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बिहार में भ्रष्टाचार : जूनियर अफसरों से DIG करते थे वसूली, इओयू ने सौंपी पुलिस मुख्यालय को जांच रिपोर्ट

पुलिस महकमे में भी भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ नकेल कसने की मुहिम तेजी से चल रही है. ऐसे ही एक मामले में मुंगेर के तत्कालीन डीआइजी के खिलाफ 14 लाख रुपये घूस लेने और अपने पद का दुरुपयोग कर जूनियर पदाधिकारियों से पैसे की वसूली करने की बात साबित हुई है.

पटना. पुलिस महकमे में भी भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ नकेल कसने की मुहिम तेजी से चल रही है. ऐसे ही एक मामले में मुंगेर के तत्कालीन डीआइजी के खिलाफ 14 लाख रुपये घूस लेने और अपने पद का दुरुपयोग कर जूनियर पदाधिकारियों से पैसे की वसूली करने की बात साबित हुई है. इससे संबंधित जांच रिपोर्ट आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) ने कुछ दिनों पहले पुलिस मुख्यालय को सौंप दी है.

अब मुख्यालय के स्तर पर रिपोर्ट की समीक्षा की जा रही है. इसके बाद आगे की कार्रवाई जल्द की जायेगी. वर्तमान में ये डीआइजी पुलिस मुख्यालय में ‘वेटिंग फॉर पोस्टिंग’ के तौर पर हैं. समझा जा रहा है कि उनके खिलाफ जांच रिपोर्ट आने के बाद ही उन्हें फील्ड ड्यूटी से हटा दिया है.

जांच रिपोर्ट में यह कहा गया है कि 2020 के दौरान मुंगेर में डीआइजी के पद पर तैनाती के दौरान उन्होंने वहां के तत्कालीन डीएसपी (वर्तमान में जहानाबाद के एएसपी ) के पुराने दो-तीन मामलों को फिर से खोल दिया, जबकि इन मामलों का निबटारा हो गया था.

डीआइजी ने इसकी फिर से जांच करने की बात कही और तत्कालीन डीएसपी पर दबाव बनाया. अपने रीडर के माध्यम से इस मामले को रफा-दफा करने के लिए 14 लाख रुपये घूस की मांग करवायी. इसकी शिकायत संबंधित डीएसपी ने मुख्यालय से की. तब इस अधिकारी के खिलाफ जांच का जिम्मा इओयू को मुख्यालय ने सौंपा.

जांच में इस डीआइजी के खिलाफ कई बातों का खुलासा हुआ.यह पता चला कि डीआइजी ने सिर्फ एक डीएसपी को ही नहीं, बल्कि कुछ थानाप्रभारियों के पुराने मामलों को फिर से खुलवा कर इसकी जांच और फिर इसे बंद कराने के नाम पर पैसे ठगे हैं. मुंगेर के ही एक थानाप्रभारी से करीब आठ लाख रुपये वसूल लिये थे.

दो महीने पीछे की तारीख से निलंबनमुक्त कर दिया

इस तरह से पुराने मामलों को खोज कर पहले उन्हें खोल कर स्पष्टीकरण जारी करना. फिर इन पदाधिकारियों से पैसे लेकर इसे बंद करने के कई मामले मुंगेर क्षेत्र से सामने आये. पैसे लेने के बाद डीआइजी साहब ने कुछ मामलों में तो पुराने आदेश तक को बदल दिया.

मसलन एक पदाधिकारी के मामले में तत्काल प्रभाव के बजाय दो महीने पीछे की तारीख से उन्हें निलंबनमुक्त कर दिया. इसके अलावा डीआइजी जहां भी निरीक्षण करने जाते थे, वहां से रजिस्टर लेकर आते थे और फिर पैसे लेकर रजिस्टर लौटाते थे. इस दौरान उलझे हुए मामले को खोज कर पुलिसकर्मियों से अपने तत्कालीन रीडर के माध्यम से पैसे वसूलते थे.

रिपोर्ट की समीक्षा के बाद होगी कार्रवाई

इस मामले में पुलिस मुख्यालय के आला अधिकारियों ने कोई बयान देने से इन्कार कर दिया, लेकिन यह कहा कि जल्द ही इनके खिलाफ कार्रवाई होगी. रिपोर्ट आयी है और इसमें संबंधित डीआइजी को दोषी पाया गया है, यह जरूर कहा. रिपोर्ट से जुड़े सभी पहलुओं की समीक्षा करने के बाद इससे संबंधित आदेश जारी कर दिया जायेगा.

Posted by Ashish Jha

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