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बेतिया के एमजेके कॉलेज में फैली अराजकता, बिना एप्रूवल के ही वर्षों से कार्यरत्त हैं ढाई दर्जन कर्मी

एमजेके कॉलेज में अराजकता,अनियमितता और मनमानी की शिकायत पर विश्वविद्यालय टीम जांच के लिए पहुंची. जांच में कई बड़ा खुलासा हुआ. अवैध परम्पराओं का निर्वहन करते हुए पूर्ववर्ती से वर्त्तमान तक के आधे दर्जन प्राचार्य लाखों का भुगतान करते रहे. गड़बड़ी को देखकर जांच टीम भी भौंचक रह गयी.

एमजेके कॉलेज में अराजकता,अनियमितता और मनमानी की शिकायत पर पहुंची विश्वविद्यालय की चार सदस्यीय जांच टीम भौंचका लग रही है. जिले के मननीय से लेकर अनेक छात्र संघ नेताओं द्वारा लगाए गए अनेक गंभीर आरोपों जांच समाचार लिखे जाने तक जारी है. बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति स्तर से गठित चार सदस्यीय जांच के संयोजक एलएसडब्ल्यू डॉ. प्रमोद कुमार के अतिरिक्त सदस्य के रूप में मोतिहारी के एलएनडी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अरुण कुमार, विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल ओझा और विश्वविद्यालय के विधि पदाधिकारी मयंक कपिल शामिल हैं.

कई गंभीर गड़बड़ी का हुआ खुलासा

प्राप्त परिवाद पत्र में वर्णित विभिन्न गंभीर आरोपों की क्रमवार जांच में पूरे दिन जुटी रही टीम की सुनवाई में अनेक गम्भीर तथ्यों का खुलासा हुआ है. जिसके तहत अगस्त 2011 से ही कॉलेज में मैनपॉवर सप्लायर एजेंसी के रूप में लगातार कार्यरत ‘सीता वेलफेयर’ से आज तक यूनिवर्सिटी या कॉलेज प्रशासन से कोई भी अनुबंध नहीं हुआ है.तलब किये जाने पर जांच टीम के पास पहुंचे कंपनी के सचिव विजयेंद्र दुबे ने बताया कि अगस्त 2011 में तत्कालीन प्राचार्य डॉ.ओम प्रकाश सिंह ने उन्हें बुलाकर कॉलेज टेक्निकल से लेकर ननटेक्निकल मैनपॉवर सप्लाई का एक पत्र दिया था.तब से आज तक कथित आउटसोर्सिंग एजेंसी के मैनपॉवर सप्लाई का ‘खेल’ लगातार जारी है.

एजेंसी से हुआ निजी स्टॉफ का भुगतान

पूछताछ के दौरान यह तथ्य भी उजागर हुआ कि कुछ प्राचार्य ने अपने निजी स्टॉफ-ड्राइवर तक का भुगतान इसी एजेंसी की आड़ में करवाया है.यही मुख्य कारण है कि किसी भी परिचारी ने विभिन्न तिथियों से बगैर किसी सक्षम आदेश और एप्रूवल के ही कॉलेज में वर्षों वर्षों से कार्यरत्त करीब ढाई दर्जन डेलीवेजेज के अतिरिक्त इतने ही आउट सोर्सिंग स्टॉफ के नाम पर प्रतिमाह लाखों का बंटवारा हो रहा है.वर्तमान प्राचार्य डॉ.सुरेंद्र केसरी ने कहा कि उन्होंने एक भी बहाली अपने कार्यकाल में नहीं की है.केवल प्रॉपर चैनल से उपस्थित और कार्य सत्यापन के आधार पर भुगतान की अनुमति देते रहे हैं.वहीं उपरोक्त तथ्यों पूरी जांच के बावत जांच दल के संयोजक डॉ.प्रमोद कुमार ने कहा कि प्राचार्य का अलग से पक्ष सुनने और पूछताछ के बाद ही जांच दल अपना मंतव्य जारी करने की स्थिति में होगा.

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