कब मिलेगा बौंसी मेले को राष्ट्रीय स्वरूप फोटो 13 बांका 14 से 18 तक: कृषि प्रदर्शनी में निबंधन कराते किसान, कृषि प्रदर्शनी परिसर में लगे बीटगोभी, कृषि प्रदर्शनी में लगे मनोरम फूल, सज धज कर तैयार मेला उद्घाटन मंच, पापहरणी सरोवर मे स्नान करते सफाधर्मी श्रद्धालुबौंसी. 14 जनवरी मकर संक्रांति के अवसर पर आयोजित होने वाला बौंसी मेला पिछले 12 सालों से मंदार महोत्सव के रूप में स्थापित हो गया है. लेकिन इस अवधि में मंदार अपने अस्तित्व को बचाने की जंग लड़ रहा है. इन वर्षों में केंद्र व राज्य सरकार के जनप्रतिनिधियों से लेकर उच्चाधिकारियों ने बौंसी मेले के लिए कुछ नहीं किया. पहले यह मेला एक माह तक आयोजित होता था. प्रशासनिक हस्तक्षेप एवं इस मेले को मंदार महोत्सव का रूप दिये जाने के बाद यह मेला मात्र पांच दिनों तक सिमट कर रह गया. मंदार महोत्सव के उद्घाटन मंच पर मेले को राजकीय मेला का दर्जा दिये जाने की घोषणा होती है. मंदार को देश के पर्यटन के मानचित्र में शामिल करने व क्षेत्र का विकास करने की बात कहते हैं. वादे व घोषणा हवा हवाई हो जाते हैं.1997 में हुई थी मंदार महोत्सव की शुरुआत बौंसी मेला सह मंदार महोत्सव की शुरुआत तत्कालीन जिलाधिकारी वैद्यनाथ मिश्र द्वारा वैशाली महोत्सव की तर्ज पर 1997 में हुई थी. उद्घाटन राज्य सरकार के तत्कालीन शिक्षा मंत्री जयप्रकाश नारायण यादव ने किया था. उन्होंने मंच पर से मंदार को राज्यकीय मेला का दर्जा दिये जाने का ऐलान तक किया था. वर्ष 1998 में आयुक्त हेमचंद सिरोही, 2000 में आयुक्त, उसके अगले वर्ष 2001 में रेल राज्यमंत्री दिग्विजय सिंह, 2002 और तीन में प्रमंडलीय आयुक्त, के बाद 2006 में उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के बाद 2008 में स्वयं सीएम नीतीश कुमार ने मंदार महोत्सव का उद्घाटन कर हजारों की संख्या में पहुंचे लोगों को संबोधित कर बौंसी मेले को राज्यकीय मेला का दर्जा दिये जाने की बात कही थी. उद्घाटन के तीन दिन बाद जिला बीस सूत्री प्रभारी मंत्री ने भी राज्यकीय मेला का दर्जा दिये जाने एवं मेला प्राधिकार के गठन के संबंध में केबिनेट में पास कर दिये जाने की बात कही थी. अब जबकि मंदार महोत्सव मुख्यमंत्री के उद्घाटन के बाद दसवां साल में प्रवेश कर चुका है ना तो इसे राजकीय दर्जा मिला और ना ही इसे विकसित करने का कोई प्रयास किया गया. बौंसी मेला को राजस्व विभाग द्वारा आयोजित किया जाता रहा है. यह एक कृषि प्रधान मेला है इसलिए दो विभागों के चक्कर में भी मेला का विकास नहीं हो पा रहा है. इस बीच पिछले दो सालों से पर्यटन विभाग इस मेला में सांस्कृतिक कार्यक्रमों को आयोजित करवा रहा है. ——देर रात तक जारी रहा स्टॉलों व पंडालों का निर्माणबौंसी. बौंसी मेला का आगाज आज से होगा. विधिवत उद्घाटन के बाद बौंसी मेला में लगे मनोरंजन के साधनों की भी शुरुआत हो जाएगी. हालांकि 13 जनवरी की देर शाम मेला में लगे झूले, मौत के कुआं आदि को प्रशासनिक स्वीकृति तो मिल गयी, लेकिन मेला में इस वर्ष सर्कस, थियेटर एवं चित्रहार आदि मनोरंजन गृहों के अब तक नहीं लगने से मेला फीका फीका लग रहा है. प्रशासन के द्वारा पहले तो कई प्रकार के नियमों को लगाकर उनसे कई प्रकार के प्रमाण पत्रों की मांग की गयी जिसके कारण वे लोग नहीं आ सके. हालांकि मेला में अन्य दुकानें लग गयी है. सांस्कृतिक पंडाल का भी निर्माण कार्य देर रात तक पूरा नहीं हो पाया था. इस बार मेला में सड़क चारों तरफ खराब है. जिससे मेला में आने वाले को काफी परेशानी हो रही है. मंदार आने वाले प्रमुख सड़को में बौंसी भागलपुर पथ, बौंसी दुमका पथ और ढाकामोड़ बांका पथ की जर्जर है. कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. उल्लेख हो कि मंदार विश्रामागार में मेला समिति की बैठक में जिलाधिकारी द्वारा पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता को निदेर्शित किया गया था कि सारे पथों को मोटरेबुल करा लिया जाये. गुरुवार को होने वाले उद्घाटन में मंत्री, सांसद, विधायक सहित अन्य जनप्रतिनिधि आयेंगे. लेकिन इस वर्ष ऐसा लगता है कि प्रसाशन ने सबसे ज्यादा ध्यान सुरक्षा पर दिया. परंतु अन्य बातों को नजर अंदाज कर दिया. ——नामचीन कलाकर होंगे कार्यक्रम में शामिल बौंसी. मंदार महोत्सव सह बौंसी मेला में पांच दिवसिय कार्यक्रम में पहले दिन 14 जनवरी को उद्घाटन कार्यक्रम के बाद कई कार्यक्रम किये जायेगें. 