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मांगलिक लग्न में साढ़े तीन माह में विवाह के 37 शुभ मुहूर्त

बक्सर : अपने बच्चों की शादी को लेकर इंतजार कर रहे अभिभावकों को जल्द-से-जल्द शादी के रस्म पूरे करने होंगे. क्योंकि मांगलिक लग्न मुहूर्त में इस बार काफी कमी है. आलम यह है कि अप्रैल से लेकर जुलाई तक के साढ़े तीन महीने में मात्र 37 मांगलिक मुहूर्त हैं. ऐसे में इस अवधि में चूक […]

बक्सर : अपने बच्चों की शादी को लेकर इंतजार कर रहे अभिभावकों को जल्द-से-जल्द शादी के रस्म पूरे करने होंगे. क्योंकि मांगलिक लग्न मुहूर्त में इस बार काफी कमी है. आलम यह है कि अप्रैल से लेकर जुलाई तक के साढ़े तीन महीने में मात्र 37 मांगलिक मुहूर्त हैं. ऐसे में इस अवधि में चूक गये, तो फिर नवंबर में अगले शादी के मुहूर्त का मौका मिलेगा. इस बार वैवाहिक मुहूर्त की कमी है. ज्यादा मुहूर्त केवल मई जून में हैं. वह भी अप्रैल में मात्र 8 तथा जुलाई में तो केवल दो दिन ही शुभ मुहूर्त है. तीन जुलाई के बाद शादी-विवाह के कार्यक्रमों पर विराम लग जायेगा.

मई माह में सबसे ज्यादा 15 शुभ मुहूर्त : सौर मास के अनुसार भगवान सूर्य के मीन राशि में दाखिल होने से चैत खरमास शुरू होता है. सूर्य के मेष राशि में प्रवेश के साथ ही इसका समापन हो जाता है. चैत को शुभ और लगनिया कहा गया है. मई माह में ही सबसे ज्यादा शुभ मुहूर्त हैं. इस माह में शादी विवाह के लिए 15 मांगलिक मुहूर्त हैं. इसमें 4, 5, 7, 8,10, 11, 18, 19, 21, 22, 25 31 को चौबीस घंटे लग्न है. जबकि 12, 17 26 को दिवा लग्न है. यानी इस तीन तिथियों को दिन में ही शुभ मुहूर्त बन रहा है. इसी प्रकार अप्रैल माह में 16, 19, 20, 21, 23, 24, 28, 30 को लग्न मुहूर्त है. जून माह में 1, 4, 5, 8, 11, 12, 18, 19, 22, 28, 29 30 को शुभ लग्न है. जुलाई माह में बस 2 3 को ही लग्न मुहूर्त इस बार बन रहा है.
गुरु के उदय होने पर मांगलिक कार्य होता है शुरू : अध्यात्म व कर्मकांड के जानकार पंडित राधेश्याम तिवारी ने बताया कि गुरु के उदय होने पर शादी-विवाह का कार्यक्रम शुरू होता है. उदय होने के बाद शादी विवाह पर लगी बंदिश खत्म हो जायेगी. फिर इसके बाद हरि शयनी दोष के कारण मांगलिक कार्य ठप हो जायेंगे. हरि शयनी एकादशी जुलाई माह में पड़ रहा है. इसके बाद मांगलिक कार्य ठप हो जायेंगे. हरि शयनी एकादशी के बाद मांगलिक कार्य पर विराम लगता है, तो उसका शुभारंभ प्रबोधिनी एकादशी यानी देवोत्थान एकादशी को होता है. देवोत्थान एकादश इस बार 10 नवंबर को पड़ रहा है. इस कारण से मांगलिक कार्य का आगाज इसके बाद ही होगा.
17 से शुरू होगा वैवाहिक लग्न
एक माह के खरमास के पश्चात लग्न का शुभारंभ 17 से हो रहा है. ज्योतिषाचार्य पं. राधेश्याम तिवारी के अनुसार 15 की रात को खरमास का समापन हो जायेगा. इसके पश्चात 16 अप्रैल की रात 8 बज कर 9 मिनट से शुभ लग्न के साथ ही मांगलिक कार्य शुरू हो जायेंगे. आचार्य के मुताबिक ग्रहों का प्रभाव शादी-विवाह पर भी होता है. लिहाजा शुक्र के अस्त होने पर मांगलिक कार्य करना वर्जित है. तीन जुलाई के बाद तीन महीना के लिए शुक्र अस्त हो रहे हैं, जिससे वैवाहिक कार्यों पर विराम लग जायेगा.
सोने-चांदी की दुकानों पर बढ़ी भीड़ : शादी में आभूषणों के महत्व को देखते हुए इन दिनों सर्राफा मार्केट में जबरदस्त भीड़ देखी जा रही है. अपने सामर्थ्य के अनुसार वर वधू के अभिभावक खरीदारी करने में जुटे हुए हैं. इसी तरह शादी विवाह में प्रयुक्त होनेवाले सामान की खरीदारी करने को लेकर भी बाजार में जबरदस्त भीड़ देखी जा रही है. इधर, मुख्यालय स्थित सभी विवाह भवन अभी से बुक हो चुके हैं. वहीं, होटलों की भी स्थिति कमोबेश वही है. शादी को लेकर कपड़ों की खरीदारी में महिलाओं की भीड़ भी देखी जा रही है.

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