13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

धर्म के नष्ट होने पर अर्थ, काम और मोक्ष सभी नष्ट हो जाते हैं

बक्सर : वराह ने पृथ्वी के प्रश्न का उत्तर देते हुए मनुष्य के संदर्भ में जो अपने विचार दिये हैं आज ठीक मानव जीवन उसके विपरीत कार्य कर रहा है. मानव जीवन से एकमात्र धर्म के चले जाने से उसका अर्थ, काम एवं मोक्ष सभी नष्ट हो जाता है.आगे बताया कि धरा इस सृष्टि में […]

बक्सर : वराह ने पृथ्वी के प्रश्न का उत्तर देते हुए मनुष्य के संदर्भ में जो अपने विचार दिये हैं आज ठीक मानव जीवन उसके विपरीत कार्य कर रहा है. मानव जीवन से एकमात्र धर्म के चले जाने से उसका अर्थ, काम एवं मोक्ष सभी नष्ट हो जाता है.आगे बताया कि धरा इस सृष्टि में कुल चार प्रकार के जीव के रहने के लिए तीन प्रकार का स्थान तथा चौरासी लाख योनियो में मानव योनि को सर्वोतम बनाया है.

इसका कारण है कि सभी योनियां जीव के कर्म के अनुसार प्राप्ता होती है. उक्त बातें रामरेखा घाट पर रामेश्वर नाथ मंदिर परिसर में आयोजित तेरहवें धर्मायोजन में वराह पुराण कथा यज्ञ के दौरान कहा. उन्होंने कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि जबकि मानव शरीर भगवान की कृपा के कारण प्राप्त होता है.
भगवान नाना प्रकार के योनियों में दु:ख भोग रहे जीवों पर करूणा करके मनुष्य का तन प्रदान करते है और मुक्ति प्रदान करने के नियम बनाते हैं. मानव कैसे जीवन यापन करेगा तो उसे मोक्ष प्राप्त होगा. श्रीहरि ने मानवों के लिए चार पुरूषार्थों की रचना की है. धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इन चारों में प्रथम परिगणित है धर्म और अंतिम में मोक्ष है.
वहीं अर्थ और काम दोनों को मध्य में रखा गया है. इसका अर्थ है कि जब तक धर्म के अनुरूप अर्थोपार्जन नहीं होगा तब तक काम की समाप्ति नहीं होगी. जब तक काम की समाप्ति नहीं होगी तब तक जीव को मोक्ष नहीं मिलेगा. जब तक मोक्ष नहीं मिलेगा मानव जीवन निरर्थक एवं अर्थहीन होगा. जीवात्मा परमात्मा का अपना अंश है, भाग है. यह तबतक दु:खी एवं अधूरा है जब तक परमात्मा को जान नहीं लेता, पहचान नहीं लेता.
आज का समाज धर्म को गौण कर के अर्थ का महत्व बढ़ा दिया है. धर्म का स्थान अर्थ ने ले लिया है.धर्मविहीन अर्थ मानव जीवन में सबसे बड़ा अनर्थ यह करता है कि उसकी कामनायें बढ़ी जाती है. उसे मानव लगातार पूर्ण करने का प्रयास धर्म को ताक पर रखकर करता है. इसतरह अर्थ प्राप्त करने का मार्ग अधर्म हो जाता है.धर्म रहित अधर्म के मार्ग से प्राप्त अर्थ से बढ़ी कामना के कारण मोक्ष की प्राप्ति असंभव हो जाता है. जिसके कारण जब मानव शरीर छोड़ता है तो उसे कर्म के अनुसार विभिन्न नरकों एवं नारकीय योनियों में भ्रमण करना पड़ता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें