बांका. मेरा रेशम-मेरा अभिमान (एमआरएमए) अभियान के तहत केंद्रीय रेशम बोर्ड की ओर से तेरह माइल रजौन रेशम पोस्ट कोकून प्रौद्योगिकी (रीलिंग और बुनाई) पर एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जागरुकता कार्यक्रम में कुल 35 प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया. रेशम तकनीकी सेवा केंद्र भागलपुर के वैज्ञानिक त्रिपुरारी चौधरी ने सिल्क समग्र योजनाओं के तहत विभिन्न प्रकार की रीलिंग और कताई मशीनों के बारे में विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने स्वास्थ्यकर माहौल, धागे की गुणवत्ता, उत्पादकता और बढ़ी हुई कमाई की संभावना के संदर्भ में पारंपरिक विधि की तुलना में आधुनिक रीलिंग और कताई तकनीकों को अपनाने के लाभों पर जोर दिया. उन्होंने बाजार की मांग के अनुसार बेहतर उत्पादकता और उत्पाद विविधीकरण के लिए सिल्क समग्र योजना के तहत विभिन्न बुनाई से संबंधित योजनाओं के बारे में भी बताया. आकाश शर्मा ने एमआरएमए अभियान का अवलोकन प्रस्तुत किया और आधुनिक मशीनों से उत्पादित तसर रेशम धागे की गुणवत्ता और दक्षता पर चर्चा की. राजू कुमार सिन्हा और धर्मेंद्र गौड़ इस पहल की सराहना की.
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