीं करने देते हैं

इस पूरे मामले में ग्रामीण राम चन्द्र ठाकुर ने बताया कि समाज में लोगो से अपील कर सामाजिक आयोजन, शादी, श्राद्ध अन्य आयोजन पर महामारी के समय संयंम से करने से नहीं होगा कोई संक्रमित. वहीं एक अन्य ग्रामीण प्रकाश कुमार ने कहा कि समाज में सावधानी से रहने से कोरोना खतरा से बाहर रहेंगे. उन्होंंने कहा कि चाहे प्रदेश से लोग आइए या फिर मेहमान बिना जांच यहां सबकी एंट्री बन्द है.

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Posted By : Avinish Kumar Mishra

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