हरनाटांड़. तमाम चौकसी के बावजूद वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में अवैध पातन पर रोक नहीं लग पा रहा है. धंधेबाज वन कर्मियों को चकमा देकर हरे पेड़ों की कटाई कर रहे हैं. वह भी तब जब जंगल को बचाने के लिए विभाग के द्वारा सुरक्षा के नाम पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. वीटीआर के जंगल में लगभग एक दशक बाद वन तस्करों की नजर एक बार फिर खैर पेड़ों पर पड़ गई है. वीटीआर के मदनपुर वाल्मीकिनगर वनक्षेत्र में तस्करों द्वारा खैर पेड़ों की कटाई कर गंडक नदी के रास्ते उत्तर प्रदेश एवं नेपाल में भेजा जा रहा है.जानकार सूत्रों की मानें तो मदनपुर वनक्षेत्र के कक्ष संख्या दो में खैर पेड़ों की कटाई तस्करों द्वारा किया जा रहा है.सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार तीन दिन पूर्व तस्करों द्वारा कक्ष संख्या दो में खैर लकड़ी का पातन कर खैर की लकड़ी को एक बड़ी नाव पर लोड कर गंडक नदी के रास्ते बगहा की तरफ ले जाया गया है.वीटीआर के वन संरक्षक सह क्षेत्रीय निदेशक डाॅ. नेशामणि ने बताया कि खैर पेड़ों की कटाई के मद्देनजर इसकी जांच के लिए वनकर्मियो की टीम को लगाया गया है.वीटीआर के जंगल में खैर की कीमती लकड़ी है.निदेशक ने आगे बताया कि जंगल क्षेत्र से किसी प्रकार की लकड़ी तस्करी करते हुए पकड़े जाने पर कठोर कार्रवाई किया जाएगा.वन व वन्य जीवों की सुरक्षा के मद्देनजर सभी क्षेत्रों में वन कर्मियों की अलग-अलग टीम को लगाया गया है. कार्य में लापरवाही बरतने वाले वनकर्मियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा.बताते चले कि वीटीआर के वाल्मीकि नगर व मदनपुर वनक्षेत्र में खैर के काफी पेड़ आज से दो दशक पूर्व हुआ करते थे.लेकिन वन अपराधियों द्वारा बहुत बड़े पैमाने पर खैर पेड़ों का पातन कर समाप्ति के कगार पर पहुंचा दिया गया था.धीरे-धीरे फिर बीस पच्चीस वर्षों में खैर प्रजाति के पौधे पेड़ बन चुके हैं. जिस पर वन तस्करों की नजर पड़ गई है. हालांकि बीते सोमवार की सुबह वाल्मीकिनगर वनक्षेत्र के वन कर्मियों ने छापेमारी कर एक नाव पर लदी खैर की गुलियों को जब्त किया है.वन तस्करों पर रोक नहीं लगाया गया तो वीटीआर के जंगल से खैर पेड़ों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा.
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