बिहारशरीफ. विधानसभा चुनाव की तारीख भले ही घोषित नहीं हुई हो, लेकिन जिले में चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है. राजनीतिक दलों के संभावित प्रत्याशियों और उनके कार्यकर्ताओं ने अभी से मोर्चा संभाल लिया है. गांव-गांव जाकर मतदाताओं से संपर्क किया जा रहा है, दीवारों पर प्रचार पर्चे चिपकाए जा रहे हैं और सभाओं के जरिए जनसमर्थन जुटाने की कोशिश हो रही है. अभी चुनाव की औपचारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन कई संभावित प्रत्याशी अपने-अपने क्षेत्रों में मतदाताओं को गोलबंद करने में जुट गए हैं. खासकर निवर्तमान जनप्रतिनिधियों के कार्यकर्ता सबसे ज्यादा सक्रिय नजर आ रहे हैं. ये लोग घर-घर जाकर अपने नेता को फिर से मौका देने की अपील कर रहे हैं. राजनीतिक दल जाति और वर्ग के आधार पर भी समीकरण साधने में लगे हैं. पिछड़े, अति पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग को लेकर विशेष सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं. इन आयोजनों के जरिए सामाजिक समर्थन का आधार दिखाकर टिकट के दावेदार दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं. गुटबाजी और अंदरूनी खींचतान भी तेज चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहा है, वैसे-वैसे दलों के भीतर खींचतान भी बढ़ रही है. टिकट की दावेदारी को लेकर गुटबाजी तेज हो गई है. कुछ जगहों पर कार्यकर्ताओं के बीच टकराव की खबरें भी सामने आ चुकी हैं. बीजेपी और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प की घटनाएं इसका उदाहरण हैं. सत्तारूढ़ दल का फोकस उपलब्धियों के प्रचार पर जदयू कार्यकर्ता सरकार की योजनाओं को लेकर गांव-गांव संपर्क कर रहे हैं. नल-जल, छात्रवृत्ति और महिला सशक्तिकरण जैसी योजनाओं का जिक्र करते हुए वोटरों को प्रभावित करने की कोशिश हो रही है. कांग्रेस का फोकस युवाओं और पिछड़े वर्ग पर कांग्रेस कार्यकर्ता युवाओं और पिछड़े वर्ग के बीच सक्रिय हैं. बेरोजगारी, महंगाई और शिक्षा जैसे मुद्दों को उठाया जा रहा है. गांवों में स्थानीय समस्याओं की सूची तैयार की जा रही है, जिन्हें चुनावी मुद्दा बनाया जाएगा. सोशल मीडिया बना प्रचार का नया हथियार चुनावी प्रचार अब सोशल मीडिया पर भी तेजी से शिफ्ट हो रहा है. व्हाट्सएप, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर राजनीतिक दलों ने प्रचार ग्रुप बना लिए हैं. खासकर युवा मतदाताओं को जोड़ने के लिए डिजिटल माध्यमों का खूब उपयोग हो रहा है. प्रशासन भी जागरूकता अभियान में जुटा राजनीतिक हलचल के बीच जिला प्रशासन ने भी मतदाता जागरूकता अभियान की शुरुआत कर दी है. लोगों को वोट देने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. खासकर महिला और युवा मतदाताओं को टारगेट कर वोट प्रतिशत बढ़ाने की रणनीति बनाई जा रही है. मतदाता सत्यापन के बाद दावा आपत्ति के लिए भी लोगों को प्रेरित किया जा रहा है, ताकि कोई वास्तविक मतदाता का मतदान का अधिकार समाप्त नहीं हो. राजनीतिक तापमान चढ़ा, जनता की नजरें टिकीं हालांकि अभी चुनाव की तारीख तय नहीं है, लेकिन जिले में राजनीतिक तापमान चढ़ चुका है. हर पार्टी अपने संगठन और रणनीति के साथ मैदान में उतर चुकी है. अब देखना यह है कि जनता किसे जनादेश देती है.
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