3 बजे कृषि मैदान में पतंगबाजी प्रतियोगिता, संध्या 7 बजे मुम्बई के पार्श्व गायक सलीम एवं ग्रुप के द्वारा किया जाएगा. 15 जनवरी को दोपहर 1 बजे कृषि मैदान में 1 बजे तिरंदाजी प्रतियोगिता, संध्या 7 बजे से सुनील छैला बिहारी का भोजपुरी एव अंगिमा का गायन होगा 16 जनवरी को दोपहर में कुश्ती प्रतियोगिता और शाम में वॉलीवूड के विरेंद्र शंकर, शुभलक्ष्मी डे, हरिहरण शर्मा, अंकित सरश्वत, नीतीन भंडारकर, देवरती मित्रा का कार्यक्रम होगा. 17 जनवरी को 11 बजे मेला मंच पर क्विज प्रतियोगिता, 2 बजे दोपहर में स्थानीय कलाकारो एवं स्कूली बच्चो का कार्यक्रम होगा. शाम में 6 बजे से स्थानीय कलाकारो के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा. जबकि 18 जनवरी की सुबह में मंदार में तलहटी में दिग्विजय मंदार मैराथन का कार्यक्रम होगा. दोपहर 11 बजे से मेला मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, पुरस्कार वितरण एवं समापन कार्यक्रम होगा. ————कृषि प्रदर्शनी होगा आकर्षण का प्रमुख केंद्र बौंसी. मुनीश्वर कृषि उधोग प्रदर्शनी मंगलवार को किसानों से भरा हुआ था. बौंसी, बांका, धोरैया, पंजवारा, रजौन सहित झारखंड प्रदेशों से आये किसान अपने उत्कृष्ट कृषि उत्पाद को प्रदर्शनी में लायेंगे. शकुंतला वाल विद्यालय सरुका के द्वारा प्रदर्शनी में इस बार मुख्य आकर्षण दुर्लभ किस्म के फूलों की प्रदर्शनी है जिनमें ब्लिीडींग हर्ट, पिटोरिया, पमपम, रोज बुश, पेंजी, गर्जेनिया आदि शरदकालीन फूलों को लगाया गया है. वहीं किसानों द्वारा बड़े, वजनी कद्दु, पत्तागोभी, फूलगोभी, टमाटर, मिर्चि, शलजम, मुली, चुकुन्दर, गाजर, अमरूद के रखे गये हैं. हरि प्रसाद सिंह झरना, जोरारपुर के किसान का अमरुद, सीता देवी उपर नीमा का बींस देखने लायक है. महताबी भी काफी बड़ा है. इसके अलावे दुसरे तरफ कृषि यांत्रिकरण, स्वंय सहायता समूहो, पीएचईडी, मत्स्य विभाग,गव्य विभाग के अलावे और कई तरह के स्टाल प्रदर्शनी में लगाने का काम अंतिम चरण में है. मालूम हो कि प्रदर्शनी आत्मा के सौजन्य से लगाया जाता है. इसकी तैयारी के लिए जिला कृषि पदाधिकारी संजय कुमार, बीएओ रामबाबू राम के अलावा कृषी विभाग के सलाहकार लगे हुए है. प्रदर्शनी में होने वाले भारी भीड़ को देखते हुए जगह जगह बैरिकेटिंग की गयी है. ————–श्वेताम्बर सफाधर्मियों की उमड़ रही भीड़ बौंसी. मंदार में सफाधर्मावलंबियों कि भारी भीड़ मंदार में उमड़ रही है. देश के कोने – कोने से आये सफामताबलंबी मंदार में अपना पड़ाव डाल चुके हैं. रात से ही सरोवर में आस्था की डुबकी लगाने की सिलसिला जारी है. मालूम हो कि आस्था कि ऐसी मिशाल शायद ही कही आपको देखने को मिलेगी पापहरणी सरोवर के ईद गिर्द बगैर किसी छत के नीचे इस ठिठरून भरी सर्दी में पूरी रात भजन र्कीतन करते है. सुबह पापहरणी में डुबकियां लगाकर वे लोग सत्संग मंदिर में इश्वर की स्तुति करते है और श्वेत वस़्त्र धारण कर पर्वता रोहण करते हैं इस अद्भुत श्वेतधारी आदिवासियों की पर्वत पर चढ़ती हुई कतार देखकर ऐसा लगता हैं जैसे विराट विराट विष्णु के बदन पर यज्ञोपवित लिपटा दिया गया हो संध्या वेला में वे लोग बौंसी मेला आकर भगवान मधुसूदन का दर्शन कर वापसी की राह पकड़ते है. सफाधर्म मंदिर के सामने पर्वत तराई में वृक्षों के पास ठहरे सफाधर्मावलंबी विधि विधान एवं अनुष्ठान कर रहे हैं. श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पापहरणी सरोवर में गोताखोरों को लगाया गया है. आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा हाईटक लाईट लगाया गया है. लोगों को ठहरने के लिए पंडाल बनाया जा रहा है. बडे- बडे़ लाईट लगाया जा रहा है. शंख, घंटा, मांदर, नगाड़ा झाल करताल और बांसुरी की धुन से पूरा मंदार का वातावरण गुंजायमान हो रहा है. मंदार पर्वत के चारों तरफ कोई ऐसा कोना नहीं है जहां पर सफाधर्म के लोग नहीं ठहरे हैं.
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कब मिलेगा बौंसी मेले को राष्ट्रीय स्वरूप
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