14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

महिलाओं की सुरक्षा को लेकर इच्छाशक्ति की कमी

आरा : हैदराबाद की घटना के बाद बक्सर और समस्तीपुर के वारिसनगर में युवती के साथ रेप के बाद हत्या की घटनाओं ने नारी समाज के साथ-साथ सभ्य समाज को भी झझकोर कर रख दिया है. महिलाएं अपनी सुरक्षा को लेकर डर गयी हैं. जब प्रभात खबर की टीम जिले की कुछ महिलाओं से इस […]

आरा : हैदराबाद की घटना के बाद बक्सर और समस्तीपुर के वारिसनगर में युवती के साथ रेप के बाद हत्या की घटनाओं ने नारी समाज के साथ-साथ सभ्य समाज को भी झझकोर कर रख दिया है. महिलाएं अपनी सुरक्षा को लेकर डर गयी हैं. जब प्रभात खबर की टीम जिले की कुछ महिलाओं से इस पर बात की, तो उन्होंने कहा, इंसान और जानवर में अब कोई अंतर नहीं दिख रहा है.

अनुशासन, मानवता, समाज के प्रति सकारात्मक सोच, राष्ट्रीय सोच अब बीते दिनों की बात रह गयीं हैं. महिलाओं के प्रति समाज के कुछ लोगों की सोच जल्लाद से भी बदतर है. इसमें प्रशासनिक और सरकारी स्तर पर कार्रवाई को लेकर इच्छाशक्ति की कमी, समाज की कमजोर होती हुई व्यवस्था व फिल्मों में दिखाये जा रहे अश्लीलता का प्रभाव समाज पर पड़ रहा है. युवा पीढ़ी दिशाहीन हो रही है .
चरित्र निर्माण और मानवीय संवेदनाओं के बारे में समाज को िवशेष रूप से जागरूक करने की है आवश्यकता
पहले बच्चों को घर के बड़े-बुजुर्ग समाज के दायित्व, चरित्र निर्माण की बातों तथा मानवीय संवेदनाओं के बारे में बताते थे. इसका प्रभाव बचपन में ही पड़ जाता था. इस कारण इस तरह की घटनाएं नहीं के बराबर होती थीं. अब ऐसा नहीं हो रहा है. बच्चों को देश के महापुरुषों के बारे में बताया जाता था. उनके जीवन चरित्र के अनुसार बच्चों को आचरण करने की सीख दी जाती थी. इससे बच्चों की मानसिकता पर अच्छा प्रभाव पड़ता था.
वीणा सिंह, महिला
फिल्मों में अश्लीलता का नंगा नाच हो रहा है. केवल अश्लील चीजों को ही दिखाया जाता है. समाज के बीच नफरत पैदा की जा रही है. जबकि पहले बननेवाले सिनेमा में राष्ट्रभक्ति और सामाजिक परिदृश्य पर सकारात्मक पटकथा तैयार किया जाता था तथा उसे प्रदर्शित किया जाता था. विगत कई वर्षों से इस तरह की घटनाओं के लिए फिल्म इंडस्ट्री भी जिम्मेदार है. सरकार को इस तरह की फिल्मों पर रोक लगानी चाहिए.
बेबी सिंह,महिला
देश के कानून में काफी लचर व्यवस्थाएं हैं. कानून में परिवर्तन कर इसमें और भी सख्ती का प्रावधान करना चाहिए. महिलाओं के साथ बलात्कार सहित अन्य घटनाएं करनेवाले अपराधियों के लिए केवल और केवल मृत्युदंड की व्यवस्था होनी चाहिए. प्रशासन को भी सख्त बनाना होगा व निष्पक्ष होकर काम करने के लिए व्यवस्था करनी होगी. इसके लिए सरकार को कानून बनाना चाहिए, ताकि इस तरह की घटना न हों.
गीता देवी, महिला
