राजगीर. हीरो एशिया कप के अंतिम दिन राजगीर में दर्शकों का सैलाब शाम तक उमड़ता रहा. बढ़ती भीड़ के बीच सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रही. राजगीर-इस्लामपुर एसएच 71 से खेल परिसर की ओर जाने वाले सड़क में सभी प्रकार के वाहनों की आवाजाही रोक दी गई थी, केवल पासधारी वाहनों को ही प्रवेश की अनुमति मिली. ट्रैफिक व्यवस्था को संभालने के लिए खुद ट्रैफिक डीएसपी मोर्चा संभाले रहे और पुलिसकर्मी लगातार गश्त करते रहे. इससे दर्शकों को सुरक्षित माहौल में मैच का आनंद लेने का अवसर मिला. पूरे आयोजन में अनुशासन और सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा गया. फाइनल मैच के दिन सबसे अधिक भीड़ गेट नंबर दो पर देखने को मिली. यहां प्रवेश के लिए दर्शकों की लाइन लगभग एक किलोमीटर लंबी लगी रही. सुरक्षा व्यवस्था के तहत प्रत्येक दर्शक की जांच मेटल डिटेक्टर से की जा रही थी, जिसके बाद ही उन्हें खेल परिसर में प्रवेश की अनुमति मिल रही थी. सुरक्षा कर्मी लगातार भीड़ को नियंत्रित करते हुए कतारबद्ध तरीके से दर्शकों को अंदर भेज रहे थे. गेट नंबर दो पर उमड़ी भीड़ ने आयोजन की लोकप्रियता और दर्शकों के उत्साह को और अधिक स्पष्ट कर दिया. हीरो एशिया कप के फाइनल मैच को लेकर खेल परिसर के बाहर सभी प्रवेश द्वारों पर सुरक्षा व्यवस्था बेहद सख्त रही. किसी भी व्यक्ति को बिना पास या टिकट बुकिंग के अंदर प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई. सुरक्षा कर्मियों ने हर प्रवेश द्वार पर कड़ी जांच की व्यवस्था की थी. मेटल डिटेक्टर से जांच के बाद ही दर्शकों को अंदर जाने दिया गया. पास और टिकट के बिना पहुंचे लोगों को वापस लौटना पड़ा. इस सख्त व्यवस्था से दर्शकों की भीड़ को नियंत्रित करने और आयोजन को सुरक्षित माहौल में संपन्न कराने में बड़ी सफलता मिली. हीरो एशिया कप के फाइनल मैच को लेकर दर्शकों का उत्साह इतना ज्यादा था कि लोग मैच शुरू होने से पहले ही हॉकी स्टेडियम पहुंचने लगे. हर कोई अपने पसंदीदा स्थान पर बैठकर मैच का आनंद लेना चाहता था. परिणामस्वरूप पहले मैच के दौरान ही पैवेलियन दर्शकों से खचाखच भर गया. सीटें पूरी तरह भर जाने के बाद भी दर्शक बाहर खड़े होकर अंदर जाने की प्रतीक्षा करते रहे. स्टेडियम का माहौल जोश और उत्साह से सराबोर था. चारों ओर भारत-भारत और अपनी-अपनी टीम के समर्थन में लगाए जा रहे नारों से वातावरण गूंज उठा.
हीरो एशिया कप के आखिरी दिन दर्शकों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला. सुबह से ही दर्शकों का सैलाब स्टेडियम की ओर उमड़ पड़ा. मैच शुरू होने के साथ ही उन्होंने भारतीय खिलाड़ियों का जमकर हौसला बढ़ाया. हर पास और हर गोल पर तालियों और नारों से पूरा स्टेडियम गूंज उठा. दर्शकों की आवाज़ से माहौल रोमांचक और ऊर्जावान हो गया. भारत-भारत और इंडिया-इंडिया के नारों से खिलाड़ियों का आत्मविश्वास और भी दोगुना हो गया. दर्शकों के इस उत्साह और समर्थन ने पूरे आयोजन को खास बना दिया और इसे यादगार बनाने में अहम भूमिका निभाई.
हीरो एशिया कप के मैच में उत्साह का माहौल उस समय और भावुक हो गया. जब दोनों पैरों से दिव्यांग सुधीर कुमार अपने मित्रों संग पहुंचे. प्रवेश द्वार नंबर दो पर सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें प्राथमिकता देते हुए तुरंत अंदर जाने की अनुमति दी. सुधीर ने खुशी जताते हुए बताया कि वे रोज मैच देखने आते हैं. खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन करते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि पिछले साल विमेंस एशिया हॉकी टूर्नामेंट में भी वे दर्शक बनकर पहुंचे थे. उनके जज्बे और खेल के प्रति लगाव ने वहां मौजूद सभी दर्शकों को प्रेरित किया.
हाफ टाइम के दौरान राजगीर हॉकी स्टेडियम का नजारा अद्भुत हो गया. कुछ क्षणों के लिए जब स्टेडियम की लाइटें बंद की गईं तो पूरा मैदान अंधेरे में डूब गया. तभी दर्शक दीर्घा में बैठे हजारों दर्शकों ने अपने मोबाइल फोन की फ्लैश लाइट जला दी. देखते ही देखते चारों ओर जगमगाहट फैल गई. ऐसा लगा मानो आसमान के तारे धरती पर उतर आए हों. यह दृश्य खिलाड़ियों और दर्शकों दोनों के लिए रोमांचक और यादगार बन गया. पूरा स्टेडियम उत्साह और ऊर्जा से भर गया. यह क्षण खेल भावना और दर्शकों के उत्साह का अनूठा प्रतीक बन गया.
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