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राजगीर में भूटान बौद्ध मंदिर का उद्घाटन कल, भूटान के पीएम और बिहार के सीएम होंगे शामिल

महात्मा बुद्ध की तपोभूमि राजगीर में नवनिर्मित भूटान बौद्ध मंदिर के उद्घाटन समारोह को लेकर माहौल पूरी तरह धार्मिक और सांस्कृतिक रंगों में रंग चुका है.

राजगीर. महात्मा बुद्ध की तपोभूमि राजगीर में नवनिर्मित भूटान बौद्ध मंदिर के उद्घाटन समारोह को लेकर माहौल पूरी तरह धार्मिक और सांस्कृतिक रंगों में रंग चुका है. प्रवेश द्वार से लेकर मंदिर परिसर तक आकर्षक सजावट की जा रही है. नवनिर्मित मंदिर, आवासीय भवन, वीआइपी गेस्टहाउस और लैम्प हाउस आदि को बौद्ध परंपरा के अनुरूप फूल-मालाओं, ध्वज-पताकाओं और रंग-बिरंगे सजावटी कपड़ों से सजाया गया है. वातावरण में आध्यात्मिकता और भव्यता का संगम दिखाई दे रहा है. परिसर को रोशनी से आलोकित किया गया है. इससे मंदिर क्षेत्र का सौंदर्य और निखर उठा है. समारोह की सभी आवश्यक तैयारियां अब अंतिम चरण में हैं. आयोजन समिति ने अतिथियों के स्वागत, सुरक्षा व्यवस्था, भोजन, आवास और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रूपरेखा तय कर ली है. देश-विदेश से आने वाले अतिथियों और श्रद्धालुओं के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं. बौद्ध भिक्षुओं लामाओं के आवागमन और पूजा-अर्चना की व्यवस्था भी सुव्यवस्थित ढंग से सुनिश्चित की गयी है. स्थानीय लोग इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बनने को उत्सुक हैं. उद्घाटन को लेकर पूरे क्षेत्र में उल्लास और उत्साह का वातावरण है. यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि राजगीर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अधिक पहचान दिलाने में भी मील का पत्थर साबित होगा. नवनिर्मित भूटान बौद्ध मंदिर का उद्घाटन चार सितंबर को होना निर्धारित है. शाही भूटान मंदिर का प्राण-प्रतिष्ठा भूटान के 70वें महाराजा जेइ खेंपो त्रुलकु जिग्मे छोएदा करेंगे. इस मंदिर की आधारशिला 70वें महाराजा जेइ खेंपो त्रुलकु जिग्मे छोएदा और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा 11 नवंबर 2018 को रखा गया था. मंदिर के उद्घाटन कार्यक्रम में रॉयल भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शामिल होंगे. इस अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम में केंद्रीय संसदीय कार्य एवं अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू, भारत में भूटान के राजदूत, कोलकाता स्थित भूटान वाणिज्य दूतावास के काउंसलेट जनरल, भूटान के मुख्य भिक्षु जे खेम्पो तथा भूटान में भारत के राजदूत सुधाकर दलेला शामिल होंगे. इसके अलावे नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययनरत भूटानी विद्यार्थी भी इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बनेंगे. इस समारोह में भूटान, भारत और बिहार के अनेकों नामचीन हस्तियां शामिल होंगे. मंदिर के परियोजना निदेशक किनले ग्याल्त्शेन ने बताया कि मंदिर उद्घाटन के उपरांत भूटान से आये नामचीन कलाकारों द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया जायेगा. इस कार्यक्रम में बिहार, भारत और भूटान की प्रमुख हस्तियां भी शामिल होंगी. उन्होंने कहा कि भूटान बौद्ध मंदिर का निर्माण न केवल आस्था और अध्यात्म का केंद्र बनेगा, बल्कि यह भारत-भूटान की मित्रता, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और पर्यटन का भी नया अध्याय खोलेगा. राजगीर की धरती पर बना यह मंदिर आने वाली पीढ़ियों को शांति, करुणा और मानवता का संदेश देता रहेगा. राजगीर भगवान बुद्ध की तपोभूमि और कर्मभूमि रही है. राजगीर विश्व बौद्ध तीर्थ स्थलों में अपनी विशेष पहचान रखता है. यह न केवल भूटान और भारत के बीच मैत्री का सशक्त प्रतीक बनेगा, बल्कि दोनों देशों के आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन संबंधों को भी नई दिशा देगा. आध्यात्म, ज्ञान और मैत्री का केंद्र बनेगा भूटान बौद्ध मंदिर इस मंदिर के उद्घाटन के बाद भूटान से तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों की बड़ी संख्या में राजगीर और नालंदा आगमन की संभावना है. इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा. राजगीर की अंतरराष्ट्रीय पहचान और सशक्त होगी. साथ ही भूटानी जीवन-दर्शन, जो ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस पर आधारित है. भारत के लोगों तक पहुंचेगा. इस प्रकार यह मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि संस्कृतियों, विचारों और मानवता को जोड़ने वाला सेतु भी बनेगा. यह मंदिर अध्यात्म, ज्ञान और मैत्री का वह केंद्र बनेगा, जहां से आने वाली पीढ़ियां शांति, करुणा और सुख के मार्ग को आत्मसात करेंगी. भूटानी वास्तुकला की अद्भुत छटा यह मंदिर पारंपरिक भूटानी वास्तुकला शैली में निर्मित है. इसमें लकड़ी की नक्काशी, रंगीन चित्रांकन और ऊंचे स्तूप जैसे शिखर आकर्षण का केंद्र है. मंदिर के अंदर बुद्ध की भव्य प्रतिमा स्थापित की गई है. उसके चारों ओर भूटानी धार्मिक चित्रों (थांका पेंटिंग्स) और प्रतीकों से दीवारें सजाई गई हैं. मंदिर परिसर में प्रार्थना चक्र (प्रेयर व्हील्स), भिक्षुओं के ध्यान स्थल और श्रद्धालुओं के लिए प्रार्थना कक्ष बनाये गये हैं. वास्तुकला में लकड़ी, मिट्टी और पत्थर का संतुलित उपयोग भूटानी संस्कृति की झलक देता है. यह राजगीर के प्राकृतिक वातावरण से भी गहरा सामंजस्य स्थापित करता है.

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