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घाटकोसुम्भा को बाढ़ग्रस्त घोषित करने की मांग तेज

घाटकोसुम्भा प्रखंड को जलजमाव क्षेत्र की जगह बाढ़ग्रस्त क्षेत्र घोषित करने की मांग को लेकर पिछले एक पखवारे से चलाया जा रहा हस्ताक्षर अभियान पूरा हो गया है.

शेखपुरा. घाटकोसुम्भा प्रखंड को जलजमाव क्षेत्र की जगह बाढ़ग्रस्त क्षेत्र घोषित करने की मांग को लेकर पिछले एक पखवारे से चलाया जा रहा हस्ताक्षर अभियान पूरा हो गया है. सोमवार को आठ हजार से अधिक लोगों का हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन डीएम को सौंपा जायगा. घाटकोसुम्भा प्रखंड के 35 हजार से अधिक की आबादी हर साल बाढ़ का दंश झेलने को मजबूर हैं. घाटकोसुम्भा प्रखंड को जलजमाव क्षेत्र घोषित करने से इस प्रखंड के लोगों को आपदा राहत का फायदा नहीं मिल पाता है.जबकि,गंगा के पानी के दबाब से प्रखंड हरोहर नदी से बाढ़ का दंश झेल रहे घाट कोसुम्भा वासियों को राहत नहीं मिलती है.लेकिन इसी पानी से बाढ़ का दंश झेल रहे लखीसराय जिले के बढ़हिया प्रखंड के लोगों के बीच राहत का वितरण सरकार के द्वारा की जाती है. सरकार के इस दोहरी नीति से परेशान घाटकोसुम्भा के लोग अब गोलबंद हो रहे हैं और इसे बढ़ा मुद्दा बनाते हुए ‘राहत नहीं तो वोट नहीं का नारा देकर’ इस आन्दोलन को धार देने में जुटे हैं. सोमवार को डीएम् को ज्ञापन देने बड़ी संख्यां में लोग पहुंचेंगे. 2007 से घाटकोसुम्भा प्रखंडवासी झेल रहे दोहरी नीति का दंश

इस संबंध में हस्ताक्षर अभियान को गति देने में जुटे नीतीश कुमार ने बताया कि घाटकोसुम्भा प्रखंड वासियों को बाढ़ आने पर 2007 से पहले आपदा राहत दी जाती थी. लेकिन 2007 में इसे जलजमाव क्षेत्र घोषित कर दिया गया. जब भी गंगा का पानी उफनता है घाटकोसुम्भा वासियों की फसलें नष्ट हो जाती है. घरों में रहना भी मुश्किल हो जाता है. पशु चारे की कमी होती है. बाढ़ के कारण स्कूलें बंद हो जाती है. लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है. इसका खामियाजा इस क्षेत्र की जनता आज तक भुगत रही है. इस सम्बन्ध में पूर्व में जन प्रतिनिधियों और जिला प्रशासन के अधिकारियों से राहत लगाई गई.लेकिन 18 बर्ष तक इस समस्या के उपर कोई ध्यान नहीं दिया गया. थकहार कर अब लोग आंदोलन की राह पर आने को मजबूर हैं. अब डीएम को ज्ञापन सौंप इस सम्बन्ध में जल्द कारवाई की गुहार लगायेंगे. अगर जल्द निर्णय नहीं हुआ तो सीएम के समक्ष गुहार लगायेंगे.

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