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PMO की पहल पर भागलपुर के ‘सीताराम’ का पता लगाने में जुटा BSF हेडक्वाॅर्टर, गांव में रास्ता निहार रहीं मां

भारत से मिली सूचना के अनुसार लंबे समय तक पाकिस्तान (Pmo Delhi) के जेल में बंद उसके इकलौते बेटे सीताराम झा को 2004 में भारत को सौंप दिया गया था. लेकिन 18 साल बाद भी वह अपने घर नहीं लौटा है.

भागलपुर: यह कहानी उस दुखियारी बूढ़ी विधवा मां की है, जो पाकिस्तान के दिए दर्द को झेल रही है. भारत से मिली सूचना के अनुसार लंबे समय तक पाकिस्तान (BSF headquarter) के जेल में बंद उसके इकलौते बेटे सीताराम झा को 2004 में भारत को सौंप दिया गया था. लेकिन 18 साल बाद भी वह अपने घर नहीं लौटा है. अब, इस मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय ने पहल की है, तो अमृतसर का बीएसएफ मुख्यालय सीताराम का पता लगाने में जुट गया है.

पाक सरकार ने भारत सरकार को सौंपा था पत्र

इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायुक्त (शाल एंड वीजा) एसके रेड्डी की पत्र संख्या आइएफएल/ सीओएनएस/ 411/01/2008 के अनुसार 31 अगस्त 2004 को 36 कैदियों को पाक सरकार ने भारत सरकार को वाघा बॉर्डर पर सौंपा था. इसमें सीताराम झा भी शामिल था. यह जानकारी उच्चायुक्त ने आरटीआइ के माध्यम से संबंधी मुकेश कुमार को दी थी. जानकारी के अनुसार सीताराम झा पंजाब के एक गांव में एक किसान के घर काम करते थे. एक दिन खेत की सिंचाई के दौरान बॉर्डर पार कर गये. जहां पाकिस्तानी सैनिकों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था.

BSF के DIG ने सीताराम के संबंधी को भेजा पत्र

इस मामले में सीताराम के संबंधी मुकेश कुमार ने प्रधानमंत्री कार्यालय (भारत) को पत्र भेज कर सीताराम झा की वापसी की गुहार लगायी थी. इस पर प्रधानमंत्री की पहल पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने सीताराम के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश बीएसएफ मुख्यालय को दिया.मामले में आगे बढ़ते हुए पंजाब के चासा कैंप बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स के अमृतसर सेक्टर के डीआइजी ने सीताराम झा के संबंधी श्री कुमार को बीते दो अगस्त को पत्र भेजा है. डीआइजी ने कहा है कि सीमा सुरक्षा बल को संयुक्त चेक पोस्ट (जेसीपी) और इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (आसीपी) अटारी पर केवल सुरक्षा उद्देश्य के लिए तैनात किया गया है.

नश्वर अवशेषों का लिया जा रहा सैंपल

ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन डिपार्टमेंट (बीओआइ) द्वारा कैदियों और नश्वर अवशेषों को सौंपने व लेने का काम किया जा रहा है. हालांकि सीताराम झा (पुत्र-स्व जगदीश झा) को सौंपने के संबंध में दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय, बीओआइ, अमृतसर से संपर्क किया गया है. डीआइजी ने यह भी कहा है कि एफआरआरओ, बीओआइ, अमृतसर से जानकारी प्राप्त होने पर तुरंत सूचित किया जायेगा.

खुशी से झूम उठे लोग

घर की खराब माली हालत देख साल 1996 में भागलपुर के सन्हौला प्रखंड स्थित मदारगंज गांव के सीताराम झा पंजाब कमाने के लिये चले गये थे. इससे आर्थिक तंगी झेल रहे परिवार को अच्छे दिन आने की आस जगी थी. जाने से पहले उसने अपना ऑटो बेच दिया था. उसी से घर चलाने की कुछ व्यवस्था कर गये थे. सीताराम के जाने के कुछ माह तक उनकी चिट्ठी आती रही, लेकिन बाद में वह भी बंद हो गयी. इधर, कमासुत बेटे से मिलने वाली खुशियों की बाट जोह रही मां व परिजन तरह-तरह की आशंका में डूब गये. इसी बीच एक दिन सनोखर के थानेदार सीताराम झा की मां उषा देवी से उसकी भारतीय नागरिकता के सत्यापन के लिए मिलने पहुंचे. जब मां ने यह सुना कि सीताराम जीवित है, तो उनके साथ-साथ पूरे मदारगंज के लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

मां को आज भी जिंदा होने की है उम्मीद

सीताराम झा की मां लगभग 75 वर्षीय उषा देवी मदारगंज में एक टूटी-फूटी झोपड़ी में अकेले रहती हैं. बेटी व समाज की मदद से उनका बहुत मुश्किल से गुजारा होता है. उन्हें इस बात की आज भी उम्मीद है कि उनका लाल घर जरूर लौटेगा.

सीताराम की मानसिक स्थिति नहीं थी ठीक

सीताराम की खोज में उनकी मां की मदद कर रहे संबंधी मुकेश कुमार ने बताया कि भारतीय उच्चायुक्त ने सीताराम झा को सौंपने की बात लिखित रूप में स्वीकार की है. यह भी उल्लेख किया है कि जिस वक्त उसे भारत सरकार को सौंपा जा रहा था, उस समय उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी. ऐसी स्थिति में संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी बनती थी कि सीताराम को सही सलामत परिजनों को सौंपते या फिर किसी अस्पताल में भर्ती कर परिजनों को सूचना भेजते, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.

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