नगर विकास विभाग ने लिया संज्ञान, दिया निर्देश
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पूर्व नगर आयुक्त पर लगे आरोपों की दो सदस्यीय टीम करेगी जांच
नगर विकास विभाग ने लिया संज्ञान, दिया निर्देश भागलपुर : नगर विकास विभाग ने भागलपुर नगर निगम के पूर्व आयुक्त श्याम बिहारी मीणा पर लगे आरोपों पर संज्ञान लेते हुए जांच का निर्देश दिया है. इसको लेकर विभाग के अवर सचिव रामसेवक प्रसाद ने बुधवार को जांच कमेटी गठित कर दिया. इस बारे में प्रमंडलीय […]
भागलपुर : नगर विकास विभाग ने भागलपुर नगर निगम के पूर्व आयुक्त श्याम बिहारी मीणा पर लगे आरोपों पर संज्ञान लेते हुए जांच का निर्देश दिया है. इसको लेकर विभाग के अवर सचिव रामसेवक प्रसाद ने बुधवार को जांच कमेटी गठित कर दिया. इस बारे में प्रमंडलीय आयुक्त को बुधवार को चिट्ठी भेज दी है.
विभागीय स्तर से दो सदस्यीय टीम का गठन हुआ, इसकी अध्यक्षता विभाग के विशेष सचिव संजय कुमार करेंगे और सदस्य के तौर पर बुडको के मुख्य अभियंता ओमप्रकाश सिंह शामिल हैं. यह टीम पूर्व नगर आयुक्त को लेकर प्रमंडलीय आयुक्त द्वारा विभाग को भेजे गये विभिन्न आरोपों की कागजी और भौतिक स्थल पर जाकर निरीक्षण करेगी और उसकी जांच करेगी.
पूर्व नगर आयुक्त श्याम बिहारी मीणा के खिलाफ प्रमंडलीय आयुक्त वंदना किनी ने 27 जून को आरोपों की सूची बनाते हुए उसकी विभागीय स्तर से जांच की सिफारिश की थी. अपनी सिफारिश में स्मार्ट सिटी के कामकाज को बेहतर बनाने के लिये श्री मीणा के तबादले तक का उल्लेख किया था. कमिश्नर ने स्मार्ट सिटी में 30 करोड़ की वित्तीय अनियमितता के बारे में विभाग को रिपोर्ट दी थी.
यह थे पूर्व नगर आयुक्त पर स्मार्ट सिटी को लेकर आरोपों की झड़ी
भागलपुर स्मार्ट सिटी फंड में से पूर्व कमिश्नर राजेश कुमार के निर्देश पर कंपनी निदेशक सह डीएम प्रणव कुमार ने तीन सदस्यीय कमेटी से जांच करवायी थी. रिपोर्ट में तीन सदस्यीय जांच कमेटी ने अन्य वित्तीय अनियमितताओं को लेकर तो सवाल उठाये ही थे. सबसे अहम स्मार्ट सिटी के लिये खरीदे गये सामानों के आॅर्डर, एजेंसी द्वारा की गयी अधूरी सप्लाई आदि का भी उल्लेख किया था. कुल मिलाकर जांच रिपोर्ट का फोकस बगैर जरूरी व प्लानिंग किये हुए सामानों की खरीद को लेकर था. इस तरह जांच एजेंसी की ओर से सीधे तौर पर बोर्ड गठन के पहले सीइओ सह नगर आयुक्त अवनीश कुमार सिंह व तत्कालीन सीइओ रहे नगर आयुक्त श्याम बिहारी मीणा के समय हुई खरीद प्रक्रिया को लेकर एक स्वतंत्र जांच कराने पर जोर दिया था.
कंपनी ने पांच लाख से ऊपर के सामान खरीदने में टेंडर नहीं किया. तत्कालीन सीइओ ने खुद ही सप्लायर का नाम तय करते हुए वर्क आॅर्डर दे दिया. जबकि वित्त विभाग के नोटिफिकेशन में कहा गया कि पांच लाख से ऊपर के सामान खरीदने पर टेंडर की प्रक्रिया होना चाहिए. कुछ सामानों के वर्क ऑर्डर में स्मार्ट सिटी लिमिटेड के सीइओ ने एक ही सप्लायर व फर्म से एक ही तरह का सामान कोटेशन लेकर समय अंतराल में करवाया. उदाहरण के तौर पर बायोमेट्रिक मशीन, वायफाय व इंटरनेट का काम अलग-अलग फर्म से करवाया.
जांच समिति ने यह भी आपत्ति जतायी कि कंपनी ने 16.06.2017 को 25 लाख सीवरेज सेक्शन मशीन खरीदने के लिए एजेंसी को अग्रिम राशि दी. पर भंडार रजिस्टर में अब तक सामान आपूर्ति नहीं है. इस तरह डेढ़ साल हो चुके हैं, अभी तक एजेंसी पर कार्रवाई भी नहीं हुई. वहीं एजेंसी ने बड़ी डिसेलटिंग मशीन आपूर्ति के बदले मिनी फुल सेट डिसेलटिंग मशीन आपूर्ति किया. यह भी भंडार रजिस्टर में नहीं है. एजेंसी ने मशीन के बजाय पार्ट्स का बिल पास करवाने के लिए दिया है.
स्मार्ट सिटी कंपनी के डिस्पैच रजिस्टर में भी कई तरह की अनियमितताएं थी. रजिस्टर में विभिन्न तिथि में कंपनी के भेजे गये पत्रांक व दिनांक के जगह खाली थी. इस तरह कंपनी की चिट्ठियों में गलत तिथि व पत्रांक नंबर देना उजागर हुआ था. तत्कालीन कमिश्नर व अध्यक्ष रहे राजेश कुमार ने डिस्पैच रजिस्टर के खाली पेज को लेकर भी सीइओ को शोकॉज किया, मगर उसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला.
स्मार्ट सिटी कंपनी के कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम के टेंडर को गलत तरीके से करने पर भी रद्द कर दिया गया. टेंडर की राशि को पहले से अधिक कर दिया गया.स्मार्ट सिटी की 12 अलग-अलग योजनाओं का टेंडर वेंडर नहीं आने के कारण रद्द हो गया. इसके पीछे प्रशासनिक स्तर पर कमी है.
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