समाज में नैतिकता की कमी आ रही है. विद्यालय एवं महाविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में चरित्र निर्माण से संबंधित तथा नैतिकता से संबंधित पढ़ाई को शामिल नहीं किया गया है. पहले विद्यालयों में महापुरुषों, संतों व समाज से जुड़ी सकारात्मक बातों से संबंधित विषयों की पढ़ाई की जाती थी, पर अब इस तरह की पढ़ाई नहीं हो रही है. पाठ्यक्रम से ऐसे विषय हटा दिये गये हैं. इससे छात्रों पर गलत प्रभाव पड़ रहा है. नैतिकता की कमी आ रही है.
मोनिका कुमारी, छात्रा
लोगों के बीच सामाजिक सोच की कमी हो गयी है. सामाजिक वैल्यू शून्य हो गया है. पहले लोगों में सामाजिक चेतना भरी रहती थी. एक-दूसरे के सहयोग के लिए तत्पर रहते थे, पर आज हालात ऐसे हैं कि किसी भी लड़की या महिला के साथ अपराधी गलत व्यवहार करते रहते हैं. लोगों को इसका विरोध करना चाहिए था. अपराधियों का सामना करना चाहिए था, ताकि अपराधियों को यह लगे कि गलत करेंगे, तो समाज के लोग नहीं छोड़ेंगे.
हर्षिता विक्रम,छात्रा
समाज में आधुनिकता के नाम पर युवा पीढ़ी से नैतिकता समाप्त की जा रही है. इसके पीछे समाज का एक वर्ग काम कर रहा है. जब भी समाज में नैतिकता की बात की जाती है. पाठ्यक्रमों में अच्छी चीजों को शामिल करने की बात की जाती है, तो यह वर्ग इसका विरोध करने लगता है. आजादी की बात करने लगता है. इससे भी अपराधी तत्वों का मनोबल बढ़ते जा रहा है. नेतृत्व में भी इस प्रवृत्ति को समाप्त करने की इच्छाशक्ति की कमी है.
दीपावली,छात्रा
कानून की स्थिति काफी लचर है. अपराधी को सजा मिलने में वर्षों लग जाते हैं. इसमें कार्यपालिका, विधायिका व न्यायपालिका तीनों की भूमिका काफी ढीली है. अदालतों में किसी मामले का फैसला होने में वर्षों लग जाते हैं. इससे अपराधियों का मनोबल बड़ा रहता है. प्रशासनिक स्तर पर भी कारगर कार्रवाई नहीं की जाती है. इस कारण हर स्तर पर सुधार की आवश्यकता है.
आकर्षी
परिवार को जीवन का प्रथम पाठशाला माना जाता है. पारिवारिक स्तर पर भी बच्चों में संस्कार डालना चाहिए. समाज के प्रति दायित्वों का बोध कराना चाहिए, ताकि बच्चे अपराध की तरफ नहीं मुड़े. अभिभावकों को लगातार बच्चों की निगरानी करते रहनी चाहिए. गलती पर समर्थन नहीं करना चाहिए. प्रशासन को ऐसे तत्वों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए. लोगों के बीच मानवता नाम की चीज नहीं रह गयी है.
छोटू सिंह , छात्र
अर्धनग्न कपड़े, आधुनिकता की गलत परिभाषा व सामाजिक तथा व्यावहारिक स्वतंत्रता की गलत परिभाषा का इस तरह प्रचार कर दिया गया है कि लड़के, लड़कियां चरित्रहीनता की तरफ अग्रसर हो रहे हैं. लंबी व पेचीदा कानूनी व्यवस्था, विदेशी संस्कारों का नकल, बुजुर्गों की उपेक्षा व सिनेमा जगत तथा टीवी जगत की गलत परंपराओं के कारण इस तरह की समाज की स्थिति बनी है. लड़कियों के साथ बलात्कार व दुर्व्यवहार की घटनाएं घट रही हैं.
राहुल सिंह , छात्र

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें