सुविधा मिले तो रेडिमेड हब बन सकता है भागलपुर-सिल्क के अलावा लिनेन भी बनता है यहां-सुविधाओं के अभाव में उद्योग लगाने से दूर भाग रहे हैं उद्यमी – इक्के-दुक्के व्यवसायी फूंक-फूंक कर उठा रहे हैं कदम-फिर भी लाखों का चल रहा है रेडिमेड कारोबार-व्यापक पैमाने पर मिलेगा रोजगार दीपक राव/भागलपुर भागलपुर शहर पटना के बाद बड़ा व्यावसायिक केंद्र है. यहां सिल्क के साथ-साथ लिनेन वस्त्र तैयार करने का व्यापक पैमाने पर कारोबार फैला है. बावजूद यहां रेडिमेड उद्योग को बढ़ावा नहीं मिल रहा है. दरजी व कारोबारियों की मानें तो अधिकतर संसाधन उपलब्ध होने के बाद भी यहां पर मूलभूत सुविधा बिजली, पानी व यातायात नहीं मिलने से रेडिमेड उद्योग लगाने का साहस नहीं कर पा रहे हैं. प्रदेश सरकार यदि रेडिमेड वस्त्र निर्माण को बढ़ावा दे, तो यहां रेडिमेड वस्त्र का हब बन सकता है. चैंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष सह रेडिमेड एंड होजियरी एसोसिएशन के अध्यक्ष रामगोपाल पोद्दार का कहना है कि भागलपुर में रेडिमेड वस्त्र उद्योग की काफी संभावनाएं हैं. पटना के बाद भागलपुर ही व्यवसायियों का बड़ा केंद्र रहा है. छोटे स्तर पर तो शहर में रेडिमेड उद्योग चल ही रहा है, लेकिन इससे व्यापक पैमाने पर लोगों को रोजगार व कारोबार नहीं मिल सकता. फिलहाल एक करोड़ रुपये से भी अधिक रेडिमेड वस्त्र शहर में तैयार करने का कारोबार होता है. लिनेन व सिल्क उद्यमी प्राणेश राय बताते हैं कि शहर में करोड़ों का सिल्क व लिनेन वस्त्रों का कारोबार फैला है. यहां पर कच्चा माल, दरजी व अन्य संसाधन उपलब्ध हैं, बावजूद यहां रेडिमेड वस्त्रों को बढ़ावा नहीं मिल रहा है. टेलर मास्टर सैफुल इसलाम उर्फ पिंटू बताते हैं कि यहां पर कई बार छोटी मशीन लगा कर रेडिमेड वस्त्र तैयार करने काम शुरू किया गया, लेकिन अपना जेनरेटर रख उद्योग चलाना मुश्किल हो गया. यदि बिजली की पर्याप्त आपूर्ति हो, तो यहां रेडिमेड वस्त्र का उद्योग स्थापित हो सकता है. सिलाई मशीन से रेडिमेड वस्त्र तैयार करना संभव नहीं है. इसमें रेट भी अधिक लगता है और इसकी बिक्री में मुनाफा भी नहीं होता है. शुरू हुआ था फर्निसिंग वस्त्र तैयार करने का उद्योग यहां पर 1987-88 में ही अंबा इंटरनेशनल एवं मॉडर्न फाइवोटेक्स इंडिया लिमिटेड फर्निसिंग वस्त्र तैयार करना चालू भी किया था, लेकिन सरकारी उदासीनता से धीरे-धीरे कारोबारी बंद करने को विवश हो गये. 1.60 मीटर कपड़े में तैयार होता है शर्ट 1.60 मीटर कपड़े से एक शर्ट तैयार हो जाता है. इसके दाम मुश्किल से तीन से चार सौ रुपये होते हैं, लेकिन यही महानगरों में मुंहमांगे दामों में 1200 से 2000 रुपये तक में बिकता है. यदि इसका कारोबार यहां फैलता है, तो यहां के बुनकरों और दर्जी की कमाई बढ़ जायेगी व अधिक से अधिक लोगों को रोजगार भी मिलेगा. बिना रेट चुकाये बिचौलिया करते हैं चौगुनी कमाई सिल्क व्यवसायी स्वपन सिन्हा बताते हैं कि यहां पर कोई व्यवसायी छोटे स्तर पर रेडिमेड उद्योग शुरू भी करता है तो उन्हें समय पर मनमाफिक कमाई नहीं मिल पाती है. जैसे 400 रुपये के रेडिमेड शर्ट को दूसरे महानगरों में सप्लाइ करने पर वहां के बड़े व्यवसायी बिचौलिया की भूमिका में कई माह बाद इसका रेट चुकाते हैं, जबकि वह उसी शर्ट से तिगुनी से चौगुनी कमाई कर लेते हैं, तभी यहां के व्यवसायी को रेट चुकाते हैं. कारोबारियों का मानना है कि यदि यहां पर रेडिमेड वस्त्र का व्यापक पैमाने पर उद्योग स्थापित किया जाये, तो प्रदेश सरकार को भी वैट के माध्यम से राजस्व प्राप्त होगा और यहां का औद्योगिक विकास को नया आयाम मिलेगा. सरकार उद्योग को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर इंसेटिव स्कीम चलाती है. कई राज्यों में ऐसा चल भी रहा है, जबकि ऐसा यहां कुछ भी नहीं है. दूसरा कारण व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र व बाजार का अभाव भी है.
सुविधा मिले तो रेडिमेड हब बन सकता है भागलपुर
सुविधा मिले तो रेडिमेड हब बन सकता है भागलपुर-सिल्क के अलावा लिनेन भी बनता है यहां-सुविधाओं के अभाव में उद्योग लगाने से दूर भाग रहे हैं उद्यमी – इक्के-दुक्के व्यवसायी फूंक-फूंक कर उठा रहे हैं कदम-फिर भी लाखों का चल रहा है रेडिमेड कारोबार-व्यापक पैमाने पर मिलेगा रोजगार दीपक राव/भागलपुर भागलपुर शहर पटना के बाद […]
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