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बिहार की चांदन नदी को लेकर सर्वे रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा, पानी की जगह अब गाद मौजूद, 50 वर्षों से नहीं आया नया बालू

विगत 12 दिसंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अमरपुर के भदरिया से चांदन डैम सिल्ट उड़ाही को लेकर दिये निर्देश के बाद विभाग हरकत में है. उड़ाही प्रक्रिया शुरू करने के लिए लगातार बैठक व प्रस्ताव का दौर जारी है. जबकि, उड़ाही में 2015 की सर्वे रिपोर्ट को आधार बनाया गया है. जल संसाधन विभाग ने चांदन डैम में गाद की क्षमता का 2015 में सर्वे कराया गया था. यह सर्वे गुरुग्राम की एक वाप्कोस नाम की एक कंपनी ने किया था. सर्वे में कई चौंकाने वाली बात सामने आयी है. इसमें बताया गया है कि सिल्ट अत्यधिक मात्रा में भर जाने की वजह डैम से नीचे नदी में करीब 50 वर्ष से नया बालू नहीं आया है. जो भी बालू चांदन नदी में अभी मौजूद है, यह पांच दशक पुराना है.

सुभाष वैद्य, बांका : विगत 12 दिसंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अमरपुर के भदरिया से चांदन डैम सिल्ट उड़ाही को लेकर दिये निर्देश के बाद विभाग हरकत में है. उड़ाही प्रक्रिया शुरू करने के लिए लगातार बैठक व प्रस्ताव का दौर जारी है. जबकि, उड़ाही में 2015 की सर्वे रिपोर्ट को आधार बनाया गया है. जल संसाधन विभाग ने चांदन डैम में गाद की क्षमता का 2015 में सर्वे कराया गया था. यह सर्वे गुरुग्राम की एक वाप्कोस नाम की एक कंपनी ने किया था. सर्वे में कई चौंकाने वाली बात सामने आयी है. इसमें बताया गया है कि सिल्ट अत्यधिक मात्रा में भर जाने की वजह डैम से नीचे नदी में करीब 50 वर्ष से नया बालू नहीं आया है. जो भी बालू चांदन नदी में अभी मौजूद है, यह पांच दशक पुराना है.

2015 में ही 35 फीसदी थी डैम की क्षमता :

2015 के सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, डैम की वास्तविक जल क्षमता 157.23 मिलियन क्यूबिक मीटर है. लेकिन 2015 में इसकी क्षमता में 101 से अधिक मिलियन क्यूबिक मीटर घट गयी थी. उस समय डैम की जल क्षमता 56.23 मिलियन क्यूबिक मीटर थी. प्रति वर्ष 2.1 मिलियन क्यूबिक मीटर सिल्ट जमा हो रहा है. मौजूदा समय में इसकी जल क्षमता महज 46 मिलियन क्यूबिक मीटर रह गयी है. यानी 70 फीसदी जल क्षमता खत्म है. इसकी जगह सिल्ट ने ले लिया है.

चांदन डैम के दोनों तरफ मार्ग का होगा चौड़ीकरण :

मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद 13 दिसंबर को जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद, भागलपुर मुख्यालय से इंजीनियर शैलेंद्र व अभियंता प्रमुख अशोक चौधरी सहित अन्य तकनीकी अभियंताओं के साथ बैठक हुई. जिसमें सिल्ट उड़ाही की जिम्मेदारी खनन विभाग को दी गयी. जल संसाधन विभाग केवल इसकी मॉनीटरिंग करेगा. उड़ाही में 17.81 करोड़ रुपये खर्च होंगे. गाद उड़ाही से पहले डैम क्षेत्र में कुछ आवश्यक बदलाव पर सहमति बनी है. उड़ाही के बाद गाद को डैम के 64 एकड़ खाली जमीन पर रखा जायेगा. इसके लिए टेंडर निकलेगा. गाद निकासी के बाद इसकी नीलामी की जायेगी. जबकि गाद निकासी के लिए वाहन का परिचालन सुलभ बनाना आवश्यक बताया गया. लिहाजा, चांदन डैम के दोनों तरफ जाने वाली मार्गों का चौड़ीकरण किया जायेगा. चौड़ीकरण करीब सात मीटर होगा. ताकि, एक मार्ग पर आसानी दो हाइवा जा-आ सके.

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चार मीटर के बाद डैम में केवल बालू :

2015 में हुए तकनीकी सर्वे में पता चला है कि डैम के चार मीटर तक चिकनी मिट्टी है, जिसका प्रयोग ईंट, सड़क सहित अन्य निर्माण कार्य में मिट्टी वर्क में किया जा सकता है. जबकि चार मीटर के बाद केवल बालू ही बालू है. लिहाजा, मिट‍्टी व बालू बिक्री से ही विभाग को अरबों का राजस्व प्राप्त होने की संभावना है.

Posted by: Thakur Shaktilochan

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