ब्रह्मपुर : ब्रह्मपुर विधानसभा चुनाव में क्षेत्र के विकास संबंधी मुद्दों पर जनता का विशेष ध्यान है. ब्रह्मपुर विधानसभा में चाहे जिस दल का प्रत्याशी विधायक बना हो समस्याएं कमोवेश जस-की-तस हैं.
सड़क, बिजली, स्वास्थ्य एवं शिक्षा के साथ-साथ किसानों की समस्याएं भी हैं, जो प्रमुख रूप से शामिल हैं. ब्रह्मपुर विधानसभा की आधी से अधिक आबादी दियारा इलाके की है. जिनकी गेहूं की फसल कटने के समय ही ओलावृष्टि एवं तूफान में नष्ट हो गयी थी.
बक्सर जिला में सबसे अधिक ब्रह्मपुर प्रखंड के किसानाें की क्षति हुई थी. यह सरकारी अधिकारियाें के सर्वेक्षण से सिद्ध हो चुका था, फिर भी फसल क्षति का मुआवजा अधिकांश किसानों को आज तक नहीं मिला़
किसानों को सरकार से लाभकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता़ स्वास्थ्य सेवाएं तो बस नाम मात्र की हैं. देहात में नियुक्त डॉक्टर कभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं जाते. अगर गये भी तो उनके पास न सुई है और न दवा़ शिक्षा का हाल बेहाल है. विद्यालय खुलने और बंद होने का कोई समय निश्चित नहीं है. अधिकारी अगर जांच में पहुंच,
गये तो स्पष्टीकरण के नाम पर खानापूर्ति के सिवाय कुछ नहीं होता़ सड़काें की हाल भी खस्ता है. चुनाव के समय सिर्फ उसकी मरम्मत होती है़ बिजली तो अधिकांश गांवों में आज भी सपना है. इन गांव के लोग इसे मुद्दा बना कर नेताओं को उनकी औकात बताने के मूड में हैं. ब्रह्मपुर एक प्रसिद्ध एवं ऐतिहासिक जगह है,
फिर भी आज तक उपेक्षित है. बाबा बरमेश्वरनाथ मंदिर, गोकुल जलाशय, कृष्ण मृग बिहार, श्री राम मंदिर, तुलसी चबूतरा, आदि कई ऐसे मनोरम स्थल हैं, जिनको पर्यटक के रूप में विकसित करने की मांग वर्षों से यहां की जनता करते आ रही है, लेकिन आज तक किसी भी सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया़ लड़कियों की उच्च शिक्षा के लिए यहां कोई व्यवस्था नहीं है, जिसकी मांग हमेशा से उठती रही है़
बाबा बरमेश्वर नाथ मंदिर को ट्रस्ट बनाकर इसे पर्यटक स्थल और इसके सौंदर्यीकरण के लिए भी कई नेताओं ने आश्वासन दिये, लेकिन कहानी जस-की-तस है. यहां की जनता आर्सेनिक युक्त पानी का जहर पीने को बाध्य है. पूरा ब्रह्मपुर विधानसभा का दियारा इलाका आर्सेनिक पानी पी रहा है, जिससे लोग तरह-तरह की बीमारियाें से ग्रसित हो रहे हैं.