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Bhagalpur news रेल कोच बना कविता का मंच, सफर में गूंजे जनवादी स्वर

कवियों ने साहित्य को मंच और सभागार की सीमाओं से बाहर निकालते हुए रेल यात्रा को ही कवि गोष्ठी में बदल दिया

वर्षांत के मौके पर कवियों ने साहित्य को मंच और सभागार की सीमाओं से बाहर निकालते हुए रेल यात्रा को ही कवि गोष्ठी में बदल दिया. अजगैबीनाथ साहित्यमंच, सुलतानगंज और प्रगतिशील बुद्धिजीवी साहित्यमंच, बरियारपुर के संयुक्त तत्वावधान में रेल सफर के दौरान अनोखे अंदाज में आयोजित कवि गोष्ठी ने यात्रियों को साहित्यिक आनंद से सराबोर कर दिया.भागलपुर से बरियारपुर की रेल यात्रा के दौरान आयोजित इस कवि गोष्ठी में दर्जनभर कवियों ने रेल कोच को साहित्यिक वातावरण में बदल दिया. अचानक रेल में गीत, गजल और कविताओं की गूंज सुनकर यात्री पहले चकित हुए, फिर तालियों और मुस्कान के साथ कवियों का उत्साहवर्धन करते नजर आए. कार्यक्रम का संचालन अंगिका के जनवादी कवि भोला बागवनी ने अपने सहज और प्रभावी अंदाज में किया, जबकि अध्यक्षता प्रगतिशील बुद्धिजीवी साहित्यमंच के गजलकार शशि आनंद अलबेला ने की. कार्यक्रम का संयोजन व समन्वयन अजगैबीनाथ साहित्यमंच, सुलतानगंज के अध्यक्ष भावानंद सिंह प्रशांत ने किया.गोष्ठी की शुरुआत भागलपुर के कवि कपिलदेव कृपाला की सरस्वती वंदना से हुई. शशि आनंद अलबेला ने अपनी गजल के जरिए भावनाओं की गहराई को शब्दों में पिरोया, वहीं भावानंद सिंह प्रशांत ने देशभक्ति और प्रेम से ओतप्रोत गीत प्रस्तुत कर माहौल को भावुक बना दिया. वरिष्ठ कवि भोला बागवनी ने रेल यात्रा पर आधारित कविता सुनाकर यात्रियों को भारतीय प्रगति और एकता का संदेश दिया.

कविता प्रेमी कुंदन कुमार ने कहा कि रेल सफर के दौरान कविता में डूबकर ऐसा लगा मानो समय थम गया हो. साहित्य को आम लोगों तक पहुंचाने का यह अभिनव प्रयास रहा.

कवियों और रचनाकारों ने अपनी रचनाओं से शमां बांधा

पीरपैंती ईशीपुर में रियल स्टेज पोएट्री के माध्यम से कवि सम्मेलन हुआ. आयोजनकर्ता मो आसिफ ने बताया कि अलग-अलग जगह से आये कवियों और गजलकारों ने अपनी प्रस्तुति दी. आयोजन का मुख्य उद्देश्य समाज के अलग-अलग हिस्सों से युवा कवियों, गजलकरों और छिपी प्रतिभाओं को मंच मुहैया कराना है. यह कार्यक्रम पूरी तरीके से निशुल्क था. करीब 50 से ज्यादा लोगों ने भाग लिया. यह नि:शुल्क ओपन माइक काव्य–गीत प्रस्तुति कार्यक्रम साहित्य प्रेमियों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बनकर उभरा. इस ओपन माइक मंच पर कविता, कहानी, शायरी और ग़ज़ल की मनमोहक प्रस्तुतियां देश के विभिन्न क्षेत्रों से पधारे रचनाकारों ने दी. बांका, भागलपुर, नवगछिया, गोड्डा, कहलगांव एवं लखीसराय से आये सभी कवि–कवयित्रियों ने पूरे उत्साह और संवेदनशीलता से सहभागिता निभायी. कार्यक्रम में भाग लेने वाले प्रत्येक रचनाकार को सम्मान, स्नेह और प्रेमपूर्ण तोहफों से सम्मानित किया गया, जिससे माहौल और आत्मीय हो उठा. कार्यक्रम का संचालन विकास ओझा ने किया.इस साहित्यिक संध्या की शोभा बढ़ाने के लिए कई प्रोफेसर एवं बीपीएससी चयनित शिक्षक और 50 से अधिक छात्र उपस्थित रहे.

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