बिहारशरीफ. हरनौत बाजार स्थित कृषि विज्ञान केंद्र परिसर में दूधिया (मिल्की) मशरूम की खेती पर केंद्रित पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन गुरुवार को हुआ. प्रशिक्षण के अंतिम दिन प्रतिभागियों के मूल्यांकन के साथ-साथ उन्हें प्रमाण पत्र और मशरूम बीज वितरित किए गए. कार्यक्रम का आयोजन अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के 34 चयनित प्रशिक्षुओं के लिए 5 जुलाई से 10 जुलाई तक किया गया था. प्रशिक्षण का नेतृत्व कृषि विज्ञान केंद्र की वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ. सीमा कुमारी और गृह विज्ञान विशेषज्ञ एवं प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. ज्योति सिन्हा ने किया. डॉ. सीमा कुमारी ने बताया कि दूधिया मशरूम, जिसे मिल्की मशरूम के नाम से जाना जाता है, गर्मी के मौसम में उगाई जाने वाली एक प्रमुख किस्म है. जिले में इसकी खेती को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से यह प्रशिक्षण आयोजित किया गया, ताकि किसान सालभर मशरूम की उपलब्धता सुनिश्चित कर सकें. प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को मशरूम की खेती की तकनीकी बारीकियों, बीज तैयार करना, केसिंग मटेरियल का उपयोग, संरक्षण, कीट नियंत्रण, और बाजार से जुड़ाव (मार्केटिंग) जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं की जानकारी दी गई. डॉ. ज्योति सिन्हा ने बताया कि केसिंग मटेरियल मशरूम की जड़ों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह नमी बनाए रखता है, उपज को बढ़ाता है और फसल को कीटों व बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है. प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को केसिंग सामग्री की तैयारी व उपयोग की विधि भी सिखाई गई. प्रशिक्षण में मशरूम की प्रसंस्करण विधियों, संरक्षण तकनीकों और बाजार में बिक्री के तरीकों पर भी जानकारी दी गई, ताकि प्रतिभागी खेती को आजीविका के रूप में अपनाकर आर्थिक रूप से सशक्त बन सकें. इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य जिले में मशरूम की व्यावसायिक खेती को बढ़ावा देना, किसानों को नवीन कृषि तकनीकों से जोड़ना और उत्पादन के साथ-साथ विपणन के लिए सक्षम बनाना था.
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