Snakes in Bihar: बेतिया. बिहार के इस टाइगर रिजर्व में अनोखे सांपों का बसेरा है. वैसे तो बिहार के हर ज़िले में विभिन्न प्रजातियों के सांपों का बसेरा है, लेकिन वाल्मीकि टाइगर रिजर्व सांपों का मुख्य गढ़ है. यहां सांपों की 45 से अधिक प्रजातियों का वास है. इनमें दुनिया के सबसे दुर्लभ सांप के साथ पृथ्वी के सबसे बड़े विषैले सांपों की मौजूदगी भी दर्ज की गई है. VTR में कुछ ऐसे सांप भी पाए जाते हैं जो अत्यंत दुर्लभ और अनोखे हैं. इनमें मुख्य रूप से वन सुंदरी, कोरल रेड कुकरी, ट्विन स्पॉटेड वुल्फ स्नेक, मॉक वाइपर, लॉन्ग स्नाउटेड वाइन स्नेक और सालाजार पिट वाइपर जैसे सांप शामिल हैं.
केवल दो राज्यों में मौजूद है लॉन्ग स्नाउटेड वाइन
लॉन्ग स्नाउटेड वाइन स्नेक को भारत में सिर्फ दो राज्यों में ही देखा गया है. सबसे पहले इसे बिहार के पश्चिम चंपारण ज़िले में स्थित वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व के एक खास रेंज में देखा गया था, जिसके बाद नॉर्थ ईस्ट राज्य मेघालय में भी इसकी मौजूदगी दर्ज की गई. बात यदि नॉन वेनेमस सांपों की कि जाए तो, बिहार में मुख्य रूप से रैट स्नेक, बफ कील बैक स्नेक, चेकल्ड कील बैक स्नेक, ग्रीन कील बैक स्नेक, ब्रह्मणी वॉर्म स्नेक, कॉमन कुकरी स्नेक और ब्रोंज़ बैक स्नेक जैसी प्रजातियां पाई जाती हैं. इनके अलावा बोआ और पायथन जैसे सांपों की भी प्रजातियां पाई जाती हैं, जो कुंडली मार कर अपना शिकार पकड़ते हैं. बोआ परिवार में कॉमन सैंड बोआ एवं रेड सैंड बोआ हैं. जबकि पायथन परिवार में बर्मीज पायथन और इंडियन रॉक पायथन जैसे सांप पाए जाते हैं.
शेड्यूल-वन की श्रेणी में आता है किंग कोबरा
करीब 25 वर्षों से वाइल्ड लाइफ पर काम कर रहे एक्सपर्ट अभिषेक ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जिले के VTR क्षेत्र में दुनिया का सबसे लंबा विषैला सांप किंग कोबरा पाया जाता है. इसकी लंबाई 18 फीट तक जा सकती है. ये एक ऐसा सांप है, जो दूसरे सांपों का शिकार कर उन्हें अपना आहार बनाता है. बाइट करने पर यह एक बार में 20 एम.एल तक विष को बाहर निकालता है. जहां अन्य सांप जमीन में बिल में रहना पसंद करते हैं. वहीं, कोबरा घोंसलों में रहना पसंद करता है. भारत में इसे वन्य अधिनियम के तहत शेड्यूल-वन की श्रेणी में रखा गया है.
यहां चलता है गेहूंवन का राज
वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व सहित जिले के ज्यादातर क्षेत्रों में स्पेक्टिकल्ड कोबरा खूब पाए जाते हैं. यहां इन्हें आम भाषा में गेहूंवन कहा जाता है. ये पांच फीट तक लंबे और न्यूरोटोक्सिन विष से लैस होते हैं. अन्य किसी भी विषैले सांप की तुलना में इंसानों से इनका सामना सबसे अधिक होता है. इनमें पाया जाने वाला विष इतना घातक होता है कि तुरंत इलाज न मिलने की स्थिति में किसी भी 70 किलो वजनी वयस्क इंसान को महज 30 से 40 मिनटों में मौत की नींद सुला सकता है. ये भारत के चार सबसे अधिक जानलेवा सांपों की लिस्ट में शामिल हैं.
यहां मौजूद है करैत की सबसे घातक प्रजाति
कॉमन करैत का रंग काला होता है और उसपर से इसके दंश का पता तक नहीं चलता है. सोते हुए इंसान को यदि यह सांप दंश कर ले तो नींद में ही उसकी मौत हो जाती है. यह बेहद तेज न्यूरोटिक्सिन वेनम से लैस होता है. इसके दांत सूई के समान पतले और बेहद छोटे होते हैं. यही कारण है कि ज्यादातर मामलों में इसके दंश से दर्द नहीं होता है और न ही कोई निशान बनता है. ऐसे में डंसे जाने के बाद भी लोग बेखबर होते हैं और 30 से 40 मिनटों में मौत पक्की हो जाती है. भारत में चार सबसे चार सबसे अधिक जानलेवा और मौतों के जिम्मेवार सांपों की लिस्ट में इस सांप का नाम भी शामिल है.
इस सांप के काटने से जम जाता है खून
हीमोटॉक्सिन वेनम से लैस रसल वाइपर एक ऐसा सांप है, जिसके दंश से बेहद दर्दनाक मौत होती है. इसका जहर शरीर में खून को जमाने लगता है और मांस को सड़ाने लगता है. खून के थक्के बनने की वजह से शरीर जगह जगह से फटने लगता है, जिससे पीड़ित को इतना तेज़ दर्द होता है जिसकी कल्पना भी आप और हम नहीं कर सकते हैं. देखने में ये किसी छोटे आकार के अजगर की तरह दिखता है. बिहार में ज्यादातर क्षेत्रों में इसे सुस्कार के नाम से भी जाना जाता है. भारत के चार सबसे अधिक जानलेवा और मौतों के जिम्मेवार सांपों की लिस्ट में रसल वाइपर का नाम भी शामिल है. इसके दंश से भी महज 30 से 40 मिनटों में पीड़ित की मौत हो जाती है.
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