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300 डस्टबिन निगम कार्यालय में डंप, वार्डों में नहीं हो रहा वितरण

पिछले एक माह से निगम कार्यालय में 300 प्लास्टिक डस्टबिन डंप है. इसको इसलिए मंगाया गया है और चक्का लगाकर तैयार किया है कि वार्डों में उपलब्ध करायी जाये.

वरीय संवाददाता, भागलपुरपिछले एक माह से निगम कार्यालय में 300 प्लास्टिक डस्टबिन डंप है. इसको इसलिए मंगाया गया है और चक्का लगाकर तैयार किया है कि वार्डों में उपलब्ध करायी जाये. लेकिन, बांट नहीं रहा है. इधर, अब दूसरी खेप में 300 और डस्टबिन की आपूर्ति हाे चुकी है. निगम के स्टाॅक में अब 600 डस्टबिन हो गया है. डस्टबिन का स्टाॅक खत्म हाेने के बाद फरवरी में ही खरीद की प्रक्रिया हुई थी. पिछले माह में 300 डस्टबिन की आपूर्ति हुई थी. दिल्ली से आये टेक्नीशियन ने सभी डस्टबिन काे इंस्टाॅल कर तैयार भी कर दिया है. निगम प्रशासन ने सिपेट की टीम काे तकनीकी जांच करने का पत्र भेजा है. अब वह टीम आकर जांच करेगी, तो ही वार्डाें में बांटी जायेगी.

शनि मंदिर के पास बने प्याऊ का बदला गया माेटर, जलसंकट हुआ दूर

नगर निगम ने गुरुवार को सेल्स टैक्स ऑफिस के ठीक सामने शनि मंदिर के पास बने प्याऊ का माेटर बदल दिया. इसके बाद वहां अब जलापूर्ति की समस्या दूर हो गयी है. लोगों को पानी मिलने लगा है. वार्ड 51 में एक सेंटर पर एक एचपी का माेटर लगा था, जिससे पानी की आपूर्ति सही से नहीं हाे रही थी, वहां अब 1.5 एचपी का माेटर लगाया है. जलकल शाखा प्रभारी जयप्रकाश यादव के अनुसार शनिदेव मंदिर के पास प्याऊ में नया माेटर लगवाया है. नगर निगम के अनुसेवक को कारण बताओ नोटिस जारीनये तैनाती स्थल पर कार्यभार नहीं संभालने पर नगर निगम के अनुसेवक मनोज कुमार को नगर आयुक्त ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है. साथ ही तीन दिनों के अंदर स्पष्टीकरण मांगा है और कार्यभार नहीं संभालने पर अनुशासनिक कार्रवाई करने की चेतावनी दी है.

दरअसल 15 अप्रैल को अनुसेवक मनोज कुमार को नगर प्रशासन की ओर से जलापूर्ति के मद्देनजर वार्ड संख्या 4 के बाबू टोला बोरिंग में द्वितीय पाली में प्रतिनियुक्त किया था. कार्यभार नहीं संभालने पर 20 अप्रैल को जलकल शाखा की ओर से स्पष्टीकरण मांगा गया. बावजूद, इसके उनकी ओर से जवाब नहीं दिया गया. 13 मई तक भी कार्यस्थल पर योगदान नहीं दिया. नगर आयुक्त ने इसे आदेश का अनुपालन नहीं करने, स्पष्टीकरण प्राप्त नहीं करने, जलापूर्ति जैसे महत्वपूर्ण कार्य में लापरवाही बरतने को आदेश की अवहेलना, कर्तव्यहीनता, अनुशासनहीनता माना और तीन दिनों के अंदर स्पष्टीकरण का जवाब मांगा है.

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