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भारत में सबसे ज्यादा इंटेलिजेंट हैं बिहार के बच्चे, शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट से हुआ खुलासा

शिक्षा मंत्रालय के परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स रिपोर्ट के अनुसार अन्य राज्यों के बच्चों में सीखने की क्षमता 40 से 60 फीसदी तक ही है, जबकि बिहार के बच्चों में यह 70 से 75 फीसदी है.

पटना. बिहार के सरकारी स्कूलों में इन दिनों नये-नये प्रयोग हो रहे हैं. ये प्रयोग प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा से अधिक से अधिक बच्चों को जोड़ने के लिए किये जा रहे हैं. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने, ड्रॉपआउट बच्चों को स्कूल कैंपस तक लाने और पूरे समय तक बच्चों के विद्यालय में ठहराव के लक्ष्य को पूरा करने के लिए राज्य का शिक्षा विभाग गंभीर दिख रहा है. राज्य सरकार का ध्यान भी शिक्षा प्रणाली को दुरुस्त करने में लगा है. वहीं बिहार के सरकारी स्कूल के बच्चों को लेकर केंद्र सरकार के एक रिपोर्ट जारी किया है, इसके उनुसार बिहार के सरकारी स्कूलों के बच्चे दूसरे राज्यों के बच्चों से ज्यादा तेज यानी बुद्धिमान हैं.

सर्वे में निकलीं ये बातें

दूसरे राज्यों के बच्चों से ज्यादा इंटेलिजेंट हैं बिहार के बच्चे

बिहार के सरकारी स्कूलों के बच्चे दूसरे राज्यों के बच्चों से ज्यादा इंटेलिजेंट हैं. उनमें सीखने की क्षमता भारत के 24 प्रमुख राज्यों के बच्चों से बेहतर है. शिक्षा मंत्रालय के परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स रिपोर्ट के अनुसार गुजरात, केरल, दिल्ली, कर्नाटक, झारखंड, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों के बच्चे सीखने में बिहार के बच्चों से पीछे हैं. इन राज्यों के बच्चों में सीखने की क्षमता 40 से 60 फीसदी तक ही है, जबकि बिहार के बच्चों में यह 70 से 75 फीसदी है.

शिक्षा मंत्रालय ने कराया गया था सर्वे

पिछले दिनों शिक्षा मंत्रालय ने इस संबंध में एक सर्वे कराया गया था. इस सर्वे में देशभर के सभी राज्यों के सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले तीन से 8वीं तक के बच्चों को शामिल किया गया था. सर्वे जनवरी से मई के बीच हुआ था. हाल में इसकी रिपोर्ट शिक्षा मंत्रालय ने जारी की है. सर्वे के दौरान बिहार से 35 लाख बच्चों से स्कूल जाकर फीडबैक लिया गया. सर्वे में यह देखा गया है कि छोटी कक्षाओं के बच्चे पढ़ाई पर अधिक मेहनत करते हैं. बार-बार एक ही पाठ को पढ़ने से सीखने की क्षमता विकसित हुई है.

स्कूलों की आधारभूत संरचना अच्छी हो तो और बेहतर परिणाम

बिहार के सरकारी स्कूलों की आधारभूत संरचना सभी राज्यों से इंडेक्स में नीचे है. सर्वे रिपोर्ट के अनुसार अगर बिहार के सरकारी स्कूल की आधारभूत संरचना को बेहतर किया जाए, तो यहां के बच्चे और बेहतर करेंगे. शिक्षकों की कमी भी है. बच्चों को स्कूल में वो सारी सुविधाएं नहीं मिलती हैं जिसकी उन्हें जरूरत है. कहीं पर बेंच-डेस्क नहीं तो कहीं पर कक्षाओं की भारी कमी है. पठन-पाठन से संबंधित कई कमियां हैं.

कहते हैं विशेषज्ञ

एनसीईआरटी के मनोवैज्ञानिक प्रमोद कुमार ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि बच्चों को अगर लगातार अभ्यास करवाया जाए तो उनकी क्षमता बढ़ती है. बार-बार अभ्यास करने से बच्चों में सीखने की क्षमता बढ़ती है.

Ashish Jha
Ashish Jha
डिजिटल पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश. वर्तमान में पटना में कार्यरत. बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को टटोलने के लिए प्रयासरत. देश-विदेश की घटनाओं और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स को सीखने की चाहत.

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